Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 31 Oct, 2025 02:45 PM

केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने शुक्रवार को स्थानीय पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में पंचगांव चौक पर निर्माणाधीन टोल प्लाजा के विषय में एक महत्वपूर्ण बैठक की।
गुड़गांव, (ब्यूरो): केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने शुक्रवार को स्थानीय पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में पंचगांव चौक पर निर्माणाधीन टोल प्लाजा के विषय में एक महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक में प्रधान सलाहकार (शहरी विकास) डी.एस. ढेसी, डीसी अजय कुमार, एसडीएम मानेसर दर्शन यादव, एचएसआईआईडीसी के एजीएम राजीव गोयल, एनएचएआई के प्रोजेक्ट निदेशक तिलक राज सहित संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एनएचएआई के अधिकारी पंचगांव के पास टोल प्लाजा को शिफ्ट करने की प्रक्रिया में स्थानीय ग्रामीणों के सुगम आवागमन और प्रमुख मार्गों पर उनकी सीधी कनेक्टिविटी का विशेष ध्यान रखें। इस दौरान उन्होंने जिला प्रशासन और एनएचएआई द्वारा टोल प्लाजा के लिए चिन्हित स्थल का नक्शा भी देखा।
राव ने बताया कि सहरावन और पंचगांव के बीच चिन्हित स्थान राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा संवेदनशील क्षेत्र है। जिसको लेकर संबंधित अधिकारियों ने कुछ आपत्तियां दर्ज कराई हैं। उन्होंने एनएचएआई को निर्देश दिया कि इन आपत्तियों पर विचार करते हुए उनके निवारण या वैकल्पिक स्थान की दिशा में आगे बढ़ा जाए। केंद्रीय मंत्री ने संबंधित अधिकारियों से कहा कि इस विषय में विस्तृत खाका तैयार कर मंगलवार तक उनके कार्यालय में प्रस्तुत करें ताकि केंद्रीय स्तर पर समन्वय बैठक आयोजित की जा सके।
बैठक में राव ने कहा कि मानेसर में प्रस्तावित एलिवेटेड फ्लाईओवर के निर्माण से पूर्व जिला प्रशासन और एनएचएआई वाहनों के सुगम आवागमन हेतु वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था सुनिश्चित करें। उन्होंने सुझाव दिया कि गुरुग्राम–पटौदी–रेवाड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग (352डी) के निर्माण पूरा होने के बाद ही फ्लाईओवर निर्माण प्रक्रिया शुरू की जाए। इससे राष्ट्रीय राजमार्ग-48 पर यातायात दबाव कम होगा और जनता को असुविधा से राहत मिलेगी।
राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि किसी भी विकास योजना का उद्देश्य तभी सार्थक माना जाएगा, जब उसका सीधा लाभ स्थानीय नागरिकों तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि योजनाएं केवल निर्माण या ढांचे तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उनमें लोगों की सुविधा और क्षेत्र की सुरक्षा का समुचित समावेश होना आवश्यक है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि किसी भी परियोजना पर निर्णय लेने से पहले ग्रामीणों की आवश्यकताओं, यातायात की सहजता और भविष्य में क्षेत्र के औद्योगिक विस्तार पर उसके प्रभाव का संतुलित मूल्यांकन किया जाए।