मानसून सत्र से पहले सदन में मॉक सत्र का भी आयोजन किया जाएगा: ज्ञान चन्द गुप्ता

Edited By Manisha rana, Updated: 24 Jul, 2022 11:15 AM

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विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने आगामी मानसून सत्र को डिजीटल माध्यम से चलाने का संकल्प दोहराया है। गुप्ता ने कहा कि गत 2 वर्षों से विधान सभा...

चंडीगढ़ (धरणी) : विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने आगामी मानसून सत्र को डिजीटल माध्यम से चलाने का संकल्प दोहराया है। गुप्ता ने कहा कि गत 2 वर्षों से विधान सभा को पेपरलैस करने की तैयारियों अब फलीभूत होने को हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा के डिजीटिलाइजेशन की प्रक्रिया लोकतंत्र के सुदृढ़ीकरण में मील का पत्थर होगी। उन्होंने कहा कि मानसून सत्र से पहले सदन में मॉक सत्र का भी आयोजन किया जाएगा।संसदीय कार्य मंत्रालय की ओर से नेवा कॉर्डिनेटर अर्पित त्यागी और नेवा परियोजना प्रबंधक समीर वार्षने ने विधायकों को प्रशिक्षित किया। इस दौरान हाउस में लगने वाले टैब का लाइव डैमोस्ट्रेशन भी किया गया।

गुप्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजीटल इंडिया मुहिम के तहत विधान सभा को पेपरलैस किया जा रहा है। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला का भी इसके लिए काफी आग्रह रहता है। गुप्ता ने कहा कि 21-22 जनवरी 2020 में हरियाणा विधान सभा की ओर से विधायकों के लिए आयोजित ओरिएंटेशन कार्यक्रम में लोक सभा अध्यक्ष ने पेपरलैस विधान सभा बनाने के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने तभी विधान सभा को पेपरलैस करने का संकल्प ले लिया था। इस परियोजना में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय का सहयोग भी सराहनीय रहा है। कुल 8.53 करोड़ की इस परियोजना में केंद्र और राज्य सरकार 60:40 के अनुपात में खर्च का वहन कर रही है। इसके लिए विस अध्यक्ष ने दोनों सरकारों का भी आभार प्रकट किया।

उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के पहले दिन विधायकों के लिए तथा दूसरे दिन शुक्रवार को हरियाणा सरकार के विभिन्न विभागों के नोडल अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने कहा कि डिजीटलाइजेशन के बाद विधानसभा सचिवालय सदन की कार्यवाही जिसमें कार्यसूची, नोटिस, बुलेटिन, विधेयक, तारांकित और अतारांकित प्रश्न तथा उनके जवाब, पटल पर रखे जाने वाले दस्तावेज, विभिन्न कमेटियों की रिपोर्ट इत्यादि सभी कार्य बिना कागज का प्रयोग किए प्रभावी ढ़ग से किए जा सकेंगे। इसके साथ ही विधायकों के लिए उपयोगी तथ्य तथा नियमावली समेत अनेक प्रकार की जानकारी डिजीटल माध्यम से प्राप्त हो सकेगी। गुप्ता ने कहा कि हरियाणा विधानसभा द्वारा बहुत ही अल्पावधि में डिजीटलाइजेशन की परियोजना को मूर्त रूप दिया जा रहा है। यह सब विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की मेहनत, प्रदेश सरकार के सकारात्मक रवैये और हर संभव सहयोग के चलते संभव हो सका है। इस परियोजना में एनआईसी और निक्सी के अधिकारियों का भी विशेष सहयोग मिल रहा है।

10 एकड़ में नया विधानसभा भवन
ज्ञान चन्द गुप्ता द्वारा हरियाणा की नई विधानसभा की मांग जो केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्वीकार करने पर उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, देश के उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आभार प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा को इतनी बड़ी सौगात के लिए प्रदेशवासी उनके हमेशा आभारी रहेंगे। गौरतलब है कि ज्ञान चंद गुप्ता हरियाणा के नए विधान सभा भवन के लिए लगातार केंद्र और प्रदेश सरकार से बात कर रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल जब केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से आयोजित उत्तर क्षेत्रीय परिषद 30वीं बैठक में भाग लेने के लिए जयपुर जा रहे थे तब भी विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने उनसे नई विधान सभा के लिए भूमि का मसला उठाने का आग्रह किया था। सीएम ने बैठक में यह मामला रखा, जिस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हरियाणा के लिए चंडीगढ़ में भूमि देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा का बनता अधिकार दिलाने की मांग भी रखी। विस अध्यक्ष दोनों मांगों के लिए अरसे से प्रयासरत हैं। 

