हरियाणा की 14वीं विधानसभा का बजा बिगुल, 21 को चुनाव, दिवाली से पहले आएगा रिजल्ट

Edited By Shivam, Updated: 21 Sep, 2019 02:42 PM

चुनाव आयोग आज हरियाणा, महाराष्ट्र व झारखंड के विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है। हरियाणा में यह 14वीं विधानसभा का चुनाव होगा। इस समय प्रदेश में भाजपा सत्तासीन है, जिसे हटाने के लिए प्रदेश के क्षेत्रीय दल व राष्ट्रीय कांग्रेस जोर आजमाईश...

डेस्क: हरियाणा विधानसभा का चुनावी बिगुल बज चुका है, प्रदेश की 90 विस सीटों पर 21 अक्तूबर को चुनाव होंगे, वहीं मतगणना 24 अक्तूबर को होगी। चुनाव की अधिसूचना 27 सितम्बर को जारी होगी। उम्मीदवारों के नामांकन 4 अक्तूबर तक लिया जाएगा, जिसकी स्क्रूटनी 5 तारीख को होगी। वहीं उम्मीदवार 7 अक्तूबर तक अपने नामांकन वापस ले सकते हैं। इस बार हरियाणा में 1.3 लाख ईवीएम का प्रयोग होगा, जिसपर हरियाणा 1.82 करोड़ मतदाता मतदान करेंगे। चुनाव आयोग के मुख्य आयुक्त सुनील अरोड़ा ने इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि उम्मीदवारों की खर्च सीमा 28 लाख रुपये तय की गई है, चुनाव में प्लास्टिक का प्रयोग नहीं किया जाएगा।

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हरियाणा में यह 14वीं विधानसभा का चुनाव होगा। इस समय प्रदेश में भाजपा सत्तासीन है, जिसे हटाने के लिए प्रदेश के क्षेत्रीय दल व राष्ट्रीय कांग्रेस जोर आजमाईश कर रही है। विधानसभा की जंग जीतने के लिए भाजपा ने अपने बड़े-बड़े दिग्गजों का भरपूर सहयोग लिया है, लेकिन कांग्रेस की तरफ से ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाया गया।

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इनेलो की फूट पड़ी मंहगी
वहीं क्षेत्रीय दलों की बात करें तो एक समय में प्रदेश की सबसे शक्तिशाली पार्टी रहने वाली इंडियन नेशनल लोकदल इस समय शक्तिविहीन हो गई है। हालात यह पैदा हुए कि जब से पार्टी में परिवारिक कलह पनपी उसके बाद से पार्टी में भगदड़ मच गई। पिछले चुनावों में 19 विधायकों के साथ सदन में विपक्ष का ओहदा हासिल किया था, वहीं इस कार्यकाल के  खत्म होते-होते इनके विधायक पार्टी छोड़ गए।

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बाहरी दल भी मैदान में उतरेंगे
बाहरी दलों में आम आदमी पार्टी व बहुजन समाजवादी पार्टी ने भी इस बार हरियाणा विधानसभा के  रण में उतरने का ऐलान किया है। इसके साथ ही शिरोमणि अकाली दल ने भी भाजपा को चेताया है कि यदि 22 सितंबर तक उनकी बात नहीं बनती तो वे भी अपने दम पर हरियाणा का चुनाव अकेले लड़ेंगे। गौरतलब है कि अकाली हमेशा से भाजपा का सहयोगी दल रहा है। मुख्य बात यह है कि इस बार अभी तक किसी भी तरह का गठबंधन सामने नहीं आया है।

बगावत से जन्मे राजनीतिक दल
हरियाणा में राजनीतिक दलों में बगावत काफी पुरानी परंपरा रही है। इस बार बगावत ने काफी भीतरघात किया है। भाजपा में भी बगावत देखने को मिली, इसके बाद ही इनेलो भी बगावत का शिकार हुई। भाजपा के पूर्व सांसद रह चुके राजकुमार सैनी ने पिछले लोकसभा चुनावों से पहले ही बगावत के सुर छेड़ दिए थे। इसी बगावत के चलते उन्होंने लोकतंत्र सुरक्षा मंच की स्थापना की। सैनी आरक्षण के मुद्दे को लेकर भाजपा के खिलाफ थे। लोसुपा ने इस बार अकेले चुनाव लडऩे का ऐलान किया है, हालांकि इनका बसपा के साथ गठबंधन हुआ, लेकिन चल नहीं पाया है।

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वहीं बीते साल सोनीपत के गोहाना में चौधरी देवी लाल की सम्मान रैली में इनेलो की फूट जगजाहिर हुई। इनेलो में गुटबाजी चल रही थी, एक गुट अभय चौटाला के पक्ष में था, दूसरा दुष्यंत चौटाला के पक्ष में था। दुष्यंत गुट के अंदर धधक रहा लावा रैली के दौरान फूट पड़ा और ओम प्रकाश चौटाला के सामने ही अभय के भाषण के दौरान हूटिंग कर दी। इस पर ओपी चौटाला ने दुष्यंत चौटाला व दिग्विजय चौटाला पर अनुशासनहीनता के आरोप लगाकर उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया। जिसके बाद दुष्यंत ने अपने परदादा को मिली उपाधि जननायक के नाम पर नई पार्टी जननायक जनता दल का गठन किया। जेजेपी ने भी विधानसभा चुनाव अकेले ही लडऩे का ऐलान किया है।

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