फ्लिपकार्ट को जमीन देने में हुआ करोड़ों का खेल, CM के सचिव और HSIIDC  पर लगा गंभीर आरोप

Edited By Isha, Updated: 15 Oct, 2020 12:12 PM

sports worth crores in giving land to flipkart

ऑनलाईन व्यवसाय करने वाली कंपनी फ्लिपकार्ट को जमीन देने के पीछे करोड़ो का खेल किया गया है। यह आरोप सूचना अधिकार कार्यकर्ता हरिंद्र धींगरा ने लगाया है और कहा कि एच.एस.आई.आई.डी.सी. और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत करके हरियाणा सरकार के राजस्व पर डाका डाला...

गुडग़ांव (पी.मार्कण्डेय) : ऑनलाईन व्यवसाय करने वाली कंपनी फ्लिपकार्ट को जमीन देने के पीछे करोड़ो का खेल किया गया है। यह आरोप सूचना अधिकार कार्यकर्ता हरिंद्र धींगरा ने लगाया है और कहा कि एच.एस.आई.आई.डी.सी. और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत करके हरियाणा सरकार के राजस्व पर डाका डाला गया है। 

उल्लेखनीय है कि मानेसर के पातली हाजीपुर में एशिया का सबसे बड़ा स्टोर केंद्र बनाने के लिए करीब 140 एकड़ जमीन फ्लिपकार्ट कंपनी को किराए पर दिया गया है। एच.एस.आई.आई.डी.सी. के चेयरमैन और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने भू-आबंटन को मंजूरी दिया है। इसमें प्रति एकड़ 3.9 एकड़ का किराया तय किया गया है। आरोप है कि उक्त जमीन को देने में न्यायालय के आदेश सहित केंद्रीय सतकर्ता आयोग के आदेश को ठेंगा दिखा दिया गया है।

इस जमीन की नीलामी को लेकर साल 2016 में एच.एस.आई.आई.डी.सी. ने विज्ञापन दिया था जिसमें प्रति एकड़ 6 करोड़ रुपए रेट निर्धारित किया गया था। जब उद्योग से जुड़ी कोई संस्था नीलामी में हिस्सा नहीं ली तो दोबारा साल 2019 में प्रकाशित कर इसका रेट 5 करोड़ रुपए किया गया। उक्त दोनों नीलामियों ने फ्लिपकार्ट ने हिस्सा नहीं लिया। उल्लेखनीय है कि एक वाद के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया था कि एकल नीलामी नहीं होनी चाहिए। ऐसे में फ्लिपकार्ट को कैसे न्यायालय के आदेश को दरकिनार करके जमीन आबंटित कर दिया गया। 

700 करोड़ घोटाले का आरोप 
यह सच है कि साल 2016 से अब तक जमीन के भाव में भारी उछाल आया है ऐमें मे उक्त जमीन का भाव 6 करोड़ से घटाकर लगभग आधा क्यों किया गया। जबकि पातली हाजीपुर के आस-पास के जमीनों का रेट एच.एस.आई.आई.डी.सी. ने 13 करोड़ रुपए से अधिक प्रति एकड़ निर्धारित कर रखा है। नियमानुसार बड़े भूखंड के आबंटन के बाद 60 फीसदी हिस्सा निर्माण के लिए होता है जबकि 40 फीसदी को अवसंरचनात्मक विकास हेतु रखा जाता है। ऐसे में सरकार के राजस्व का 700 करोड़ चूना लगाने का आरोप लगाया जा रहा है। जिसे लेकर सूचना अधिकार कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री से मांग किया है कि इसकी जांच उच्च स्तरीय जांच एजैंसी से कराई जानी चाहिए। 

मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उक्त जमीन में हुए हेरफेर की जानकारी मैने दिया है। मेरी मांग है कि प्रदेश की जनता और सरकार के हित में राजस्व का नुक्सान नहीं होना चाहिए। जो भी उचित कार्यवाही हो वह किया जाना चाहिए। - हरिन्द्र धींगरा, सूचना अधिकार कार्यकर्ता। 
 

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