Edited By Punjab Kesari, Updated: 13 Jul, 2017 05:46 PM
एक आपराधिक केस में हत्या व गैर इरादतन हत्या समेत दंगा करने व चोट पहुंचाने की धाराओं में कुछ लोगों को हुई सजा के बाद उनकी पत्नियों समेत बच्चों द्वारा
चंडीगढ़(बृजेन्द्र):एक आपराधिक केस में हत्या व गैर इरादतन हत्या समेत दंगा करने व चोट पहुंचाने की धाराओं में कुछ लोगों को हुई सजा के बाद उनकी पत्नियों समेत बच्चों द्वारा अपने आर्थिक हालात का हवाला देते हुए सरकार से प्राप्त की जा रही बेसहारा पैंशन को सरकार द्वारा वापस मांगने के फैसले पर हाईकोर्ट से स्टे लगा दी है। वहीं सरकार से जवाब तलब किया है। केस में अगली सुनवाई 30 अगस्त को होगी।
मामले में कैथल की लाजवंती समेत 13 याचियों ने हरियाणा सरकार, डिपार्टमैंट ऑफ सोशल जस्टिस एंड इम्पावरमैंट के डायरैक्टर जनरल व डिस्ट्रिक्ट सोशल वैल्फेयर ऑफिसर को पार्टी बनाया है। याचिका में प्रतिवादी पक्ष के 7 जुलाई, 2017 के आदेशों को रद्द करने की मांग की गई है। उन आदेशों में याचियों को आदेश दिए गए थे कि उनके पतियों के जमानत पर छूटने के बाद उनके द्वारा प्राप्त की गई बेसहारा पैंशन 12 प्रतिशत ब्याज सहित चुकाए।
याची पक्ष की तरफ से एडवाकेट गौतम कैले ने दलीलें पेश की। याची महिलाओं के पतियों के खिलाफ दंगा करने, चोट पहुंचाने व गैर इरादतन हत्या की धाराओं में 10 साल की कैद हुई थी। वहीं एक याची महिला के पति को हत्या की धारा में दोषी पाते हुए सजा दी गई थी। 27 अप्रैल, 2010 को यह केस दर्ज किया गया था।