Edited By Gourav Chouhan, Updated: 24 Feb, 2023 12:30 PM

खेलों के साथ-साथ घर चलाने के लिए रात के सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी नौकरी को मजबूर हैं। सोनू रात में काम करते हैं और दिन में खेल की प्रैक्टिस करते हैं।
पानीपत(सचिन) : खेलों के लिए ख्याति प्राप्त कर चुके हरियाणा में अभी भी कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो खराब आर्थिक हालत के चलते अपने सपने पूरे नहीं कर पा रहे हैं। पानीपत के थ्रोवर सोनू भी अब तक 35 मेडल जीत चुके हैं, लेकिन खेलों के साथ-साथ घर चलाने के लिए रात के सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी नौकरी को मजबूर हैं। सोनू रात में काम करते हैं और दिन में खेल की प्रैक्टिस करते हैं।
मेडलों और सर्टिफिकेट से भरा है कमरा, सरकार से नहीं मिल रही मदद
बता दें कि सोनू ने जिला स्तर से लेकर नेशनल लेवल पर अनेकों गोल्ड और सिल्वर मेडल जीते हैं। सोनू का कमरा मेडलों और सर्टिफिकेट से भरा हुआ है। सोनू की आर्थिक हालत काफी दयनीय है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है। घर का गुजारा चलाने के लिए सोनू रात के समय सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं। रात भर काम करने के बाद भी खेलों के प्रति सोनू का जुनून ऐसा है कि किसी भी दिन प्रैक्टिस करना नहीं छोड़ते। सोनू का कहना है कि वह आखिरी सांस तक खेल कर देश का नाम रोशन करना चाहते हैं। उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि उन्हें सरकारी नौकरी दी जाए, ताकि उनके परिवार की आर्थिक हालत सुधर सके और वह अपना पूरा ध्यान खेलों पर लगा सके।

रिश्तेदारों के घर में रहकर गुजारा चला रहा सोनू का परिवार
सोनू के पास खुद का घर भी नहीं है। वे अपनी मां और दो बहनों के साथ नाना के घर में रह रहे हैं। सोनू की मां ने बताया कि घर में इतनी गरीबी है कि कई बार बच्चों को भूखे पेट ही सोना पड़ता है। सोनू की सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी से घर का गुजारा भी मुश्किल से चल रहा है। सोनू का कहना है कि उन्होंने मेहनत से खेलते हुए जिला और नेशनल लेवल पर मेडल प्राप्त किए हैं। वे सरकार की सहायता के लिए कई बार गुहार लगा चुके हैं। कई नेताओं से भी उनकी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता है।
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