कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन अध्यादेशों का विरोध, 15 अगस्त को सरकार से आजादी मांगेंगे किसान

Edited By vinod kumar, Updated: 07 Aug, 2020 05:10 PM

protest to three ordinances related to agriculture

केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े तीन अध्यादेशों के खिलाफ हरियाणा के किसानों में भारी रोष है। किसान लगातार इन अध्यादेशों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इस बीच अब किसान पुरे प्रदेश में 15 अगस्त को सरकार से अपनी आजादी की मांग करेंगे। इस दिन वह अपनी-अपनी...

गोहाना (सुनील): केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े तीन अध्यादेशों के खिलाफ हरियाणा के किसानों में भारी रोष है। किसान लगातार इन अध्यादेशों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इस बीच अब किसान पुरे प्रदेश में 15 अगस्त को सरकार से अपनी आजादी की मांग करेंगे। इस दिन वह अपनी-अपनी मोटरसाइकलों पर काले झंडे लगाकर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन कर अध्यादेशों की प्रतियां भी जलाएंगे। 

कृषि क्षेत्र में जुड़े तीन अध्यादेश के विरोध में आज गोहाना में भारतीय किसान यूनियन ने जिला स्तरीय मीटिंग की। मीटिंग में मुख्य रूप से भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष सरदार गुरनाम सिंह चढूनी मौजूद रहे। इस दौरान गुरनाम सिंह ने कहा कि इन अध्यादेश को लेकर पुरे प्रदश के किसानो में भारी रोष है। 

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किसान लगातार इन अध्यादेशों को वापस लेने की मांग करते आ रहे है। उन्होंने कहा कि किसान पुरे प्रदेश में 15 अगस्त को सरकार से अपनी आजादी की मांग करेंगे। इस दौरान किसान अपनी अपनी मोटरसाइकलों पर काले झंडे लगाकर जिला मुख्यालय व तहसील लेवल पर प्रदर्शन कर अध्यादेशों की प्रतियां जलाएंगे। किसान इससे पहले भी 20 जुलाई को ट्रेक्टर रैली निकल कर अपना विरोध जाता चुके हैं।

उन्होंने कहा कि 17 अगस्त को सिरसा में होने वाली मीटिंग में किसान आगे की रणनीति तैयार करेंगे और आने वाली दस सितम्बर को एक बड़ी रैली करेंगे। अभी रैली का स्थान फाइनल नहीं हुआ है। गुरनाम सिंह ने कहा हालिया समय में केंद्र सरकार तीन विषयों पर कृषि अध्यादेश लेकर आई है, जिन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल चुकी है। ये तीनों अध्यादेश भारत के करोड़ों किसान परिवारों के भविष्य से जुड़े हुए हैं। 

एक तरफ सरकार व अनेक अर्थशास्त्री इस बात को मानते हैं कि कोरोना वायरस काल में सिर्फ किसानों की मेहनत/कृषि क्षेत्र के आधार पर ही देश की अर्थव्यवस्था का पहिया घूम रहा है, दूसरी तरफ केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर खरीद बन्द करके किसानों का शोषण करने में लगी हुई है। 

अगर देखा जाए तो आज भी किसानों को C2+50% के अनुसार फसलों का MSP नहीं मिल रहा है लेकिन उसके बावजूद किसान किसी तरह अपना जीवनयापन कर रहे हैं। यदि सरकार ने एमएसपी पर खरीद को बंद कर दिया तो किसानी के साथ-साथ देश की खाद्यान सुरक्षा भी बड़े संकट में फंस जाएगी। अध्यादेश के जरिए आने वाले समय में केंद्र सरकार किसानों को मिलने वाले एमएसपी को खत्म करने जा रही है। 

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केंद्र सरकार का दावा है कि इन अध्यादेशों के किसानों को फायदा होगा, लेकिन असल में किसानों को नहीं बल्कि बड़ी-बड़ी कम्पनियों को फायदा होगा। यह बात आप सब जानते ही होंगे कि हमारी केंद्र सरकार के ऊपर विश्व व्यापार संगठन यानी WTO का दबाव है कि किसानों को मिलने वाला MSP और हर प्रकार की सब्सिडी केंद्र सरकार समाप्त करे। 

अब केंद्र सरकार कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन का अनैतिक तरीके से फायदा उठाकर ये तीनों अध्यादेश लेकर आई है। सरकार को लगता है कि कोरोना वायरस के कारण किसान बड़े पैमाने पर इकठ्ठे होकर प्रदर्शन नहीं कर सकते इसलिए सरकार ने यह कदम उठाया। गुरनाम सिंह ने कहा सरकार ने ये फैसले वापस नहीं लिए तो किसान आने वाले समय में और बड़ा फैसला लेने पर मजबूर होंगे। उन्हें इस आंदोलन में अपनी जान भी गवानी पड़ी तो वो इस से भी पीछे नहीं हटेंगे। 

वहीं सोशल मीडिया के जरिए जिंदा जलाने की मिली धमकी को लेकर गुरनाम सिंह ने कहा इस संबंध में आईटी एक्ट के तहत पुलिस ने  मामला दर्ज करवाया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने वालों को वे नहीं जानते। 

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