Edited By Gourav Chouhan, Updated: 16 Oct, 2022 06:32 PM
भिवानी-महेंद्रगढ़ से बीजेपी सांसद धर्मबीर सिंह ने भी एसवाईएल को लेकर अरविंद केजरीवाल से पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की खिंचाई करनी की नसीहत दी है।
भिवानी : वर्षो से हरियाणा की राजनीति को प्रभावित करती रहा सतलुज-यमुना लिंक नहर का विवाद एक बार फिर से मुद्दा बनता जा रहा है। प्रदेश की गठबंधन सरकार ने नेताओं के माध्यम से इस मुद्दे को लेकर पंजाब की आप सरकार को घेरना शुरू कर दिया हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल से लेकर प्रदेश के गृह मंत्री भी इस मुद्दे पर पंजाब की मान सरकार को लेकर बयान दे चुके हैं। भिवानी-महेंद्रगढ़ से बीजेपी सांसद धर्मबीर सिंह ने भी एसवाईएल को लेकर अरविंद केजरीवाल को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की खिंचाई करनी की नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के मुखिया होने के नाते केजरीवाल के मान को समझाना चाहिए, ताकि हरियाणा को उसके हक का पानी मिल सके। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एसवाईएल को लेकर हरियाणा के हक में फैसला सुनाया था। उन्होंने कहा कि हरियाणा का पानी रोकने का पंजाब का कोई हक नहीं है।
विधानसभा में प्रस्ताव पास करे पंजाब सरकार : धर्मबीर सिंह
बता दें कि अरविंद केजरीवाल भिवानी जिले के खेड़ा गांव से हैं। सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा कि अरविंद केजरीवाल अपने गांव खेड़ा में जाकर देखे कि वहां पानी की क्या व्यवस्था है। ऐसे में एसवाईएल के निर्माण को लेकर पंजाब सरकार को अपनी विधानसभा में एक प्रस्ताव पास करना चाहिए, जिसमें वह यह कहे कि पानी को लेकर पंजाब सरकार नहीं, बल्कि केंद्र सरकार उचित फैसला ले। सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार की पहल पर देश के विभिन्न राज्यों में नहरों व नदियों व बांधों को जोड़ने संबंधी 99 महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जिससे देश में पानी का उचित प्रबंधन हुआ है। इसी कड़ी में अब एसवाईएल का पानी भी हरियाणा को मिलना चाहिए। सांसद ने कहा कि कानूनी फैसलों को लागू करने में जिस प्रकार से पंजाब सरकार अड़ंगा लगा रही है, उससे पंजाब सरकार की तानाशाही साफ झलकती है।
एसवाईएल पर दोनों मुख्यमंत्रियों की बैठक के बाद राजनीति हुई गर्म
गौरतलब है कि पंजाब के क्षेत्र में एसवाईएल नहर ना बनने के कारण हरियाणा को 10 लाख एकड़ क्षेत्र को सिंचित नहीं किया जा सका है। इसके कारण हरियाणा प्रदेश को हर साल 12 लाख टन खाद्यान्न की हानि उठानी पड़ती है। यदि 1981 के समझौते के अनुसार 1983 में एसवाईएल नहर बन जाती तो हरियाणा 130 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्न व दूसरे अनाज का उत्पादन करता है, जिससे राज्य को कृषि पैदावार के रूप में 19 हजार 500 करोड़ रुपये अतिरिक्त लाभ मिलता।
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