Edited By Nitish Jamwal, Updated: 21 Jul, 2024 04:17 PM
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर रविवार को स्थानीय हालुवास गेट स्थित सिद्धपीठ बाबा जहर गिरी आश्रम और जोगीवाला शिव मंदिर धाम में गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया गया।
भिवानी (अशोक भारद्वाज): गुरु पूर्णिमा के अवसर पर रविवार को स्थानीय हालुवास गेट स्थित सिद्धपीठ बाबा जहर गिरी आश्रम और जोगीवाला शिव मंदिर धाम में गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर महंत वेदनाथ महाराज और महंत डॉक्टर अशोकगिरी महाराज का उनके शिष्यों ने चरण धोकर, तिलक अभिषेक कर गुरु दक्षिणा दी और फूलमालाओ के साथ सम्मान किया। वहीं गुरु पूर्णिमा के दिन जोगीवाला शिव मंदिर धाम और बाबा जहरगिरी आश्रम मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए प्रशाद व भंडारे का आयोजन किया।
वहीं जोगीवाला शिव मंदिर धाम और जहरगिरी आश्रम में संत महात्माओं ने भी अपने उन गुरुओं की समाधि को फूलों से सजाया और उनके चरण कमलों की पूजा अर्चना की।
बाबा जहर गिरी आश्रम में महंत अशोकगिरी आश्रम बाबा जहरगिरी और बाबा शंकर गिरी महाराज की प्रतिमा को उनके शिष्य डॉक्टर अशोकगिरी महाराज और उनके शिष्य महंत संगमगिरी महाराज ने लाखों नोटों से सजाया। इस दौरान प्रात:कालीन गुरू पादुका पूजन व गुरू विग्रह पूजन किया गया। श्रीमहंत डा. अशोक गिरी महाराज ने अपने गुरू शंकर गिरी महाराज की प्रतिमा का स्नान करवाया तथा सर्व समाज के कल्याण की कामना की।
गुरू पूर्णिमा का महत्व बताते हुए अंतर्राष्ट्रीय श्रीमहंत डा. अशोक गिरी महाराज ने कहा कि भारत में आषाढ़ मास की पूर्णिमा का एक अलग ही महत्व है, जिसे गुरू पूर्णिमा कहा जाता है। उन्होंने बताया कि यह दिन अहम इसीलिए भी है, क्योंकि इसी दिन वेदव्यास का जन्म हुआ था। वेदव्यास ने मानव सभ्यता को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। इसके साथी ही पुराणों की रचना भी की थी। इसीलिए यह खास दिन गुरू के लिए समर्पित है तथा गुरू की पूजा की जाती है।
गुरू का महत्व बताते हुए डा. अशोक गिरी महाराज ने कहा कि गुरू अनंत है, गुरू भवसागर से तारने वाले है, गुरू की महिमा अनंत है। उन्होंने कहा कि गुरू मनुष्य के अहंकार सहित अन्य विकारों का दमन कर उनमें सद्विचारों के भाव उत्पन्न करता है। उन्होंने कहा कि इंसान का हर लक्ष्य गुरु के दरबार से होकर निकलता है। कहा कि गुरु शिष्य को काम, क्रोध मोह सहित अनेक व्यसनो से दूर रखता है।
जोगीवाला मंदिर धाम के महंत वेदनाथ महाराज ने कहा कि गुरु और शिष्य कि परम्परा आदि अनादि से चली आ रही है। कहा इस सांसारिक जीवन में गुरु को सर्वोपरि का दर्जा दिया जाता है। क्योंकि गुरु के आशीर्वाद से हर कार्य पूर्ण होता है, इसलिए इस आज यह पूर्णिमा गुरु और शिष्य कि परम्परा के मुताबिक वेद व्यास पूर्णिमा के नाम से भी है। कहा इस देश समय समय पर ऋषि मुनियों और संत महात्माओं ने बहुत कुछ दिया है। कहा कि जहां ज्ञान है, वहां पूर्णतया है। गुरू ज्ञान का प्रतीक है तथा गुरू के बिना प्रत्येक मनुष्य का जीवन अधूरा है, क्योंकि गुरू ही किसी भी व्यक्ति को सही दिशा व दशा देने का काम करता है, जिसके सहारे मनुष्य अपने हर मंजिल तक पहुंच सकता है।उन्होंने नाम दान पर बोलते हुए कहा कि नाम दान श्रद्धा और भावना के साथ होना चाहिए। कहा कि गुरु का माना शिष्य नही होता, शिष्य का माना ही गुरु होता है। शिष्य गुरु को ईश्वर के रूप में मानता है तो उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
डॉक्टर अशोकगिरी महाराज के शिष्य एवं महामंडलेश्वर संगमगिरी महाराज ने गुरु पूजन के उपरांत बोलते हुए कहा कि गुरु और पूर्ण शब्द से गुरुपूर्णिमा बना है आज शिष्य के लिए गुरु पूजन का सबसे बड़ा दिन होता है। क्योंकि कि गुरु में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देव का समावेश होता है, हमें गुरु कि पूजा के साथ साथ माता पिता का सम्मान भी करना चाहिए,क्योंकि कि शिष्य के लिए प्रथम पाठशाला कि गुरु मां होती है।
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