Haryana Womens: हरिय़ाणा की महिलाओं के हाथों का हुनर, क्रिसमस पर ऑस्ट्रलिया-अमेरिका जैसे देश होंगे रोशन

Edited By Manisha rana, Updated: 24 Dec, 2025 11:04 AM

the skills of the women of haryana

बराड़ा के गांव सिंबला में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा  शुरू की गई मोमबत्ती निर्माण की पहल अब गांव की पहचान को देश-विदेश तक पहुंचा रही है।

बराड़ा (अनिल कुमार) : बराड़ा के गांव सिंबला में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा  शुरू की गई मोमबत्ती निर्माण की पहल अब गांव की पहचान को देश-विदेश तक पहुंचा रही है। इस बार सिंबला गांव में तैयार की गई मोमबत्तियां न केवल देश के विभिन्न हिस्सों में, बल्कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी क्रिसमस के अवसर पर रोशनी बिखेरेंगी।

महिलाओं की आमदनी में हो रही वृद्धि

गांव के स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं द्वारा आकर्षक डिजाइन और बेहतर गुणवत्ता की मोमबत्तियां तैयार की जा रही हैं। इन मोमबत्तियों की मांग लगातार बढ़ रही है, जिसके चलते इन्हें देश के कई राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी भेजा गया है। इससे महिलाओं की आमदनी में वृद्धि हो रही है और वे आर्थिक रूप से मजबूत बन रही हैं। समय सहायता समूह को दी जा रही आर्थिक मदद के लिए लोगों ने सरकार का आभार जताया।  उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विशेष कदम उठा रही है इससे महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं सरकार की इन कल्याणकारी योजनाओं के लिए वह सरकार का आभार व्यक्त करते है। 

सिंबला गांव की ममता दत्ता ने बताया कि स्वयं सहायता समूह खुशी से अनेक महिलाएं जुड़ी है। उनका स्वयं सहायता समूह मोमबत्तियों सहित कई अन्य उत्पाद तैयार करता है। उन्होंने कहा कि दिवाली से लेकर क्रिसमस तक उनके समूह द्वारा बनाई गई मोमबत्तियों की बाजार में भारी मांग रहती है। सिंबला गांव में निर्मित इन मोमबत्तियों को लोग विदेशों में रह रहे अपने परिजनों को भी भेजते हैं। ममता दत्ता ने बताया कि इस कार्य से महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि समाज में उन्हें एक नई पहचान भी मिली है। उन्होंने महिलाओं को आगे बढ़ाने वाली सरकारी योजनाओं के लिए सरकार का आभार भी व्यक्त किया।

हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के खंड कार्यक्रम प्रबंधक निरंजन खंडेलवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि बराड़ा खंड में वर्तमान में 791 स्वयं सहायता समूह कार्यरत हैं, जिनसे करीब 8000 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। उन्होंने बताया कि इन समूहों को अब तक एक करोड़ 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जा चुकी है।  निरंजन खंडेलवाल ने कहा कि सरकार का उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है और इस दिशा में स्वयं सहायता समूह एक प्रभावी माध्यम साबित हो रहे हैं। सिंबला गांव में बनी मोमबत्तियों का विदेशों तक पहुँचना इस बात का प्रमाण है कि ग्रामीण महिलाएं भी मेहनत और सहयोग से वैश्विक पहचान बना सकती हैं। इससे न केवल महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि पूरे क्षेत्र को एक नई पहचान भी मिली है।

चंडीगढ़ से आई भारती ने बताया कि वह विशेष तौर पर सिंबला गांव से मोमबत्तियां खरीदने पहुंची हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन देना महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। “इस तरह की योजनाओं से महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं और अपने हुनर को पहचान दिला रही हैं।” वहीं सिंबला गांव के निवासी नीरज कुमार ने कहा कि सरकार की इस योजना से गांव को एक नई पहचान मिली है। उन्होंने बताया कि स्वयं सहायता समूह द्वारा तैयार किए गए उत्पादों की मांग अब ग्रामीण क्षेत्र तक सीमित नहीं रही, बल्कि शहरी और विदेशी बाजारों तक पहुंच चुकी है। नीरज कुमार ने महिलाओं द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए प्रदेश सरकार का आभार भी व्यक्त किया।

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