Edited By Isha, Updated: 16 Oct, 2024 09:20 PM
दशहरे पर हुई आतिशबाजी और खेतो में पराली जलाये जाने से शहर का एक्यू आई 154 पार पहुंच गया है। इस स्तर पर एक्यू आई के पहुंच जाने से आम जन के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभार पड़ता है और सवास्थ्य के लिए हानिकारक भी होता है जो मरीज सांस रोग
जीद(अमनदीप पिलानिया) : दशहरे पर हुई आतिशबाजी और खेतो में पराली जलाये जाने से शहर का एक्यू आई 154 पार पहुंच गया है। इस स्तर पर एक्यू आई के पहुंच जाने से आम जन के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभार पड़ता है और सवास्थ्य के लिए हानिकारक भी होता है जो मरीज सांस रोग से ग्रस्त है उनको ज्यादा एक्यू आई बढ़ने से सांस फूलने तक कि नौबत का सामना करना पड़ता है।
क्या है होता है एक्यू आई बढ़ने से नुक्सान
- 0 से 50 एक्यू आई बढ़ने से कोई नुकशान नहीं होता
- 51 से 100 के बिच रहने से सामान्य बीमार लोगो के लिए थोड़ा नुकशान दायक होता है
- 101 से 200 पहुंच जाने पर सांस रोगियों के लिए नुकसान दायक
- 201 से 300 पहुंच जाने पर लोगो को सांस लेने में परेशानी
- 301 से 400 पहुंच जाने पर आँखो में जलन और सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता हे।
जींद शहर में अब तक 44 मामले सामने आए है जहाँ पर धान के अवशेष जलाये गए है। कृषि विभाग कि टीमों ने किसानो पर 87500 रूपये का जुर्माना भी वसूला है। हालंकि अभी तक अवशेष जलाये जाने के मामले में किसी भी किसान पर कोई FIR दर्ज नहीं कि गई है।