13 साल पहले हुए करोडों रुपए के वैट घोटाले में बड़ी कार्रवाई: 2 पूर्व DETC बर्खास्त, 3 के खिलाफ FIR के आदेश

Edited By Manisha rana, Updated: 09 Dec, 2023 10:36 AM

major action in vat scam worth crores of rupees happened 13 years ago

प्रदेश में 13 साल पहले हुए 10 हजार 618 करोड़ रुपए के वैट घोटाले में अब सरकार की तरफ से कैथल के पांच बड़े आधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है।

कैथल (जयपाल) : प्रदेश में 13 साल पहले हुए 10 हजार 618 करोड़ रुपए के वैट घोटाले में अब सरकार की तरफ से कैथल के पांच बड़े आधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है। लोकायुक्त द्वारा बनाई गई एसआईटी की जांच में दोषी अधिकारियों पर गाज गिरना शुरू हो गई है। सरकार के प्रधान सचिव की तरफ से जारी आदेशों के अनुसार मैसर्ज सुंदर मार्केटिंग एसोसिएट्स भिवानी के मामले में मेजर जगजीत सिंह, डीईटीसी (अब सेवानिवृत्त) व अनिल राव तत्कालीन डीईटीसी (अब जेईटीसी सेवानिवृत्त) के बर्खास्तगी के आदेश जारी किए गए हैं। 

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वहीं कमला चौधरी सेवानिवृत डीईटीसी, आरके नैन डीईटीसी करनाल व आत्मा नंद मलिक सेवानिवृत एईटीओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए एसपी कैथल को सिफारिश की गई है। सरकार ने अब जिन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है यह सभी अधिकारी वेट घोटाला के दौरान कैथल में कार्यरत थे जिनकी रोड साइड टैक्स चोरी में संलिप्त पाई गई है। 

बता दें कि पंजाब केसरी द्वारा 6 नवंबर को इस मुद्दे को प्रमुखता से दिखाया गया था, जिस पर हरियाणा के मुख्यमंत्री द्वारा दोषी अधिकारियों पर जल्द कार्रवाई करने को बात कही थी। 
 

क्या था वैट घोटाले का मामला

बता दें कि साल 2010 से 2014 के बीच प्रदेश में बड़े स्तर पर 10 हजार 618 करोड़ रुपए का वैट (टैक्स) चोरी का घोटाला हुआ था। लोकायुक्त को इसकी शिकायत कैथल निवासी सतबीर किच्छाना द्वारा की गई थी। इसके बाद लोकायुक्त ने इसकी जांच बारे शिकायत संख्या 867/2011 के आधार पर आईपीएस श्री कांत जाधव की अध्यक्षता में 14 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। जिसमें आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारी भी शामिल थे। एसआईटी ने जांच की तो सामने आया कि एक्साइज विभाग के अधिकारियों ने ही रोड साइड चेकिंग के दौरान करोड़ों रुपए का सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचाया। साथ ही बिल्डरों व कांट्रेक्टरों द्वारा कार्मिशियल एक्टीविटी में 100 प्रतिशत टैक्स की चोरी की मिली। जांच में सामने आया कि प्रदेश में रोजाना 1 करोड़ रुपए के टैक्स की चोरी होती थी। सबसे ज्यादा कॉर्मिशयल एक्टिविटी में एनसीआर एरिया में टैक्स चोरी पकड़ी गई। इसमें गुड़गांव, फरीदाबाद, सोनीपत, पानीपत, कैथल व करनाल में बड़े स्तर बिल्डरों व कांट्रेक्टरों ने टैक्स चोरी कर घोटाले को अंजाम दिया था। इसमें एक्साइज विभाग के अधिकारियों की भी मिलीभगत सामने आई थी। 

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SIT ने 345 पेज की रिपोर्ट 14 जनवरी 2015 को लोकायुक्त को सौंपी थी
 

घोटाले की जांच आईपीएस श्रीकांत जाधव की अध्यक्षता में 14 सदस्यीय कमेटी ने की थी। जिसमें पुलिस विभाग के डीएसपी व आबकारी एवं कराधान विभाग के डीईटीसी से लेकर एईटीओ तक शामिल थे। जांच होने में करीब 1 साल का समय लगा। जांच कमेटी ने तत्कालीन लोकायुक्त प्रीतमपाल को 345 पेज की रिपोर्ट बनाकर सौंपी। जिसमें साफ पाया गया था कि प्रदेश में साल 2011 से लेकर 2014 तक 10 हजार 618 करोड़ रुपए का टैक्स घोटाला हुआ है। इसमें 69 एक्साइज विभाग के अधिकारी भी दोषी पाए गए थे। जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत केस दर्ज कर कड़ी कार्रवाई व रिकवरी करने की सिफारिश की गई थी। यह सिफारिश 15 जनवरी 2015 को डायरी नंबर 213 पर लोकायुक्त कार्यालय में रिसीव कराई गई थी।


सरकार ने दो डी.ई.टी.सी को रिटायर्ड होने के बाद किया डिसमिस

लोकायुक्त द्वारा बनाई गई एसआईटी में हरियाणा के 69 अधिकारियों को दोषी पाया गया था जिन में से तीन अधिकारियों पर पहले कार्रवाई हो चुकी है। वहीं अब प्रधान सचिव की तरफ से जारी आदेशों के अनुसार मैसर्ज सुंदर मार्केटिंग एसोसिएट्स भिवानी के मामले में मेजर जगजीत सिंह, डीईटीसी (अब सेवानिवृत्त) व अनिल राव तत्कालीन डीईटीसी (अब जेईटीसी सेवानिवृत्त) के बर्खास्तगी के आदेश जारी किए गए हैं। बता दें कि अब दोनों अधिकारी रिटायर्ड हो चुके थे परंतु एसआईटी की जांच रिपोर्ट में दोनो अधिकारियों को दोषी पाया गया था। जिसके बाद विभाग ने इनको रूल 7 के तहत चार्ज शीट कर दिया था। वहीं अब विभाग की तरफ से की गई विभागीय कार्रवाई में इनको डिसमिस कर दिया गया है।


पूर्व डी.ई.टी.सी सहित दो के खिलाफ एफ.आइ.आर दर्ज करने के लिए एसपी को लिखा पत्र

उप आबकारी व कराधान आयुक्त के कार्यालय द्वारा कैथल की पूर्व डी.ई.टी.सी कमला चौधरी (सेवानिवृत), आरके नैन डी.ई.टी.सी करनाल व आत्मा नंद मलिक एईटीओ (सेवानिवृत) के खिलाफ एसपी को शिकायत भेजते हुए लिखा है कि उनके विभाग द्वारा की गई विभागीय जांच के अनुसार उपरोक्त अधिकारियों द्वारा कार्यालय का निरीक्षण रिकॉर्ड तथा रोड साइड चेकिंग का रिकॉर्ड को सुरक्षित न रखने का दोषी पाया गया है, इसीलिए अब इनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाए, जिसके लिए एसपी कैथल को पत्र लिखकर सिफारिश की गई है।


शिकायतकर्ता रघुवीर सिंह रावीश ने बताया कि उन्होंने 2014 में लोकायुक्त को शिकायत दी थी। जिसके आधार पर अब सरकार ने कैथल और भिवानी जिले में यह पहली कार्रवाई की है। सरकार को गुड़गांव और सोनीपत में भी ऐसी ही कार्रवाई करनी चाहिए।

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