गृहमंत्री के संघर्षों ने बनाया उन्हें जननेता, राम जन्मभूमि आंदोलन के समय सरकार ने फ्रीज कर दिया था अनिल विज का बैंक खाता

Edited By Saurabh Pal, Updated: 22 Sep, 2023 06:48 PM

memories when the government froze vij s bank account

राम जन्म भूमि आंदोलन के दौरान आरएसएस व तब की जनसंघ वर्तमान में भजपा के राष्ट्रव्यापी आंदोलन में हरियाणा के 3 आरएसएस से जुड़े लोगों के बैंक खाते भी तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ब्लॉक कर दिए थे। आरएसएस के उन तीन प्रमुख नेताओं जिनके बैंक खाते ब्लॉक किए गए...

चंडीगढ़(चंद्र शेखर धरणी): राम जन्म भूमि आंदोलन के दौरान आरएसएस व तब की जनसंघ वर्तमान में भजपा के राष्ट्रव्यापी आंदोलन में हरियाणा के 3 आरएसएस से जुड़े लोगों के बैंक खाते भी तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ब्लॉक कर दिए थे। आरएसएस के उन तीन प्रमुख नेताओं जिनके बैंक खाते ब्लॉक किए गए थे उनमें अनिल विज,नरदेव शर्मा व मास्टर शिव प्रशाद शामिल थे। इस बात की पुष्टि वर्तमान में हरियाणा के गृह,स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने स्वयं अनौपचारिक बातचीत में की है। प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज पीजीआई के चिकित्सकों की सलाह पर आजकल कंप्लीट रेस्ट पर हैं।

अनिल विज उस वक्त जब राम जन्मभूमि आंदोलन हुआ तब युवा मोर्चा हरियाणा के अध्यक्ष थे। विज के अनुसार समय के संघर्ष का अनुभव जबरदस्त था। आंदोलन के समय तत्कालीन एसएचओ सागर सिंह ने अनिल विज दिल्ली व आयोध्या न जाएं इसके लिए उनके घर, बस अड्डे व रेलवे स्टेशन पर विशेष पहरे लगा रखे थे। विज उनको चकमा देकर 200 साथियों के साथ आयोध्या पहुंचने में सफल रहे थे। अयोध्या में बाबरी मस्जिद ध्वस्त होने के बाद 1991 में भाजपा नेताओं को तत्कालीन सरकार द्वारा पूरी तरह से नजरबंद किया जा रहा था  उस दौरान जनसंघ व आरएसएस द्वारा किए जाने वाले किसी भी प्रदर्शन या जनसभा पर पूरी तरह से अघोषित रोक भी लगी हुई थी। मौजूदा गृह-स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज उस दौरान भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश युवा मोर्चा के प्रधान थे और सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ उनकी भूमिका बेहद प्रभावी दर्ज की जाती थी। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने दिल्ली में उस दौरान सरकार के खिलाफ एक विशाल रैली के आयोजन की रूपरेखा तैयार की, जिसमें सभी नेताओं ने गिरफ्तारी भी देनी थी। इस रैली के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी पर जब पुलिस ने लाठीचार्ज करना चाहा तो अनिल विज उनके आगे दीवार बनकर खड़े हो गए। जिस पर पुलिस ने बड़ी बेरहमी से उनके 
सिर- टांगों और पीठ पर वार किए, जिससे वह बुरी तरह से घायल हो गए थे।

ऐसा नहीं कि उन पर पुलिस द्वारा प्रहार करने की कोई यह पहली और आखिरी घटना रही थी। समय-समय पर उनकी उपस्थिति जहां सरकारी तंत्र के प्रति बेहद आक्रामक रही है। वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता उनकी मौजूदगी को एक ऊर्जावान-संघर्षशील युवा नेता के रूप में महसूस करते थे। प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज पीजीआई के चिकित्सकों की राय पर आजकल कंप्लीट रेस्ट पर हैं। पिछले साल अनिल विज सिर दर्द की वजह से काफी परेशान चल रहे थे। पीजीआई के चिकित्सकों ने उनके सिर पर बनी 2*3 सिस्ट को एक सफल ऑपरेशन के बाद निकाल दिया था। सिर पर यह सिस्ट कैसे बनी, इसका कारण चिकित्सकों ने भी अनिल विज से काफी पूछना चाहा, लेकिन वह बार-बार इस बारे में कोई विचार साझा करने से परहेज करते नजर आए। दरअसल प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री लंबे समय तक कई आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं और सरकार की गलत नीतियों के विरोध में कई बार पुलिस के लाठीचार्ज के भी शिकार बनते रहे हैं। यह सिस्ट चिकित्सकों के अनुसार कहीं ना कहीं  लाठी लगने का परिणाम हो सकता है। 

