पहली बार कांग्रेस छोड़ने पर खुलकर बोले अशोक तंवर (VIDEO)

Edited By Isha, Updated: 12 Feb, 2020 01:38 PM

हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने कांग्रेस क्यों छोड़ी इस पर कहा कि जब साथयों का कत्लेआम मैंने देखा,तो मैंने उस सड़क से रास्ते को ही बदल लिया। उनके अनुसार हरियाणा के लिए एक

चंडीगढ़(चन्द्रशेखर धरणी)- हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने कांग्रेस छोड़ने पर पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जब साथियों का कत्लेआम मैंने देखा, तो मैंने उस सड़क से रास्ते को ही बदल लिया। उनके अनुसार हरियाणा के लिए एक वैकल्पिक फोर्स और एक्शन प्लान तैयार करने की जरूरत है,पूरा देश आज नई लीडरशिप की तलाश में है। प्रस्तुत है विशेष बातचीत के प्रमुख अंश -

प्रश्न : दिल्ली में कांग्रेस की जो स्थिति रही इससे पहले यू.पी. में भी ऐसी ही स्थिति रही। कांग्रेस की दिन-ब-दिन ऐसी स्थिति क्यों होती जा रही है?
उत्तर : यह स्थिति इसीलिए ऐसी होती जा रही है क्योंकि ऐसा लगता है कि कुछ लोग कांग्रेस के खिलाफ बहुत व्यापक स्तर पर षड्यंत्र कर रहे है और कांग्रेस को खत्म करने की सुपारी ले ली है। मिली जुली सरकारें बन रही हैं। हरियाणा में भी ऐसे ही मिली-जुली पार्टियों की सरकार है।

कांग्रेस को 4 प्रतिशत से कुछ ऊपर वोट आया है। एक तरफ जहां ङ्क्षचता का विषय है वहीं यह दुर्भाग्यपूर्ण भी है कि जो कांग्रेस सबसे पुरानी पार्टी थी। उसको लोगों ने कहां लाकर खड़ा कर दिया है। अब यह जानबूझकर किया है या अनजाने में इसके लिए जिम्मेदारी तो किसी की तय होती नहीं है। अगर हमने संघर्ष नहीं किया होता तो यही हाल पार्टी का हरियाणा में भी होता। यह तो उस संघर्ष की बदौलत आज हरियाणा में कांग्रेस की ये स्थिति है। आज कोई स्लीपिंग पार्टनर है और कोई साइलेंट। बस सरकार में लोगों की पार्टनरशिप चल रही है। जम्मू-कश्मीर से लेकर हरियाणा और दिल्ली सब जगह पार्टनर शिप ही है।

प्रश्न : क्या आप अपने संघर्ष के दौरान के पुराने सीथियों को संगठित कर रहे हंै?
उत्तर : देखिए जो मेरे बारे में या मेरी कार्यप्रणाली और कमिटमेंट के बारे में जानते हैं व जो साथी यह महसूस करते हैं कि हमें हरियाणा को बचाना है और आगे लेकर जाना है। उन साथियों का हम सहयोग लेंगे और उनकी भी पूरी मदद करेंगे।

प्रश्न : क्या देवेंद्र बबली जैसे पुराने साथी आपके संपर्क में हैं? क्या वे पुन: आपके साथ चल सकते हैं?
उत्तर : मैं तो यही कहूंगा कि जनता ने उन्हें मौका दिया है। वह अपनी दृढ़ता दिखाएं। जनता की आवाज मजबूती से उठाएं चाहे वह भ्रष्टाचार के मामले हों या कर्मियों के मामले। वह सही लड़ाई लडऩे का काम करेंगे और मेरा उनको पूरा समर्थन रहेगा।

प्रश्न : गिरोह से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर :  गिरोह कई तरह के हैं। समय आने पर उनके खुलासे करेंगे।

प्रश्न : ऐसी चर्चाएं हैं कि आप राहुल गांधी के बहुत करीब रहे हैं और भविष्य में उनकी अगर पुन: ताजपोशी होती है तो आपका मान-मनौव्वल हो सकता है?
उत्तर : संकेत तो सारे साफ हैं। अब दिल्ली में जिस तरह के नतीजे आए हैं मैं समझता हूं कि कहीं न कहीं मामला दिशाहीन है। ऐसे में सब साथियों को मिलकर एक देश के लिए और हरियाणा के लिए एक वैकल्पिक  फोर्स और एक्शन प्लान तैयार करने की जरूरत है। पूरा देश आज नई लीडरशिप की तलाश में है।

प्रश्न : तीसरे विकल्प की आप बात कर रहे हैं। हरियाणा में आपको इसकी जरूरत क्यों महसूस हो रही है?
उत्तर :  जरूरत तो बिल्कुल महसूस होगी। जब कुछ लोग काम कर ही नहीं रहे तो लडऩा तो पड़ेगा और विकल्प की तलाश तो होगी। भ्रष्टाचार है, लूट है, जो वायदे सरकार ने किए थे वे पूरे नहीं हो रहे। 16 तारीख को करनाल में जो स्वाभिमान कार्यक्रम हो रहा है उसमें साथियों के साथ मिलकर हम आगे की चर्चा करेंगे।

प्रश्न : आपकी प्रदेश में पहले की तरह सक्रियता पुन: कब देखने को मिलेगी?
उत्तर :  हम तो अब भी सक्रिय हैं। स्वास्थ्य की वजह से पिछले कुछ समय से जितनी सक्रियता हम रखते थे उतनी नहीं रख सके। जहां जरूरत होगी वहां मैं और मेरे साथी हमेशा अगली पंक्ति में होंगे और हरियाणा को लूटने वाले लोगों का संहार लोकतांत्रिक तरीके से करेंगे।

प्रश्न : हरियाणा में  भाजपा सरकार 100दिन पूरे होने पर अपनी पीठ थपथपा रही है,इस बारे में आपका क्या दृष्टिकोण है?
उत्तर :  मैं तो यह कहूंगा कि दोनों ने ही कुछ नहीं किया। न सरकार ने और न ही विपक्ष कुछ कर रहा है। विपक्ष की भी कोई जिम्मेदारी है अगर विपक्ष ने कुछ करना ही नहीं होता तो ये पद ही क्यों बनाते हैं। ये पद सरकार पर लगाम कसने के काम करते हैं लेेकिन वो सिर्फ बातें करते हैं। जबकि उन्हे चाहिए कि वे जमीन पर आकर संघर्ष करें रजाई से निकलें। स्लीपिंग पार्टनर और साइलेंट पार्टनर बनने का सिलसिला बंद करें।

 प्रश्न : आपके कांग्रेस में पुन: जाने के क्या कोई विकल्प खुले हैं?
उत्तर : जिस तरह के हालात बने हैं उसके बाद मुझे नहीं लगता कि वहां वापसी जाने की कोई बात हो। यह लड़ाई मेरी व्यक्तिगत नहीं थी बल्कि मेरे साथियों की लड़ाई थी। जिनकी मेहनत को,पार्टी के प्रति उनके समर्पण और सड़कों पर उनके संघर्ष को जब अनदेखा किया गया तो मुझे फैसला लेना पड़ा। मुझे नहीं लगता कि उस दिशा में अब जाने की जरूरत है,जहां इस तरीके से भेदभाव होता हो। जहां गिरोह काम कर रहे हों।

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