Edited By Isha, Updated: 18 Aug, 2024 02:38 PM
गर्मी के इस मौसम में विधानसभा चुनाव को लेकर हरियाणा के सियासी जगत में पहले से हो रही तपिश अब चुनावी घोषणा के बाद और गर्मा गई है। बीजेपी-कांग्रेस की सीधा लड़ाई वाले चुनावी माहौल में अन्य राजनीतिक दल इनके वोटरों में सेंध लगाकर चुनाव का गणित बिगाड़...
चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): गर्मी के इस मौसम में विधानसभा चुनाव को लेकर हरियाणा के सियासी जगत में पहले से हो रही तपिश अब चुनावी घोषणा के बाद और गर्मा गई है। बीजेपी-कांग्रेस की सीधा लड़ाई वाले चुनावी माहौल में अन्य राजनीतिक दल इनके वोटरों में सेंध लगाकर चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं।
चुनावी घोषणा से पहले ही हरियाणा में सभी राजनीतिक दल चुनावी मोड में आ चुके थे। ऐसे में चुनावी घोषणा से पहले जहां मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी लगातार एक के बाद एक ताबड़तोड़ घोषणाएं कर रहे थे। वहीं, अब उन्होंने कैबिनेट बैठक में सभी घोषणाओं पर मुहर लगाकर गेंद को चुनाव आयोग के पाले में फेंक दिया है। इसके अलावा पिछले 10 साल से सत्ता में आने के लिए बेकरार कांग्रेस के नेता भारतीय जनता पार्टी पर जनता से धोखा देने, महंगाई, भ्रष्टाचार, अग्निवीर और किसानों जैसे तमाम मुद्दे लेकर जनता के बीच जा रही है। इसके साथ ही हुड्डा पिता-पुत्र की ओर से हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा भी शुरू की गई है।
ये दल भी आजमा रहे किस्मत
बीजेपी और कांग्रेस के अलावा दिल्ली और पंजाब में सत्ता चला रही आम आदमी पार्टी भी इस चुनावी मैदान में कूदने की घोषणा कर चुकी है। इसके लिए बकायदा आप नेता लगातार जनता के बीच जाकर अरविंद केजरीवाल की गैर मौजूदगी में उनकी गारंटी जनता को बता रहे हैं। साथ ही इनेलो-बसपा गठबंधन भी राज्य की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतर चुका है। करीब साढ़े चार साल तक बीजेपी के साथ मिलकर सत्ता चलाने वाली जेजेपी भी सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर चुकी है। हालांकि चुनावी घोषणा के साथ ही जेजेपी के दिग्गज पार्टी को अलविदा कहने में लगे हुए हैं। हालांकि पूर्व उप मुख्यमंत्री और पार्टी नेता दुष्यंत चौटाला पहले से ही इसके लिए मानसिक रूप से तैयार थे। वहीं, चुनावी माहौल की इस गर्माहट के चलते बीजेपी और कांग्रेस की सीधी लड़ाई वाले इस दंगल में दूसरे दल वोटों में सेंधमारी कर चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं।
बिना CM चेहरे के आप और कांग्रेस
हरियाणा में बीजेपी के अलावा इनेलो-बसपा गठबंधन और जेजेपी की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया गया है, जबकि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी बिना मुख्यमंत्री चेहरे के ही चुनाव मैदान में उतर रही है। हालांकि कांग्रेस की ओर से भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी सैलजा की ओर से मुख्यमंत्री पद की दावेदारी की जाती रही है, लेकिन पार्टी ने अधिकारिक तौर पर किसी भी नाम की घोषणा नहीं की है।
बीजेपी के ‘चाणक्य’ ने संभाली कमान
हरियाणा में अक्टूबर की पहली तारीख को ही विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में चुनावी चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर से हरियाणा में बीजेपी के चुनाव प्रचार की कमान संभाल ली है। बता दें कि 2014 में जब हरियाणा में पहली बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी, उस समय अमित शाह की पार्टी के राष्ट्रीय अध्य थे। 2019 के विधानसभा चुनाव में भी उनका काफी दखल था। इस बार 2024 में भी वह चुनावी घोषणा से पहले हरियाणा का दो बार दौरा कर चुके है। इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं के अलावा वह महेंद्रगढ़ में एक चुनावी सभा भी कर चुके हैं।
बीजेपी ने खेला ओबीसी कार्ड
बीजेपी ने इस साल मार्च में पार्टी नेतृत्व में बड़ा बदलाव करते हुए मनोहर लाल के स्थान पर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया था। ऐसा करके बीजेपी ने राज्य में ओबीसी कार्ड खेला था। माना जा रहा है कि ओबीसी वोट बैंक को रिझाकर बीजेपी सत्ता विरोधी लहर को खत्म करने की कोशिश कर रही है।
फ्रंट फुट पर खेल रहे सैनी
लोकसभा चुनाव में पांच सीट गंवा देने के बावजूद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से नायब सैनी की खुले मंच से तारीफ किए जाने और पार्टी हाई कमान की हरी झंडी के बाद से ही नायब सैनी फ्रंट फुट पर खेल रहे हैं। इसी नीति पर चलते हुए वह लगातार एक के बाद एक घोषणाएं कर रहे थे।
AAP को उम्मीद
दिल्ली और पंजाब में बड़े बहुमत के साथ सरकार चला रही आम आदमी पार्टी के नेताओं ने इन दिनों पूरे हरियाणा का दौरा करना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल में होने के कारण उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान समेत अन्य नेता लगातार हरियाणा का दौरा कर प्रचार करने में लगे हैं। आम आदमी पार्टी को उम्मीद है कि हरियाणा के दिल्ली और पंजाब से लगते हुए इलाकों में पड़ने वाली विधानसभा सीटों में लोग उसे वोट देंगे। इसीलिए पार्टी बार-बार दिल्ली और पंजाब सरकार के कामों को हरियाणा के लोगों को बता रही है। खैर देखना होगा कि पहली बार हरियाणा के चुनावी रण में उतर रही इस पार्टी को इस को कितना फायदा मिलता है ?
क्षेत्रीय दल निभा सकते हैं अहम भूमिका
2009 और 2014 के विधानसभा चुनाव में जिस तरह इनेलो एक बड़ी ताकत बनकर उभरी थी वैसा ही कुछ 2019 के विधानसभा चुनाव में जेजेपी ने किया था। 2009 में इनेलो 31 और 2014 में 19 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हो गई थी, जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में इनेलो से अलग होकर पहली बार चुनावी मैदान में उतरी जेजेपी ने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। यदि इस चुनाव में भी बीजेपी और कांग्रेस के अलावा अन्य कोई दल 10 से 15 सीट हासिल कर गया तो हो सकता है एक बार फिर से हरियाणा में गठबंधन की सरकार दिखाई दे, क्योंकि 2019 में बीजेपी बहुमत के आंकड़े से 6 सीट कम यानि 40 सीटों पर जीत हासिल कर पाई थी। इसके चलते उन्हें 10 सीट जीतने वाले दल जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनानी पड़ी थी। खैर देखना होगा कि आने वाले दिनों में जैसे-जैसे चुनाव प्रचार गति पकड़ेगा वैसे-वैसे जनता का मुड और रुख भी साफ होता नजर आएगा, लेकिन असली परिणाम 4 अक्तूबर को ही सामने आएंगे।