Edited By Yakeen Kumar, Updated: 03 Feb, 2025 06:06 PM
प्रदेश भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेता एवं सदा अपनी ताकत के दम पर लोगों के दिलों को जीतने वाले एक अजय प्रत्याशी के रूप में पहचान बना चुके प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल विज बेशक 2024 केविधानसभा चुनाव में जनता के प्रतिनिधि के रूप में अंबाला कैंट से चुने गए...
चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी) : प्रदेश भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेता एवं सदा अपनी ताकत के दम पर लोगों के दिलों को जीतने वाले एक अजय प्रत्याशी के रूप में पहचान बना चुके प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल विज बेशक 2024 केविधानसभा चुनाव में जनता के प्रतिनिधि के रूप में अंबाला कैंट से चुने गए हो, बेशक यह जीत उनकी जनता में मजबूत पकड़ को साबित कर गई हो, बेशक उनकी वरिष्ठता को अनदेखा न कर पाने के कारण वह मंत्री बनाए गए हो, लेकिन हाल ही में लगातार अनिल विज जैसे बेहद सूझबूझ वाले अनुभवी नेता द्वारा कुछ नेताओं को लेकर लगातार टिप्पणियां करने का साफ मतलब है कि प्रदेश भाजपा की राजनीति में कुछ ना कुछ गड़बड़ अवश्य है।
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल विज आज मीडिया और सोशल मीडिया में खूब छाए हुए हैं, क्योंकि वह सीधे तौर पर उनके चुनाव के दौरान कुछ बड़े नेताओं की गतिविधियों, कार्यशैली और सोच पर सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं। लगातार उनका हमला प्रदेश सरकार के मुखिया पर देखा जा रहा है। प्रदेश के कोने-कोने में एक बेहद मजबूत पकड़ रखने वाले, बड़ी फैन फॉलोइंग रखने वाले और अपने कड़क -बेबाक मिजाज के दम पर प्रदेश ही नहीं नेशनल लेवल की मीडिया में सुर्खियां बनने वाले अनिल विज कुछ दिनों से अपने ही नेताओं से काफी रुष्ट और रूठे हुए नजर आ रहे हैं। कभी विपक्षी दलों पर आक्रामक प्रवृत्ति रखने वाले अनिल विज आज अपने ही नेताओं को कटघरे में खड़े नजर करते आ रहे हैं।
आखिर मुख्यमंत्री के खिलाफ इतना खुलकर क्यों बोल रहे हैं विज ?
कुछ दिन पहले जब प्रदेश अध्यक्ष से संबंधित विवादित मामला सामने आया तो एकमात्र अनिल विज ही ऐसे नेता नजर आए जिन्होंने इस गरिमामई पद से इस्तीफा देने तक की मांग कर डाली थी और अब प्रदेश के मुख्यमंत्री को लेकर उनकी टिप्पणियां किसी से छुपी नहीं है। बेहद जिम्मेदारी के साथ परिपक्व राजनीति करने वाले और नपे तुले बयान देने वाले अनिल विज की भाषाशैली में इतना बड़ा बदलाव का कारण कोई आम नहीं माना जा सकता। वैसे तो अनिल विज की बात करें तो पूर्व में जब एकाएक प्रदेश के मुख्यमंत्री बदलने का फैसला केंद्रीय नेतृत्व द्वारा लिया गया था और मुख्यमंत्री उनकी बजाए नायब सिंह सैनी को बना दिया गया था उसी दिन से अनिल विज की नाराजगी जग जाहिर हो चुकी थी। लेकिन मान मनव्वल और समय की गंभीरता को समझते हुए अनिल विज को मना लिया गया और अनिल विज मान भी गए। लेकिन कुछ दिनों से अनिल विज पहले से कहीं अधिक बेहद आक्रामक नजर आ रहे हैं।
पूर्व में अनिल विज ही एकमात्र भाजपा के विधायक ऐसे थे जो विपक्ष के हर सवाल और हर आरोप का जवाब जबरदस्त तरीके से देकर अपनी सरकार का बचाव करते थे। अतीत में जब भाजपा के चुनिंदा विधायक ही विधानसभा पहुंचने थे उस दौरान भी तत्कालीन सरकारों के खिलाफ उनका रवैया बेहद ताकतवर तरीके से रहता था। लेकिन आज वह खुद के नेताओं से ही नाराजगी से भरे बयान दे रहे हैं। अब हाल ही में उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट सार्वजनिक की है। जिसमें उन्होंने विधानसभा चुनाव में उन्हें हारने के लिए कुछ नेताओं पर सवालिया निशान खड़ा किया है। इस पोस्ट में एक आशीष तायल को लेकर लिखा गया है। आखिर क्या लिखा है इस पोस्ट में ? कौन है आशीष तायल और उनकी अंबाला विधानसभा चुनाव में अनिल विज के खिलाफ और कांग्रेसी उम्मीदवार चित्रा सरवारा के हक में गतिविधियों को लेकर अनिल विज ने यह पोस्ट क्यों की?
