प्रेमलता को मिल सकती है हरियाणा में सत्ता की ताकत

Edited By Updated: 02 Apr, 2017 12:01 PM

power can be found in haryana

हरियाणा में पिछले दिनों चले जाट आंदोलन व उससे पहले 2016 में हुए जाट आरक्षण हिंसात्मक आंदोलन ने भाजपा आलाकमान को यह सोचने पर विवश कर दिया है कि

चंडीगढ़ (धरणी):हरियाणा में पिछले दिनों चले जाट आंदोलन व उससे पहले 2016 में हुए जाट आरक्षण हिंसात्मक आंदोलन ने भाजपा आलाकमान को यह सोचने पर विवश कर दिया है कि हरियाणा में जाट व गैर जाट राजनीति दोनों पर ही पूरी तरह पकड़ बनाने के लिए सशक्त नेतृत्व को आगे लाया जाए। गैरजाट राजनीति में भाजपा के पास नेताओं की जो लंबी फेहरिस्त है, उसमें भी जिस प्रकार विधानसभा बजट सत्र  2017 से पहले डेढ़ दर्जन विधायकों ने अफसरशाही व भ्रष्टाचार पर सरकार के लिए परेशानी बढ़ाई, उसमें भी अभी तक भाजपा को प्रांतस्तर में आपस में सामंजस्य स्थापित करने में कोई सफलता नहीं मिली। मुख्यमंत्री खुद गैर जाट राजनीति का केंद्र हैं। इनके अलावा प्रदेश में रामबिलास शर्मा व अनिल विज जैसे कद्दावर चेहरे हैं।

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के रूप में रामबिलास शर्मा के नेतृत्व में 2014 में भाजपा सत्ता तक पहुंची। अनिल विज के अकेले विरोध के चलते भाजपा का गठबंधन हजकां से टूटा। रामबिलास शर्मा व अनिल विज के लंबे संघर्ष को पार्टी ने दरकिनार कर दिया। इन दोनों नेताओं की पहचान प्रांत में अपने लंबे राजनीतिक संघर्ष की परिचायक है। जाट राजनीति में कै. अभिमन्यु व ओ.पी. धनखड़ व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला हरियाणा के अंदर पिछले दिनों चले लंबे जाट आंदोलन व उससे पहले 2016 में हुए जाट आरक्षण हिंसात्मक आंदोलन में अपना ग्राफ नहीं साबित कर पाए। केंद्र में मंत्री बीरेंद्र सिंह के हस्तक्षेप से जाट आरक्षण आंदोलन के 50 दिनों से अधिक चले धरनों पर जहां विराम लगा, वहीं जाट संगठनों का दिल्ली कूच भी रुका। 

केंद्र में मंत्री बीरेंद्र सिंह के निवास पर ही यू.पी. विधानसभा चुनावों से पूर्व भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा बैठक आयोजित की गई। संकेत हैं कि बीरेंद्र सिंह को हरियाणा की जाट राजनीति में भाजपा और ताकत देने के लिए भाजपा आला कमान उनकी पत्नी प्रेमलता को हरियाणा में सत्ता की ताकत दे सकती है। मिशन 2019 लोकसभा व हरियाणा विधासभा चुनाव व भाजपा राजनीतिक संतुलन के मद्देनजर जाट राजनीति को संगठित करने में बीरेंद्र सिंह व गैर-जाट राजनीति में रामबिलास शर्मा व अनिल विज की भागीदारी है।
हरियाणा में भाजपा को सत्ता में आए अढ़ाई वर्ष हो चुके हैं, सत्ता व प्रसाशन पर नियंत्रण, बेलगाम अफसशाही व विधायकों की सुनवाई न होने के वाद-विवाद को भाजपा हाईकमान शीघ्र हल करके जनता में सही मैसेज देने के लिए हरियाणा में कोई भी नए ध्रुवीकरण देखने को मिल सकते हैं। भाजपा सत्ता में उत्तरी व दक्षिणी हरियाणा की बदौलत ही आई है, यहीं से भाजपा को विधायकों की बहुतायत संख्या मिली है, इन्हीं क्षेत्रों में अगर भाजपा का जनाधार गिरता है तो चिंता का विषय होगा।

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