Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 22 Oct, 2024 08:00 PM
हरियाणा के भिवानी और हिसार से स्वयं सहयता समूह की 100 महिलाएं मेले का भर्मण करने के लिए पहुंची। इन महिलाओ को जिला कार्यात्मक प्रबंधक भिवानी और हिसार से शरीफ अली और विजेंदर श्योराण की अगुआई में लाया गया।
गुड़गांव, (ब्यूरो): ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित व राष्ट्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज संस्थान द्वारा समर्थित 'सरस आजीविका मेला 2024' में आज राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर), दिल्ली शाखा द्वारा एक महत्वपूर्ण सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र का मुख्य विषय 'स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के हस्तशिल्प उत्पादों का निर्यात विपणन' था। जिसे हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) के राहुल रंजन द्वारा संबोधित किया गया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय ग्रामीण एवं पंचायती राज संस्थान से चिरंजी लाल कटारिया, सहायक निदेशक, सुधीर कुमार सिंह, शोध एवं प्रशिक्षण अधिकारी, सुरेश प्रसाद, एनआईआरडीपीआर से आशुतोष धामी और नरेश कुमारी आदि उपस्थित थे।
इस सत्र में प्रमुख रूप से उन चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की गई जिनका सामना एसएचजी को अपने उत्पादों को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करते समय करना पड़ता है। सत्र के दौरान वैश्विक ब्रांडिंग और मार्केटिंग, सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक्स प्रबंधन, बाजार अनुसंधान और ग्राहक मांग, ई-कॉमर्स प्लेटफार्म का उपयोग आदि पर जोर दिया गया।
हरियाणा के भिवानी और हिसार से स्वयं सहयता समूह की 100 महिलाएं मेले का भर्मण करने के लिए पहुंची। इन महिलाओ को जिला कार्यात्मक प्रबंधक भिवानी और हिसार से शरीफ अली और विजेंदर श्योराण की अगुआई में लाया गया। ये महिलाएं ज्यादातर हस्तशिल्प, कड़े -चुडिया, अचार, मुरब्बे, कॉटन और धागे आदि बनाने का काम करती है। इन लखपति दीदियों को गीता जयंती समारोह, तीज महोत्सव और संसद भवन का दौरा कराया जा चुका है ताकि ये महिलाये अपनी कला को लोगों के सामने प्रदर्शित कर सकें।