SYL को लेकर हुई मीटिंग के बाद CM खट्टर का बयान, बताया- बेनतीजा रही आज की बैठक

Edited By Isha, Updated: 14 Oct, 2022 02:18 PM

cm khattar s statement after the meeting regarding syl

सतलुज-यमुना लिंक (एस.वाई.एल.) नहर के मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री की बैठक शुरु हो गई है। इस बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल व पंजाब के...

चंडीगढ़(धरणी): हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री शुक्रवार को सतलुज यमुना लिंक (SYL) नहर विवाद पर चर्चा की, लेकिन इस संबंध में दोनों राज्यों में कोई सहमति नहीं बन पाई। बता दें कि  ये बैठक सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश की वजह से हो रही है। कोर्ट ने पिछले महीने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था इस बैठक मे दोनों नेता SYL मुद्दे के सौहार्दपूर्ण समाधान का रास्ता खोजें।  



बता दें कि बैठक से पहले मुख्यमंत्री  मनोहर लाल ने स्पष्ट किया कि एस.वाई.एल. हरियाणावासियों का हक है और उन्हें पूरी आशा है की उन्हें उनका यह हक अवश्य मिलेगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा के लिए एस.वाई.एल. का पानी अत्यंत आवश्यक है। अब इस मामले में एक टाइम लाइन तय होना जरूरी है, ताकि प्रदेश के किसानों को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।  

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क्या है SYL को लेकर विवाद?
एक नवंबर 1966 को पंजाब से अलग होकर हरियाणा राज्य की स्थापना हुई। उसी दिन से इस विवाद की शुरुआत होती है। नए राज्य के गठन के साथ पंजाब को नदियों का पानी साझा करने की जरूरत हुई। लेकिन, पंजाब ने रावी और ब्यास नदियों का पानी हरियाणा से बांटने के विरोध किया। हरियाणा के गठन से एक दशक पहले रावी और ब्यास में बहने वाले पानी का आकलन 15.85 मिलियन एकड़ फीट (MAF) किया गया। केंद्र सरकार ने 1955 में राजस्थान, अविभाजित पंजाब और जम्मू कश्मीर के बीच एक बैठक आयोजित कराई। ये नदियां इन्हीं तीनों राज्यों से गुजरती थीं। तब राजस्थान को आठ MAF, अविभाजित पंजाब को  7.20 MAF और जम्मू कश्मीर को 0.65 MAF पानी आवंटित किया गया। 

हरियाणा के गठन के बाद  मुताबिक पंजाब के हिस्से के 7.2 MAF पानी में से 3.5 MAF हरियाणा को आवंटित किए गए। 1981 में हुए पुनर्मूल्यांकन के बाद पानी का आंकलन बढ़ाकर 17.17 MAF कर दिया गया। इसमें से पंजाब को 4.22 MAF, हरियाणा को 3.5 MAF और राजस्थान को 8.6 MAF पानी आवंटित हुआ। हालांकि, ये बंटवारा कभी लागू नहीं हो सका। 

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