73 वर्ष के हुए हरियाणा विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा, बहुमत न होने के बावजूद चलाई थी सरकार

Edited By Isha, Updated: 15 Sep, 2020 11:23 AM

leader of opposition bhupendra singh hooda

मौजूदा  हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हूडा आज 15 सितम्बर 2020 को 73 वर्ष के हो गए हैं. मार्च, 2005 से अक्टूबर,2014 तक अर्थात लगातार साढ़े नौ वर्षो तक प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर आसीन रहे हुड्डा, जिन्होंने अक्टूबर, 2009 में बहुमत से...

चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी): मौजूदा  हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हूडा आज 15 सितम्बर 2020 को 73 वर्ष के हो गए हैं. मार्च, 2005 से अक्टूबर,2014 तक अर्थात लगातार साढ़े नौ वर्षो तक प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर आसीन रहे हुड्डा, जिन्होंने अक्टूबर, 2009 में बहुमत से चूकने के बावजूद भी जोड़-तोड़ कर सरकार बनायीं और पूरे पांच वर्ष चलाई। सबसे पहले सुर्ख़ियों में तब आये जब वर्ष 1991 में दसवीं लोकसभा के आम चुनावो में उन्होंने अपने गृह ज़िले रोहतक  लोक सभा सीट  से प्रदेश के  दिग्गज जाट नेता एवं देश के तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री ताऊ देवी लाल को 30 ,573 वोटो से पराजित किया. पांच वर्षो बाद 1996 में ग्यारवीं लोक सभा आम चुनावो में हुड्डा ने देवी लाल को पुन: इसी सीट से 2664 वोटो से हराया. इसके बाद वर्ष 1998 में हुए मध्यावधि लोक सभा चुनावो में तीसरी बार हुड्डा ने फिर देवी लाल को रोहतक सीट से पराजित किया हालांकि इस बार जीत का अंतर घटकर मात्र 383 रह गया था।

हुड्डा के राजनीतिक इतिहास के बारे में  एक रोचक तथ्य सांझा करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि हालाकि वह फरवरी, 2000 विधानसभा चुनावो से  लेकर  आज तक  लगातार पांच बार रोहतक ज़िले की गढ़ी-सांपला- किलोई (2009 से पहले किलोई ) विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए है परन्तु आरम्भ में उन्हें इसी सीट से लगातार दो बार पराजय का भी सामना करना पड़ा था पहले वर्ष 1982 विधानसभा आम चुनावो में कांग्रेस पार्टी से अपना पहला विधानसभा  चुनाव लड़ रहे हुड्डा को  देवी लाल की तत्कालीन लोक दल पार्टी के हरी चंद ने 4553 वोटो से हराया था। इसके पांच वर्ष बाद 1987 विधानसभा आम चुनावो में  भूपिंदर हूडा को एक  पुन: हार का मुँह देखना पड़ा और इस बार उन्हें लोक दल के श्री कृष्ण हुड्डा  (वर्तमान हरियाणा विधानसभा में बरोदा सीट से निर्वाचित कांग्रेस विधायक जिनका बीती 12 अप्रैल को निधन हुआ ) ने 15023 वोटो के अंतर से पराजित किया था। बाद में  श्री कृष्ण हुड्डा हालांकि कांग्रेस में शामिल हो गए और  2005 चुनावो में कांग्रेस के टिकट पर यहाँ से विजयी हुए हालांकि मात्र कुछ सप्ताह में ही उन्होंने भूपिंदर हुड्डा के लिए इस  सीट से त्यागपत्र दे दिया चूँकि  मार्च, 2005 में  मुख्यमत्री बने हुड्डा को छः माह से पहले विधायक निर्वाचित होना अनिवार्य था जिसके लिए एक रिक्त विधानसभा सीट की आवश्यकता थी।