गुप्ता ने चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से विधान भवन के लिए प्रस्तावित स्थानों का वे निरीक्षण कर चुके हैं। पत्रकारों द्वारा चंडीगढ़ के मास्टर प्लान को बदलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ का मास्टर प्लान पूर्व में कई बार बदला गया है, लेकिन हरियाणा विधान भवन के लिए इस प्लान से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से मध्य मार्ग पर रेलवे स्टेशन वाली ट्रैफिक लाइटों से राजीव गांधी आईटी पार्क की तरफ जाते वक्त मुख्य सड़क से दायीं ओर मध्यमार्ग के साथ लगती साइट सुझाई गई है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल और विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने गत 4 जून को उक्त साइट पर पहुंच चंडीगढ़ के शहरी योजना विभाग के अधिकारियों से नक्शे के माध्यम से विस्तार से जानकारी ली थी। करीब 10 एकड़ की इस साइट की लंबाई-चौड़ाई व अन्य पैमाइश बारे पूछताछ की। इस पर अधिकारियों ने जमीन के मालिकाना हक व अन्य औपचारिकताओं के बारे में बताया। उन्होंने दो अन्य साइट्स के बारे में भी अधिकारियों से चर्चा की थी। गुप्ता ने बताया कि गत 57 साल से हरियाणा विधान सभा में स्थान अभाव की समस्या से जूझ रहा है। कोविड काल के दौरान यह समस्या काफी विकट बन गई। इस दौरान जहां सत्र चलाने में काफी कठिनाई हुई, वहीं कमेटियों की बैठकें रद्द करनी पड़ीं। गुप्ता ने कहा कि वर्ष 2026 में विधान सभा क्षेत्रों के परिसीमन के बाद प्रदेश में विधायकों की संख्या बढ़ेगी, उस परिस्थिति में वर्तमान विधान भवन में सत्र चलाना संभव नहीं हो सकेगा। यही कारण है वे गत एक वर्ष से नई विधान सभा के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। 

विधायकों की सुरक्षा और प्रदेश में कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कड़े निर्देश
हरियाणा के विधायकों को मिल रही धमकी और नूंह जिले के पचगांव में डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई की हत्या को विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने विधायकों की सुरक्षा और प्रदेश में कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कड़े निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए अगर कानून बदलने या उनमें सुधार की भी जरूरत है तो तुरंत सुझाव दें। उन्होंने कहा कि इसके लिए कठोरतम कानून भी बनाए जा सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने विधायकों की सुरक्षा में तैनात सुरक्षा कर्मियों के प्रशिक्षण पर भी जोर दिया है।

गुप्ता ने कहा कि विधायकों की सुरक्षा के साथ-साथ प्रदेश में कानून सुरक्षा के लिए पुलिस को चाक-चौबंद रहना होगा। नूंह जिले के पचगांव में खनन माफियाओं ने जिस प्रकार की वारदात को अंजाम दिया है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। इस प्रकार की वारदात दोबारा न हो इसके लिए पुलिस को अतिरिक्त ध्यान देना होगा। उन्होंने डीजीपी और दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों को कहा कि इसके लिए कानूनों में संशोधन के सुझाव भी दें। अगर कानूनों में किसी कमी के कारण अपराधियों के हौंसले बढ़ रहे हैं, तो हमें उनकी तुरंत समीक्षा करनी होगी। इसके लिए पुलिस विभाग ठोस सुझाव दें। गुप्ता ने कहा कि विधायकों की सुरक्षा में तैनात सुरक्षा कर्मियों के पास उपलब्ध हथियारों की भी समीक्षा की जरूरत है। यह तय करना होगा कि सुरक्षाकर्मी आधुनिक हथियारों से लैस हो। गुप्ता ने कहा कि विधायक लोकतंत्र के आधार स्तंभ हैं। जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को जान से मारने की धमकी देने वाले सीधे-सीधे लोकतांत्रिक व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं। अगर उन्हें इस प्रकार की धमकियां मिलेंगी तो वह अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा पाएंगे।  

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