किसानों को करोड़ों का फटका लगने की आशंका बढ़ी

Edited By Updated: 06 Feb, 2016 02:21 PM

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पिछली बार बेमौसमी बारिश ने गेहूं की फसल को भारी नुक्सान पहुंचाया था। इस बार बारिश की बजाय गर्मी की मार

जींद,(सुनील मराठा) : पिछली बार बेमौसमी बारिश ने गेहूं की फसल को भारी नुक्सान पहुंचाया था। इस बार बारिश की बजाय गर्मी की मार पड़ रही है। बेमौसमी गर्मी ने गेहूं की फसल को बुरी तरह से प्रभावित किया है और इसकी उपज 5 से 7 प्रतिशत तक कम रहने की आशंका जताई जा रही है। 

इस साल जिले में लगभग दो लाख हैक्टेयर जमीन में गेहूं की बिजाई की गई है। पिछले साल गेहूं की फसल पर बेमौसमी बारिश की मार पड़ी थी। ओलावृष्टि और भारी बारिश से गेहूं की फसल को पिछले साल उस समय नुक्सान हुआ था,जब गेहूं की फसल लगभग पकने को थी। उसके बाद धान की फसल ने किसानों को धोखा दिया। एक तो धान की उपज कम हुई और दूसरे उसके भाव किसानों को पिछले साल की तुलना में बहुत कम मिले। 

कपास के भाव भी पिटे और कपास की फसल को सफेद मक्खी ने भारी नुक्सान पहुंचाया था। ऐसे में धरतीपुत्रों की सारी उम्मीदें गेहूं की फसल पर थी। किसानों को उम्मीद थी कि गेहूं की इस बार बम्पर उपज होगी और समर्थन मूल्य पर गेहूं की फसल उनके आर्थिक घाटे को कुछ कम कर देगी,लेकिन मौसम किसानों पर इस साल गेहूं की फसल को लेकर कतई मेहरबान नहीं हुआ। इस साल गेहूं की फसल के समय आसमान से एक भी बूंद बारिश की नहीं हुई। कई साल में यह पहला मौका है जब गेहूं की फसल को बारिश का पानी नहीं मिल पाया। बारिश से गेहूं की फसल को दोहरा फायदा होता। एक तो आसमान से नाइट्रोजन बारिश के साथ गेहूं की फसल को मिल जाती और यह खाद का काम करती है तथा दूसरे बारिश होने से मौसम में कुछ दिन और ठंड बढ़ जाती तथा गेहूं की फसल के लिए ठंड निहायत जरूरी थी। 

 उपज होगी प्रभावित 

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस बार जिस तरह से सर्दी भी गर्म रही है, उससे गेहूं की उपज पर विपरीत असर पड़ेगा। गेहूं की फसल को फुटाव और अच्छी उपज के लिए मार्च तक ठंड की जरूरत रहती है। इस बार पूरा दिसम्बर बिना ठंड के गुजरा। जनवरी में महज एक सप्ताह 14 से 21 जनवरी तक जोरदार ठंड पड़ी तो दम तोड़ रही गेहूं की फसल को कुछ संजीवनी मिली थी लेकिन जनवरी जाते मौसम फिर रंग बदलने लगा और दिन काफी गर्म होने लगे।

तूड़ा भी होगा कम 


इस बार गेहूं की फसल में गर्मी के कारण न तो पूरा फुटाव हुआ और न ही गेहूं की फसल पूरी लंबाई ले पाई। इसका नतीजा यह है कि खेतों में गेहूं के पौधे अपेक्षाकृत कम और छोटे हैं। इससे गेहूं का तूड़ा भी कम होगा। किसानों को इससे भी काफी नुक्सान होगा। इस साल गेहूं के पौधे पिछले साल की तुलना में लगभग आधे कम लंबाई के हैं तथा फुटाव भी बहुत कम हुआ है। 

चेपा और पीला रतुआ लगने की आशंका

इस समय मौसम जितना गर्म हो रहा है उससे गेहूं की फसल में चेपा और पीला रतुआ लगने की भी आशंका है। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. यशपाल मलिक के अनुसार इस समय दिन का तापमान जितनी तेजी से बढ़ रहा है, वह गेहूं की फसल के लिए सही नहीं है। ऐसे मौसम में इसमें चेपा और पीला रतुआ बीमारी आने की आशंका बन जाती है। 

कम पेदावार

पिछले साल जिले में हुई थी 60,000 मीट्रिक टन गेहूं की उपज। इसमें अगर पांच प्रतिशत की भी कमी आई तो कुल मिलाकर पूरे जिले में 3000 मीट्रिक टन गेहूं की पैदावार कम होगी और इससे किसानों को करोड़ों रुपए का नुक्सान होगा।

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