जम्मू-कश्मीर के डोडा में शहीद हुए विकास राघव पंचतत्व में हुए विलीन, 2 महीने बाद होनी थी शादी

Edited By Manisha rana, Updated: 25 Aug, 2024 11:36 AM

vikas raghav who was martyred in doda of j k was immersed in the five elements

जम्मू- कश्मीर के डोडा में सर्च ऑपरेशन के दौरान मां भारती की रक्षा करते हुए देश के नाम शहादत देने वाले हरियाणा के जिला गुरूग्राम के खंड सोहना के राजपूत बामूल्य गांव दौहला के निवासी विकास राघव का पार्थिव शरीर शनिवार शाम उनके पैतृक गांव दौहला पहुंचा

सोहना (सतीश कुमार राघव) : जम्मू- कश्मीर के डोडा में सर्च ऑपरेशन के दौरान मां भारती की रक्षा करते हुए देश के नाम शहादत देने वाले हरियाणा के जिला गुरूग्राम के खंड सोहना के राजपूत बामूल्य गांव दौहला के निवासी विकास राघव का पार्थिव शरीर शनिवार शाम उनके पैतृक गांव दौहला पहुंचा जहां पर पहले तो उनके शव को अंतिम दर्शन के लिए उनके घर पर लाया गया। उसके बाद भारी भीड़ के बीच शहीद के माता- पिता सहित परिजनों ने बेटे विकास राघव की शहादत पर गर्व करते हुए अंतिम बार दर्शन किए। गमगीन माहौल के बीच देश के नाम शहादत देने वाले विकास राघव के पार्थिव को कंधों पर रखकर हजारों की भीड़ के साथ गांव की शमशान भूमि में ले जाया गया, जहां पर लोगों, स्थानीय नेता, स्थानीय प्रशानिक अधिकारी व सेना के अधिकारियों ने विकास के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें श्रदांजलि दी तो वही सेना की टुकड़ी ने उन्हें सलामी दी। इस गमगीन माहौल के बीच पिता सूरजपाल सिंह ने अपने हाथों अपने शहीद पुत्र को मुखाग्नि देते हुए अपनी नम आंखों से बेटे की शहादत पर गर्व किया। बताया जा रहा  है कि एक महीने पहले विकास राघव की रिंग सेरेमनी हुई थी और 17 नवंबर को उनकी शादी होनी थी। 

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बता दें कि जम्मू कश्मीर के डोडा में सर्च ऑपरेशन के दौरान माँ भारती की रक्षा करते हुए देश के नाम बलिदान देने वाले विकास राघव के पार्थिव शरीर को भारतीय सेना द्वारा एक विशेष विमान के द्वारा दिल्ली एयरपोर्ट लाया गया, जिसके बाद भारतीय सेना की गाड़ी में उनके पार्थिव शरीर को मोटरसाइकिल रैली व भारी गाड़ियों के काफिले के साथ विकास राघव अमर रहे, वंदे मातरम व भारत माता की जय के उद्घोषों के साथ उनके पैतृक गांव दौहला में उनके घर पर अंतिम दर्शन के लिए लाया गया। गमगीन माहौल के बीच पार्थिव शरीर को शमशान भूमि ले जाया गया और राजकीय व सैन्य सम्मान के साथ शहीद के शव को पंचतत्व में विलीन किया गया। हालांकि इस मौके पर गांव व परिजनों की तरफ से माँ भारती के लिए बलिदान देने वाले शहीद सैनिक के लिए गांव के स्कूल को उनके नाम का दर्जा देने या फिर शहीद बनाने जैसी कोई मांग नहीं की गई है। 

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वहीं विकास राघव एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता था, जो कि अपने भाई बहनों में सबसे छोटा था। विकास राघव का एक बड़ा भाई और एक बड़ी बहन है। जिसकी शादी करीब दो साल पहले हो चुकी है। वहीं विकास के बड़े भाई की शादी भी हो चुकी है। जो कि एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता है वहीं विकास परिवार में सबसे छोटा था जिसकी शादी अभी दो माह बाद होनी थी। विकास के पिता पहले प्राइवेट जॉब करते है, लेकिन फिलहाल घर पर ही रहते है। जिसकी माता गृहणी है।

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