गुल मकई बनाने वाले को मिल रही तालिबानी धमकियां, संजय ने कहा-हम हरियाणा से हैं, ऐसे नहीं डरते

Edited By Shivam, Updated: 31 Jan, 2020 05:20 PM

taliban threats are being given to the makers of gul makai

वन चाइल्ड, वन टीचर, वन बुक, वन पेन एंड कैन चेंज द वल्र्ड: गुल मकई। इस फिल्म को बनाने में पानीपत के टेक्सटाइल उद्योगपति संजय को 4 साल लगे। शुरू से लेकर अब तक उन्हें व डायरेक्टर को तालिबानियों व पाकिस्तान से धमकी मिल रही हैं, 31 जनवरी को पानीपत सहित...

पानीपत: वन चाइल्ड, वन टीचर, वन बुक, वन पेन एंड कैन चेंज द वल्र्ड: गुल मकई। इस फिल्म को बनाने में पानीपत के टेक्सटाइल उद्योगपति संजय को 4 साल लगे। शुरू से लेकर अब तक उन्हें व डायरेक्टर को तालिबानियों व पाकिस्तान से धमकी मिल रही हैं, 31 जनवरी को पानीपत सहित देशभर की 350 स्क्रीन पर ये फिल्म रिलीज हो रही है। उन्हें अब भी धमकियां मिल रही हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि हम हरियाणा के हैं, ऐसे नहीं डरते हैं, जो करना है वो करके रहते हैं। फिल्म की शूटिंग गुजरात, मुंबई और कश्मीर में हुई है।

क्या है इस फिल्म में
इस फिल्म 2014 की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता पाकिस्तान की मलाला युसूफजई की शुरुआती जिंदगी और अफगानिस्तान में तालिबान राज के दौरान फैले डरावने माहौल को दिखाया गया है। मलाला का किरदार रीम शेख ने निभाया है, वहीं उनके अलावा दिव्या दत्ता, अतुल कुलकर्णी, मुकेश ऋषि, पंकज त्रिपाठी और दिवंगत ओमपुरी भी नजर आएंगे। ऐसा पहली बार हो रहा है कि दुनिया भर में रिलीज होने वाली फिल्म को पानीपत के व्यक्ति ने बनाई हो या इस पर पैसे लगाएं हो।

आईबी कॉलेज के छात्र रहे हैं संजय सिंगला
पानीपत के 48 वर्षीय संजय सिंगला 1991 में आईबी कॉलेज के स्नातक के छात्र रह चुके हैं, 1992 में दिल्ली से बिजनेस मैनेजमेंट की है। लायंस क्लब के 2013-14 में रीजनल चेयरमैन भी रह चुके हैं। परिवार में माता-पिता, भाई, पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं। फिल्म पर करीब 30-35 करोड़ रुपए की लागत आई है। अब उम्मीद है कि इस फिल्म से लोगों को उनके जीवन से प्रेरणा मिलेगी।

मलाला का टॉपिक क्यों चुना
संजय ने बताया कि मलाला वल्र्ड आइकन है और संयुक्त राष्ट्र की शांतिदूत भी हैं। दूसरा वो शिक्षा पर ही काम कर रही हैं। तीसरा देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने जब से पानीपत से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू किया है तब से वो इस टॉपिक पर फिल्म बनाने की सोच रहे थे, जिसमें आतंकवाद से लड़कर शिक्षा के लिए काम किया हो। 2016-17 में मुंबई पहुंचे तो डायरेक्टर से मिल इस पर फिल्म बनाने पर बात बन गई।

गुल मकई नाम रखने के पीछे की कहानी
इस नाम के पीछे की कहानी दिलचस्प है। दरअसल, मलाला गुल मकई नाम से ही बीबीसी के लिए अपने आर्टिकल लिखा करती थी। वह 11 साल की उम्र में तालिबान के जुल्मों की दास्तान को बीबीसी पर गुल मकई के नाम से हर सप्ताह ब्लॉग लिखती थीं। मलाला की डायरी 2009 में 10 किस्तों में बीबीसी उर्दू की वेबसाइट पर पोस्ट हुई थी। जिसने सभी का ध्यान खींचा था, इसलिए इस फिल्म का नाम इसी नाम पर रखा गया।

मलाला को दिखाई फिल्म
सिंगला ने बताया कि लंदन में परिवार के साथ रह रही मलाला को बीते कुछ समय पहले ही संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित एक खास कार्यक्रम में यह फिल्म दिखाई गई थी। मलाला ने कहा कि उनके जीवन को उन्होंने बहुत ही अच्छे तरीके से दिखाया है, ये प्रेरणादायक हैं। वहीं पाकिस्तान में अभी तक इस फिल्म को स्क्रीन नहीं मिली है।   

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