हरियाणा के लिए अलग विधानसभा भवन बनाने की मांग पर उप-राष्ट्रपति ने जताई सहमति

Edited By Vivek Rai, Updated: 06 May, 2022 09:26 PM

vice president agreed on demand to build separate assembly building for state

हरियाणा प्रदेश के लिए अलग विधानसभा भवन बनाने की मांग को लेकर आज विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाकात की। इसी के साथ उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रदेश का हिस्सा देने संबंधी मांग भी उप-राष्ट्रपति के सामने रखी।...

चंडीगढ़(धरणी): हरियाणा प्रदेश के लिए अलग विधानसभा भवन बनाने की मांग को लेकर आज विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाकात की। इसी के साथ उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रदेश का हिस्सा देने संबंधी मांग भी उप-राष्ट्रपति के सामने रखी। विस अध्यक्ष गुप्ता की दोनों ही मांगों के लेकर उप-राष्ट्रपति ने सहमति जताई।

दरअसल भारत के उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू शुक्रवार को चंडीगढ़ पहुंचे। अरसे से हरियाणा की नई विधानसभा के लिए प्रयासरत विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता को इस मौके पर बड़ी कामयाबी मिली है। उप-राष्ट्रपति ने हरियाणा के लिए नई विधान सभा और पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रदेश का हिस्सा देने संबंधी विस अध्यक्ष की दोनों मांगों पर सहमति जताई है। एम. वेंकैया नायडू ने विस अध्यक्ष को आश्वासन दिया है कि वे इस मामले में शीघ्र ही केंद्रीय गृह मंत्री से बात करेंगे।  

शुरू से ही प्रदेश के लिए नया विधानसभा भवन बनवाने की मांग कर रहे विस अध्यक्ष

बता दें कि हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष, ज्ञानचंद गुप्ता शुरू से ही प्रदेश के लिए नया विधानसभा भवन बनवाने और पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा को हिस्सा दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। इस दिशा में वे कोई भी अवसर हाथ से नहीं जाने देते। शुक्रवार को जैसे ही देश के उप-राष्ट्रपति चंडीगढ़ पहुंचे तो विस अध्यक्ष ने पंजाब राजभवन पहुंच उनके साथ विशेष मुलाकात कर हरियाणा के लिए नई विधानसभा और पंजाब विश्वविद्यालय में हिस्सा दिलवाने की मांग की। उप-राष्ट्रपति ने दोनों मांगों पर सहमति जताई है। गौरतलब है कि देश के उप-राष्ट्रपति पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति भी हैं।

हरियाणा के मुख्यमंत्री, लोक सभा अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री को भी लिख चुके हैं पत्र

हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने उप-राष्ट्रपति को बताया कि इस सिलसिले में वे इससे पूर्व हरियाणा के मुख्यमंत्री, लोक सभा अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री को भी पत्र लिख चुके हैं। गुप्ता ने लोक सभा अध्यक्ष और गृह मंत्री से हुई मुलाकात का ब्योरा भी उप-राष्ट्रपति के संज्ञान में लाया। विस अध्यक्ष ने अपनी मांगों के संबंध में दो विस्तृत पत्र भी उप-राष्ट्रपति को सौंपे। उन्होंने बताया कि बदलते दौर में संसदीय कार्य का स्वरूप बदल रहा है। इसके लिए न सिर्फ पर्याप्त स्थान चाहिए बल्कि आधुनिक तकनीक से लेस संचार ढांचा भी इस समय की जरूरत बन चुका है। इसलिए हरियाणा सरकार ने भी चंडीगढ़ प्रशासन से नए विधानसभा भवन के लिए जगह की मांग की है। गुप्ता ने कहा कि हरियाणा के अस्तित्व में आने के करीब 56 साल बाद भी हरियाणा विधानसभा स्थान का अभाव झेल रही है। पंजाब से बंटवारे के वक्त हुए समझौते के अनुसार हरियाणा को उसका पूरा हिस्सा नहीं मिल पाया है। दोनों प्रांतों का एक ही विधानसभा भवन होने के कारण अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है।