कुशल नेतृत्व के मालिक, बेबाक और सख्त अंदाज, स्टीक दिशा निर्देश और अनुशासन प्रिय अनिल विज दूरदर्शी सोच रखते हैं। उनकी सुदृढ़ कार्यशैली, फैसले लेने की शक्ति और काम करने का अंदाज जो भी देखता है वह उनका मुरीद हुए बिना नहीं रह सकता। प्रदेश के मंत्री अनिल विज जो अपने सख्त रवैया के लिए विख्यात हैं, लेकिन उनकी प्रसिद्धि केवल हवा-हवाई नहीं है। अनिल विज केवल अपने अधिकारियों और स्टाफ पर ही पूरी तरह से निर्भर नहीं रहते। वह अपना काम और अपने विभागों की कार्यशैली पर खुद नजर बनाए रखते हैं।

 हरियाणवी राजनीति में एक बड़ा नाम बन चुके अनिल विज एक बेहद साधारण परिवार से संबंध रखते हैं। राजनीति से कभी कोई सरोकार न रखने वाले इस परिवार में जन्मे अनिल विज ने 37 साल की उम्र में अपने दम पर राजनीति में पैर रखे और 6 बार चुनाव जीत चुके अनिल विज आज बेहद जनप्रिय नेता बन चुके हैं। बैंक की नौकरी को छोड़ पहली बार 27 मई 1990 को अंबाला कैंट से उपचुनाव में जीत दर्ज कर विधायक बने। लेकिन राजनीति से पहले भी लोगों की मदद करना, लोगों के दुख दर्द में शामिल होना उनकी आदतों में शुमार रहा। वह कर्मचारी होने के बावजूद जनसेवा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहते थे। जो कि आज तक उन्होंने अपनी इस आदत को बरकरार रखा है।1990 में उनके पहली बार विधायक बनने के बाद अप्रैल 1991 में हरियाणा विधानसभा समय पूर्व ही भंग कर दी गई थी। कुछ वर्ष बाद किसी कारण अनिल विज ने भाजपा का त्याग कर दिया और अप्रैल 1996 और फरवरी 2000 में वह निर्दलीय विधायक बने। वर्ष 2007 में एक राजनीतिक पार्टी ''विकास परिषद" का गठन कर विज ने नारा दिया, काम किया था-काम करेंगे। ज्यादा मान-मनव्वल पर अक्टूबर 2009 में फिर से भाजपा में शामिल हुए और 2009-14 और 2019 के विधानसभा चुनाव में लगातार तीन बार चुनाव जीतकर उन्होंने हैट्रिक लगाई। विज हमेशा स्वार्थ और लालच की राजनीति से दूर रहे और जनता का दुख दर्द हमेशा उनके लिए दुखदाई रहा।

अनिल विज का मानना है कि सरकारी तंत्र के माध्यम किए जाने वाले पत्राचार की स्पीड काफी धीमी होने के कारण आदेश और दिशा निर्देश की पालना में काफी वक्त लगता है। लेकिन टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर तुरंत प्रभाव से अधिकारियों तक बात पहुंचाई जा सकती है। वहीं सोशल मीडिया के माध्यम से जनता को भी पता चलता है कि सरकार क्या कर रही है। इससे सरकार द्वारा की गई कार्रवाई में भी पारदर्शिता नजर आती है। कुछ समय पहले अस्वस्थ होने पर वह अस्पताल में भी इसके जरिए अपने विभिन्न विभागों को नियंत्रित करते रहे थे। 

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