Edited By Nitish Jamwal, Updated: 16 Jul, 2024 12:21 PM
पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर को खोलने को लेकर अभी संशय बना हुआ है। 10 जुलाई 2024 को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को शंभू बॉर्डर पर लगी 8 लेयर की बैरिकेडिंग हटाने के आदेश दिए थे।
चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी): पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर को खोलने को लेकर अभी संशय बना हुआ है। 10 जुलाई 2024 को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को शंभू बॉर्डर पर लगी 8 लेयर की बैरिकेडिंग हटाने के आदेश दिए थे। वहीं आज आज इसका अंतिम दिन है। ऐसे में देखना होगा की आखिर सरकार हाई कोर्ट का आदेश की पालना करती हुई बॉर्डर को खोलती है या नहीं।
पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट की ओर से हरियाणा सरकार को एक सप्ताह में शंभू बॉर्डर खोले जाने के आदेश दिए जाने के बाद भी बॉर्डर से बेरिकेडिंग नहीं हटाई गई है। बॉर्डर से बेरिकेडिंग हटाने की बजाए सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी याचिका दायर की है, जिस पर 18 जुलाई को सुनवाई होनी है। वहीं, पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में मामले को लेकर 28 मई की तारीख पहले से ही निर्धारित है। ऐसे में सरकार की ओर से हरियाणा के अलग-अलग हिस्सों में बेरिकेडिंग करके बंद किए गए हाइवे खुलवाने की लड़ाई लड़ रहे एडवोकेट उदय प्रताप सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।
एक सप्ताह में खोलने के थे आदेश
एडवोकेट उदय प्रताप ने बताया कि उनकी ओर से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें पिछले 6 महीने से बंद पड़े शंभू बॉर्डर को खुलवाने की अपील की गई थी। इसे लेकर कोर्ट ने उनकी ओर से दी गई दलीलें को सही मानते हुए बीती 10 मई को हरियाणा सरकार को एक सप्ताह के भीतर शंभू बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार ने कोर्ट के आदेश मानने के स्थान पर उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर कर दी।
सरकार की ओर से धमकाए गए थे किसान
एडवोकेट उदय प्रताप ने बताया कि 13 फरवरी को किसानों की ओर से दिल्ली चलो का नारा दिए जाने के बाद सरकार की ओर से शंभू बॉर्डर पर बेरिकेडिंग की थी, जिस पर उन्होंने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। उनकी ओर से कोर्ट में तर्क दिया गया था कि सरकार की ओर से गांव-गांव में जाकर किसानों को धमकाने का काम भी किया गया था, जिसमें बॉर्डर पर धरने में शामिल होने पर उनके पासपोर्ट और ट्रैक्टर सीज करने की बात कही गई थी। इसके अलावा उन्होंने कोर्ट को बताया था कि 6 महीने से बॉर्डर के रास्ते बंद होने के कारण आम जनता को आवाजाही में काफी असुविधा हो रही है औऱ साथ ही किसानों के मूलभुत अधिकारों का भी हनन हो रहा है।
अवहेलना की याचिका करेंगे दायर !
हरियाणा सरकार की ओर से हाई कोर्ट के आदेश की पालना नहीं करने पर एडवोकेट उदय प्रताप ने कहा कि यदि जरूरी हुआ तो वह मामले में सरकार के खिलाफ कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने की याचिका भी दायर कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट भी कर चुका है टिप्पणी
एडवोकेट उदय प्रताप ने बताया कि सरकार की ओर से आंदोलनकारी किसान शुभकरण की मौत के मामले में बनी एसआईटी की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया था, जिसकी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट भी शंभू बॉर्डर खोले जाने को लेकर टिप्पणी कर चुका है। उन्होंने बताया कि अपनी टिप्पणी में कोर्ट के न्यायधीश ने कहा था कि किसी भी सरकार को हाइवे बंद करने का अधिकार नहीं है। किसान भी इस देश के निवासी है। इसलिए उन्हें दिल्ली जाने का पूरा अधिकार है, लेकिन इसके बाद भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी। अब वह 18 तारीख को सुनवाई के दौरान मामले में अपना पक्ष रखेंगे।
बता दें कि फिलहाल शंभू बॉर्डर पर लगी 8 लेयर की बैरिकेडिंग फिलहाल नहीं हटी है। हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही है। हरियाणा सरकार की तरफ से उच्चतम न्यायालय में दायर स्पेशल लीव पिटीशन (DLP) पर इस हफ्ते सुनवाई हो सकती है। हरियाणा सरकार की ओर से बीते सप्ताह एसएलपी दायर की गई थी। वहीं हरियाणा-पंजाब के बीच शंभू बॉर्डर पर डटे किसानों दिल्ली कूच को लेकर रणनीति बना रहे है। आज चंडीगढ़ में किसान नेता जगजीत डल्लेवाल प्रेस वार्ता कर अपनी आगामी रणनीति के बारे में बताएंगे।
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