ऐलनाबाद उपचुनाव: कृषि कानून का मुद्दा चुनाव प्रचार में छाया रहा

Edited By PTI News Agency, Updated: 27 Oct, 2021 07:54 PM

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सिरसा, 27 अक्टूबर (भाषा) ऐलनाबाद विधानसभा सीट उपचुनाव के लिए चुनाव प्रचार बुधवार शाम समाप्त हो गया। चुनाव प्रचार में तीन केंद्रीय कृषि कानूनों का मुद्दा क्षेत्र में पीने के पानी और महिला कॉलेजों की कमी सहित अन्य सभी मुद्दों पर हावी रहा।

सिरसा, 27 अक्टूबर (भाषा) ऐलनाबाद विधानसभा सीट उपचुनाव के लिए चुनाव प्रचार बुधवार शाम समाप्त हो गया। चुनाव प्रचार में तीन केंद्रीय कृषि कानूनों का मुद्दा क्षेत्र में पीने के पानी और महिला कॉलेजों की कमी सहित अन्य सभी मुद्दों पर हावी रहा।
चुनाव प्रचार समाप्त होने के साथ ही उम्मीदवार अब 30 अक्टूबर को मतदान शुरू होने से पहले अगले दो दिनों तक घर-घर जाकर प्रचार करेंगे।

हालांकि कुल 19 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन इनेलो के अभय चौटाला, कांग्रेस के पवन बेनीवाल और भाजपा-जजपा गठबंधन के गोविंद कांडा को प्रमुख उम्मीदवार माना जा रहा है।

ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण है जहां ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर हैं। ऐसा पहली बार है कि कृषि कानून का मुद्दा अन्य सभी मुद्दों पर हावी है।
ऐलनाबाद विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव कराना इसलिए जरूरी हो गया क्योंकि इनेलो के मौजूदा विधायक अभय चौटाला ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में गत जनवरी में विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था।
चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से लेकर चुनाव प्रचार बंद होने तक, नेताओं ने कृषि कानूनों पर बहस की। नेताओं ने टूटी सड़कों, पीने के पानी की कमी, सिंचाई सुविधाओं और उच्च शिक्षा के लिए महिला कॉलेजों सहित अन्य मुद्दों को अधिक तवज्जो नहीं दी।
इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) उम्मीदवार अभय चौटाला के नाम की घोषणा एक किसान पंचायत के दौरान की गई थी, वहीं सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा पार्टी ने उन्हें कृषि कानूनों को वापस लेने तक मैदान में न उतरने की सलाह दी थी।

वहीं विपक्षी कांग्रेस ने केंद्र पर कृषि कानूनों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की आड़ में किसानों को आर्थिक रूप से कमजोर करने का आरोप लगाया। लखीमपुर खीरी की घटना को भी विपक्षी दलों ने चुनाव प्रचार के दौरान प्रमुखता से उठाया।
किसानों ने कई बार भाजपा-जजपा उम्मीदवार गोबिंद कांडा और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित सत्तारूढ़ दल के नेताओं के खिलाफ अलग-अलग जगहों पर काले झंडे दिखाकर विरोध किया, जिससे कुछ तनाव उत्पन्न हुआ।

इस चुनाव में खासकर कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा और इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला की प्रतिष्ठा दांव पर है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विवेक बंसल, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, विधानसभा उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा, अजय चौटाला के अलावा राज्य सरकार के मंत्रियों और पूर्व मंत्रियों ने अपने-अपने दल के प्रत्याशी के लिए प्रचार किया।

ऐलनाबाद विधानसभा सीट के लिए 14 बार चुनाव हुए हैं जिसमें दिवंगत देवीलाल के नेतृत्व वाली पार्टी के उम्मीदवार ही विजयी हुए हैं। अन्य पार्टियों ने इस सीट से देवीलाल के परिवार का प्रभाव कमजोर करने की पूरी कोशिश की, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली।

ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर उपचुनाव में पहली बार तीन केंद्रीय कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के बीच केंद्रीय सुरक्षा बल की 30 कंपनियां, रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की पांच कंपनियों और हरियाणा पुलिस की तैनाती की गई है। शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न खुफिया एजेंसियों को भी तैनात किया गया है।

चुनाव प्रचार के अंतिम दिन बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले नाथूसारी चोपता और ऐलनाबाद नगरों में किसान, मजदूर, व्यापारिक सम्मेलन आयोजित किये गए जिसमें कई किसान समूहों ने हिस्सा लिया।

इन सम्मेलनों में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि राज्य में भाजपा-जजपा सरकार किसान विरोधी है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार के कारण तीन कृषि कानून बने जो किसान समुदाय के लिए फायदेमंद नहीं हैं। टिकैत ने कहा कि जिसने किसानों के पक्ष में कुछ किया उसे वोट दिया जाना चाहिए।

टिकैत ने कहा, ‘‘ केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के भ्रम को दूर करने के लिए हमने पहले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान इसे एक दवा दी थी और अब हम इसे फिर से ऐलनाबाद में देंगे।’’
उन्होंने कहा कि दवा की तीसरी खुराक उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान दी जाएगी।

प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि चुनाव सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए सभी तैयारियां की जा रही हैं।

त्रिकोणीय मुकाबले में, कांग्रेस तथा भाजपा-जजपा, इंडियन नेशनल लोकदल के वरिष्ठ नेता अभय सिंह चौटाला के खिलाफ हैं, जिनके जनवरी में कृषि कानूनों के मुद्दे पर इस्तीफा देने के कारण सिरसा जिले में पड़ने वाले इस ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव कराना जरूरी हुआ।
उपचुनाव 30 अक्टूबर को होगा और मतगणना दो नवंबर को होगी।

हरियाणा लोकहित पार्टी के प्रमुख एवं विधायक गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा हाल ही में भाजपा में शामिल हुए थे और उन्हें भाजपा-जजपा गठबंधन ने मैदान में उतारा है।

अभय चौटाला के खिलाफ पिछले विधानसभा चुनाव में चुनाव लड़ने के बाद हार का मुंह देखने वाले पवन बेनीवाल हाल में भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए थे।



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