हेमंत ने बताया कि भूपिंदर हुड्डा को रोहतक लोक सभा सीट से  वर्ष 1999 लोक सभा आम  चुनावो में इंडियन नेशनल लोक दल के कैप्टन इन्दर सिंह ने 1.44 लाख वोटो से हरा दिया था हालांकि इसके बाद 2004 लोकसभा चुनावो में हूडा ने  भाजपा के कैप्टन  अभिमन्यु, जो पिछली हरियाणा सरकार में वित्त मंत्री थे, को पराजित कर चौथी बार रोहतक से सांसद बने. गत वर्ष 2019 लोक सभा चुनावो में सोनीपत लोक सभा सीट से भी भूपिंदर हुड्डा को लोक सभा चुनावो में अपनी दूसरी हार का सामना करना पड़ा जब भाजपा के रमेश कौशिक ने उन्हें करीब 1 लाख 65 हज़ार वोटों के  विशाल अंतर से हराया।

वर्ष 1997 में भूपिंदर हूडा को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति का अध्यक्ष बनाया गया था जबकि अगस्त, 2002 में उन्हें  भजन लाल के स्थान पर तत्कालीन चौटाला सरकार के दौरान  हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया जिस पद पर वह मई, 2004 तक रहे जब वह 14वी लोक सभा आम चुनावो में रोहतक सीट से चौथी बार जीत हासिल कर संसद पहुंचे। गत वर्ष सितम्बर, 2019 में उन्हें हरियाणा विधानसभा आम चुनावो से ठीक पहले प्रदेश चुनाव प्रबंधन कमेटी का चेयरमैन बनाया गया था जिसका असर यह हुआ कि हरियाणा में जिस कांग्रेस पार्टी को चुनाव विश्लेषक दो अंको में भी सीटें देने से  हिचकिचा रहे थे,  अक्टूबर, 2019 विधानसभा चुनावो में कांग्रेस ने 31 सीटों पर विजय हासिल कर सबको चौंका दिया एवं प्रदेश में अब की बार 75 पार का दावा करने वाली भाजपा को केवल 40 सीटों जीतकर से ही संतोष करना पड़ा, हालाकि भाजपा ने 10 सदस्यी जजपा और सात निर्दलीय विधायको की मदद से गठबंधन सरकार बना ली।

 

बहरहाल, आगामी दो माह में बरोदा सीट पर होने वाले  उपचुनाव जीत में कांग्रेस के लिए यह सीट बचाना हुड्डा के लिए कड़ी चुनौती और कहा जाए तो एक अग्निपरीक्षा  होगी क्योंकि रोहतक, झज्जर और सोनीपत जिलों  में अधिकाँश सीटें हुड्डा के कारण कांग्रेस ने जीती थी एवं सोनीपत की बरोदा सीट पर पिछले तीन विधानसभा चुनावो से लगातार कांग्रेस के दिवंगत श्री कृष्ण हुड्डा ही जीतते रहे। हेमंत  ने बताया कि अगर कांग्रेस बरोदा उपचुनाव  जीतती है तो वह सदन में अपनी मूल संख्या 31 पर पहुँच पाएगी. हालाकि अगर उसे सदन के वर्तमान अंकगणित  में अपनी सरकार बनानी है तो उसे कम से कम 15 विधायक और  चाहिए। इनेलो के अभय चौटाला  तो कभी कांग्रेस का समर्थन करंगे नहीं।  अगर गोपाल कांडा की हलोपा और सातो निर्दलयी कांग्रेस को समर्थन दे देते  हैं फिर भी कांग्रेस को 7 और सदस्यों की आवश्यकता होगी जो 10 सदस्यी जजपा के न्यूनतम दो तिहाई सदस्यों के सहयोग  से ही संभव है. मध्य प्रदेश की तर्ज पर, जहाँ करीब  दो दर्जन  सत्तारूढ़ कांग्रेसी विधायकों ने छ: माह पूर्व  अपनी सदस्यता से सामूहिक त्यागपत्र देकर विपक्षी भाजपा को बहुमत दिलवा दिया,  हरियाणा में भाजपा के विधायको द्वारा  ऐसा करने की कोई सम्भावना ही नहीं है. अगर किसी तरह जोड़-तोड़ कर  कांग्रेस 46 के आंकड़े तक पहुंचकर सरकार बना भी लेती है, तो भी उस सरकार की स्थिरता पर गंभीर प्रश्न चिन्ह उत्पन्न रहेंगे।

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