मौजूदा विधानसभा में नहीं हैं प्रयाप्त स्थान- ज्ञानचंद गुप्ता

देश के दूसरे राज्यों की मिसाल देते हुए गुप्ता ने कहा कि सभी राज्यों और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों के पास स्वतंत्र विधान भवन है। छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलगाना, उत्तराखंड, असम और इसके अलावा कुछ ऐसे भी उदाहरण है, जहां पहले से विधानसभा भवन की इमारत होने के बावजूद समय की मांग के अनुसार नवनिर्माण किए गए। इतना ही नहीं देश की राजधानी दिल्ली में भी आवश्यकताओं के अनुसार नया संसद भवन बनाया जा रहा है। विधान सभा अध्यक्ष ने पत्र में कहा है कि 2026 में प्रस्तावित परिसीमन में हरियाणा में लोक सभा की 14 और विधान सभा की 126 सीटें होने का अनुमान है, लेकिन विधानसभा के सदन में 90 विधायकों के बैठने की ही व्यवस्था है। इसके अलावा एक भी विधायक के लिए स्थान बनाना यहां मुश्किल काम है। गुप्ता ने कहा कि 2026 के लिए 5 वर्ष से भी कम समय शेष हैं, इसलिए इस दिशा में अभी से विचार कर योजना बनानी होगी।

इसके  अलावा विधानसभा सत्र के दौरान मंत्रियों, समिति चैयरपर्सनस और विधायकों के बैठने का भी पर्याप्त स्थान नहीं है। पंजाब विधानसभा के लगभग सभी मंत्रियों को सत्र के दौरान उनके कार्यालय के लिए स्वतंत्र कमरों का प्रावधान है। वहीं, हरियाणा विधानसभा में मुख्यमंत्री के अलावा किसी भी मंत्री या समितियों के चैयरपर्सनस के बैठने के लिए व्यवस्था नहीं है। इस कारण से समितियों की बैठके सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है। इतना ही नहीं हरियाणा विधानसभा सचिवालय में सेवारत करीब 350 अधिकारियों व कर्मचारियों के बैठने के लिए भी पर्याप्त स्थान नहीं है। इस कारण से एक कमरे में 3 से 4 शाखाओं को समयोजित करना पड़ा है। दो प्रदेशों का साझा विधान भवन होने के कारण पार्किंग समस्या भी परेशानी का सबब बन चुकी है। सत्र के दिनों में यह समस्या और ज्यादा बढ़ जाती है। इसके साथ ही प्रवेश द्वारों का मसला भी कई बार सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी बन जाता है। पंजाब विधानसभा की तर्ज पर हरियाणा विधानसभा परिसर में भी विधायक दलों के स्वतंत्र कार्यालयों का प्रावधान संसदीय कार्य की जरूरत बन चुका है। वर्तमान हरियाणा विधानसभा के पास जो स्थान उपलब्ध है, उसमें इस प्रकार की व्यवस्था करना संभव नहीं है।

इसके साथ ही पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा की हिस्सेदारी का मामला विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने मुखरता से उठाया। विस अध्यक्ष ने पंजाब विश्वविद्यालय की मूल स्थिति और हरियाणा के हिस्से की बहाली की मांग की। उन्होंने बताया कि इससे पहले वे 2017 में इस मामले को तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के सम्मुख भी उठा चुके हैं। इतना ही नहीं वे उपराष्ट्रपति को भी इस विषय में पत्र लिख चुके हैं। पंचकूला जिले के छात्र-छात्राओं की मांग को दोहराते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि जिले के सभी कॉलेजों को पंजाब विश्वविद्यालय से संबद्ध करना चाहिए। ऐसा नहीं होने के कारण इन युवाओं का हक मारा जा रहा है। गुप्ता ने कहा कि पंचकूला जिले के कॉलेजों को इस विश्वविद्यालय के साथ जोड़ने से उन्हें 85 फीसदी कोटे के तहत दाखिला मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा-पंजाब के बंटवारे के वक्त भी विश्वविद्यालय में दोनों प्रदेशों को 40:60 का हिस्सा देने का प्रावधान हुआ था। इसलिए 100 किलोमीटर तक के दायरे में आने वाले अंबाला और यमुनानगर के कॉलेजों को भी इस विश्वविद्यालय के साथ जोड़ने पर विचार करना चाहिए।

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