विज की पोस्ट ने प्रदेश की राजनीति में मचाई हलचल
दरअसल इस पोस्ट में अनिल विज ने लिखा है कि आशीष तायल जो खुद को नायब सैनी का मित्र बताते हैं, उनकी फेसबुक पर नायब सिंह सैनी के साथ अनेकों चित्र मौजूद है, आशीष तायल के साथ विधानसभा चुनाव के दौरान जो कार्यकर्ता नजर आ रहे हैं वही कार्यकर्ता चित्रा सरवारा भाजपा विरोधी उम्मीदवार के साथ भी नजर आ रहे हैं। यह रिश्ता क्या कहलाता है...? आशीष तायल आज भी नायब सैनी के परम मित्र बने हुए हैं तो फिर प्रश्न उठता है भाजपा उम्मीदवार की मुखालफत किसने करवाई ? यानि इस पोस्ट में उन्होंने साफ तौर पर यह लिखा है कि नायब सिंह सैनी के मित्र आशीष तायल ने किसके कहने पर अनिल विज को हारने के लिए कांग्रेसी उम्मीदवार चित्रा सरवारा का साथ दिया।
उन्होंने इस पोस्ट के दौरान कई फोटो भी सार्वजनिक किए हैं, जिसमें आशीष तायल मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ हैं और उन्होंने उन व्यक्तियों के भी फोटो साझा किए हैं जो आशीष तायल और कांग्रेसी उम्मीदवार चित्रा सरवारा के साथ मौजूद हैं। सबूतों के साथ सार्वजनिक की गई यह पोस्ट उनकी नाराजगी को उचित साबित कर रही है। इसीलिए वह मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। उनकी इस पोस्ट से प्रदेश की राजनीति में हलचल अवश्य ही मच गई है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित कार्यकर्ता हमेशा रहे हैं विज
अपनी पूरी उम्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा को समर्पित कर देने वाले अनिल विज अंबाला छावनी के अजय प्रत्याशी के रूप में जाने जाने वाले नेता हैं। पूरे प्रदेश के कोने कोने में एक बड़ी संख्या उनके चाहने वाले लोगों की है। अपनी कॉलेज की पढ़ाई के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में अनिल विज शामिल हुए थे। बेहद आक्रामक भाषाशैली, कड़े तेवरों व युवाओं में एक बड़ी पकड़ बना चुकने के दम पर 1970 में उन्हें एबीवीपी का महासचिव बनाया गया। विश्व हिंदू परिषद, भारत विकास परिषद जैसे कई संगठनों में उनकी भूमि का बेहद सक्रिय रही है। संघ की विचारधारा से बेहद प्रभावित रहने वाले विज ने संगठन में बहुत से युवाओं को जोड़ने का काम किया था। 1974 में भारतीय स्टेट बैंक में नौकरी लग जाने के बावजूद वह संघ तथा पार्टी के हर कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भाग लेते थे।
भाजपा के पास 7 बार जीत दर्ज करने वाले एकमात्र नेता है विज
अंबाला छावनी की विधायक सुषमा स्वराज के अचानक निधन के पश्चात विज की लोकप्रियता और आक्रामक स्टाइल को देखते हुए जबरदस्ती पार्टी ने उपचुनाव के लिए तैयार किया। नौकरी न छोड़ने की चाहत के बावजूद संघ के मुख्य किरदारों के कहने के कारण उन्हें सरकारी सेवाओं से रिजाइन कर चुनाव लड़ना पड़ा और जिस दौरान भाजपा का नाम लेवा भी प्रदेश में कहीं-कहीं था, उन्होंने एक बड़े अंतर से भाजपा की झोली में अंबाला छावनी की सीट डालने का काम किया। भारतीय जनता पार्टी ने 1991 में उन्हें युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बनाने का बड़ा निर्णय लिया। अचानक सियासी माहौल बदलने के कारण उन्होंने 1996 और 2000 में निर्दलीय तौर पर अंबाला छावनी से चुनाव लड़ा और जीता।
अन्य कई राजनीतिक दलों से बड़े-बड़े ऑफर आने के बावजूद उनकी निष्ठा तथा समर्पित भाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा में ही रही। निर्दलीय तौर पर जनता की आवाज को बुलंद करने वाले अनिल विज ने किसी भी अन्य राजनीतिक दल का दामन नहीं थामा। जानकारी अनुसार विपक्षी दलों द्वारा कई बार उन्हें कैबिनेट मंत्री के साथ-साथ उपमुख्यमंत्री की ऑफर तक की गई। लेकिन अपने असूलों के साथ कभी समझौता न करने वाले अनिल विज ने प्रदेश के इन सभी पदों तक को ठुकरा दिया। आखिरकार फिर से समय ने करवट ली और उनकी लोकप्रियता और पार्टी समर्पण को मानते- समझते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दखल से वह फिर भाजपा में शामिल हुए। 2009- 2014- 2019 में विधायक बनने के बाद 2024 में सातवीं बार अंबाला छावनी की जनता ने उन्हें अपना प्रतिनिधि बनाया।