सहकारिता विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले के बाद अब कैथल को-आप्रेटिव सोसायटियों में फर्जी भर्ती घोटाला हुआ उजागर

Edited By Manisha rana, Updated: 08 Feb, 2024 11:29 AM

now fake recruitment scam in kaithal co operative societies exposed

हरियाणा के सहकारिता विभाग में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले के बाद अब कैथल जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बनी विभिन्न को-आप्रेटिव सोसायटियों में कर्मचरियों की फर्जी भर्ती करने का घोटाला उजागर हुआ है। जिसमें पिछले दो-तीन सालों के अंदर हुई जिले की आठ...

कैथल (जयपाल) : हरियाणा के सहकारिता विभाग में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले के बाद अब कैथल जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बनी विभिन्न को-आप्रेटिव सोसायटियों में कर्मचरियों की फर्जी भर्ती करने का घोटाला उजागर हुआ है। जिसमें पिछले दो-तीन सालों के अंदर हुई जिले की आठ को-आप्रेटिव सोसायटियों के 56 कर्मचारीयों की नियुक्ति संदिग्ध मिली हैं। कैथल सहकारी समितियों के सहायक रजिस्ट्रार ने इन सभी भर्तियों को रद्द करने के लिए डिप्टी रजिस्ट्रार कुरुक्षेत्र की कोर्ट में केस दायर किए हुए हैं। जो अभी विचाराधीन हैं। डिप्टी रजिस्ट्रार के आदेशों के बाद ही इनको हटाया जायेगा।

बता दें कि रजिस्ट्रार सहकारी समितियां हरियाणा ने 12 अगस्त 2013 को अपने कार्यालय से पत्र जारी करते हुए प्रदेश के सभी उप रजिस्ट्रार को उनके अधीन सहकारी समितियों (पैक्स) में नई नियुक्ति व भर्ती न करने के आदेश जारी किए थे। लेकिन इसके बाद भी जिले की कई सहकारी समितियां में विभागीय नियमों को दरकिनार करते हुए गलत तरीके से अपने निजी लोगों की भर्ती करनी पाई गई है। ज्यादातर मामलों में कर्मचारियों की भर्ती करने के लिए सहायक रजिस्ट्रार की अनुमति भी नहीं ली गई है। जबकि भर्ती के लिए जरुरी होती है। इसके साथ ही भर्ती के नियमों का पालन नहीं करना पाया गया है। कुछ भर्तियों में सहकारी समितियों (पैक्स) के डायरेक्टर व मैनेजर द्वारा अपने परिवार के सदस्यों को नौकरी पर रखा गया है। जिनके खिलाफ लोगों द्वारा शिकायत भी की गई है। परंतु इसके बाद भी अधिकारियों की मिली भक्ति से फर्जी भर्ती में लगे कर्मचारी अपनी ड्यूटी कर रहे हैं।

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ये होती है भर्ती की पूरी प्रक्रिया

कैथल को-ऑप्रेटिव सेंट्रल बैंक के महाप्रबंधक रणबीर बैनीवाल ने बताया कि पैक्सों में कर्मचारियों की भर्तियां करने से पहले मैनेजिंग कमेटी द्वारा सहकारी समितियां के ए.आर व डी.आर से भर्ती की परमिशन लेनी होती है। उसके बाद भर्ती का प्रस्ताव पास करके अखबार में इसका विज्ञापन निकालना होता है। इस सब के बाद लोगों के आवेदन लिए जाते हैं। जिनकी स्क्रूटनी करने के बाद एक रिकमेंडेशन कमेटी होती है। जिसमें ए.आर, जी.एम और दो कमेटी मेंबर होते हैं। जो चयनित किए गए कर्मचारियों को भर्ती करने की सिफारिश वापस मैनेजिंग कमेटी को भेजते हैं। इस पूरी प्रक्रिया के बाद पैक्सो में कर्मचारियों की नियमानुसार भर्ती की जाती है।

 

पाडला निवासी नरेश ने की है फर्जी भर्ती की शिकायत

गांव पाडला निवासी नरेश ने अपने गांव की को-ऑपरेटिव सोसायटी में फर्जी भर्ती की शिकायत विभाग को दी है। नरेश ने बताया कि उसके गांव की को-ऑपरेटिव सोसायटी में 10 युवकों को फर्जी तरीके से भर्ती किया गया है। कमेटी में शामिल एक पदाधिकारी ने अपने साले व जमाई को नियुक्ति दे दी, जबकि नियम के अनुसार कमेटी सदस्य अपने ब्लड रिलेशन में किसी को भर्ती नहीं कर सकते। इसके अलावा किसी की खाद-बीज की दुकान है तो उसे भी भर्ती नहीं किया जा सकता, लेकिन पाडला को-ऑपरेटिव  सोसायटी में भर्ती के समय नियमों को अनदेखा करके नियुक्ति दी गई हैं। भर्ती से पहले समाचार पत्र में विज्ञापन भी नहीं दिया गया। उसने विभाग को शिकायत दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कार्रवाई की मांग को लेकर वह कई महीनों से दफ्तरों के चक्कर काट रहा है।  


कैथल को-ऑपरेटिव बैंक जीएम रणबीर बैनीवाल ने बताया कि उन्हें मीटिंग के दौरान कुछ पैक्सों में गलत तरीके से कर्मचारी भर्ती करने की शिकायतें मिली हैं। जिन पर कार्रवाई करने के लिए उप रजिस्ट्रार को लिखा गया है। ज्यादातर मामले डिप्टी रजिस्ट्रार की कोर्ट में पेंडिंग है। जैसे ही वहां से फैसला आएगा तो भर्ती को रद्द कर दिया जाएगा।


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