सिविल से निजी अस्पताल पहुंचा नवजात, मचा हंगामा

Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 25 Dec, 2025 08:40 PM

new born baby shifted from civil hospital to private in suspected circumstances

स्वास्थ्य विभाग और पुलिस में उस वक्त हड़कंप मच गया जब एक दिन के नवजात को सिविल अस्पताल से निजी अस्पताल में पहुंचाया गया। हैरत की बात यह है कि नवजात को निजी अस्पताल में रखने से पहले कोई जानकारी तक नहीं ली गई।

गुड़गांव, (ब्यूरो): स्वास्थ्य विभाग और पुलिस में उस वक्त हड़कंप मच गया जब एक दिन के नवजात को सिविल अस्पताल से निजी अस्पताल में पहुंचाया गया। हैरत की बात यह है कि नवजात को निजी अस्पताल में रखने से पहले कोई जानकारी तक नहीं ली गई। जब निजी अस्पताल प्रबंधन ने नवजात को लाने वाले से रिकॉर्ड, अभिभावकों का नाम मांगा तो उन्हें यह कह दिया गया कि यह बच्चा सुबह कोई दूसरा ले जाएगा। वहीं, यह भी बात सामने आई है कि जब अस्पताल से नवजात को बाहर निकाला गया तो उसका कोई रेफर अथवा डिस्चार्ज रिकॉर्ड नहीं मिला। निजी अस्पताल ने इस पूरे घटनाक्रम की सूचना गुड़गांव पुलिस और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर नवजात को कब्जे में लिया और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के निर्देश के बाद उसे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया। वहीं, मामले में निजी अस्पताल द्वारा दी गई शिकायत के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी। प्रारंभिक तौर की जांच के दौरान इस पूरे प्रकरण में दो आशा वर्कर और निजी अस्पताल की डॉक्टर सहित दो अन्य की संलिप्तता की बात सामने आई है जिसके बाद पुलिस ने मामले की जांच को तेज कर दिया है।

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पुलिस के मुताबिक, बसई चौक पर स्थित निजी अस्पताल के संचालक श्याम सिंह ने पुलिस को सूचना दी कि उनके अस्पताल में मौजूद उनकी पार्टनर द्वारा एक नवजात को बिना किसी रिकॉर्ड के रखा गया है। इस नवजात की न तो तबीयत खराब है और न ही इसके पेरेंट्स का कुछ पता है। इस बारे में जानकारी चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस और और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने नवजात को कब्जे में लिया और पूछताछ शुरू कर दी। 

 

प्रारंभिक तौर की जांच के दौरान सामने आया कि नवजात को अस्पताल संचालक श्याम सिंह की पार्टनर ने दो आशा वर्कर के माध्यम से अस्पताल में पहुंचाया था। जब अस्पताल स्टाफ ने इस नवजात का रिकॉर्ड मांगा तो उन्हें इतना कहा गया कि यह श्याम सिंह की पार्टनर द्वारा इसे रखा गया है और सुबह इस नवजात को किसी को हैंडओवर करना है। ऐसे में उन्हें मानव तस्करी का शक हुआ और पुलिस को पूरी जानकारी दी गई। 

 

वहीं, श्याम सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिस भी मामले में कार्रवाई से पहले तो बचती रही, लेकिन जब मामला तूल पकड़ने लगा तो पुलिस हरकत में आई और जांच की तो पाया कि नवजात को नाबालिग रेप विक्टिम ने हाल ही में जन्म दिया है। नाबालिग से रेप करने वाले को सेक्टर-10 थाना पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि नाबालिग के माता-पिता भी समाज में बदनामी के डर से इस नवजात को आशा वर्कर और पार्टनर के माध्यम से किसी दूसरे को हैंडओवर किया जाना था। वहीं, जब मामले में पुलिस का हस्तक्षेप हुआ तो वह नवजात के बीमार होने का तो कभी कोई दूसरा बहाना बनाकर कुछ दिनों की देखरेख के लिए अस्पताल भेजने की बात कही गई। वहीं, जब बीमारी के बारे में और अस्पताल से कोई दस्तावेज होने के बारे में पुलिस ने पूछताछ की तो वह कोई जवाब नहीं दे पाए। 

 

वहीं, मामले में सेक्टर-9ए थाना प्रभारी इंस्पेक्टर सुनील कुमार की मानें तो मामला बेहद ही संवेदनशील है। मामले की जांच की जा रही है। इसमें यह भी सामने आया है कि निजी अस्पताल संचालक का अपनी पार्टनर के साथ विवाद है ऐसे में इस पूरे मामले में यह रंजिश भी हो सकती है, लेकिन बिना दस्तावेज (रेफर अथवा डिस्चार्ज समरी) के नवजात को अस्पताल से बाहर निकालना, अभिभावकों का नवजात को स्वयं निजी अस्पताल में न लेकर आना, बिना किसी दस्तावेज के नवजात को निजी अस्पताल में रखना पूरे मामले में एक बड़े गिरोह की तरफ संकेत करता है। वहीं, इस मामले में सिविल अस्पताल का स्टाफ भी संदेह के घेरे में है जिसकी पूरी संलिप्तता इस पूरे प्रकरण में सामने आ रही है। बहरहाल, पुलिस मामले की जांच कर रही है। अब देखना यह होगा कि पुलिस की जांच कितनी गहराई से होती है और मामले का क्या निष्कर्ष निकलता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

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