Edited By Manisha rana, Updated: 24 May, 2023 07:02 PM

हरियाणा के झज्जर की बहू पर्वतारोही अस्मिता ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने में सफलता हासिल की है।
बहादुरगढ़ (प्रवीण धनखड़) : हरियाणा के झज्जर की बहू पर्वतारोही अस्मिता ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने में सफलता हासिल की है। अस्मिता दौरजी शर्मा ने अपने दूसरे प्रयास में माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहरा दिया है।

बताया जा रहा है कि 39 साल की पर्वतारोही अश्मिता दौरजी शर्मा ने मंगलवार की सबुह 8 बजकर 20 मिनट पर माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया। मूलरूप से वह नेपाल के पर्वतारोही परिवार की बेटी अश्मिता दौरजी शर्मा झज्जर की बहू है। झज्जर के वरूण शर्मा के साथ 2021 में उनकी शादी हुई थी। अश्मिता की ननद डॉ तरूणा शर्मा बहादुरगढ़ के डॉ संजय हॉस्पिटल में महिला रोग विशेषज्ञ के तौर पर सेवाएं कर रही है।
22 मई को शुरु की थी चढ़ाई
अश्मिता ने माउंट एवरेस्ट फतेह करने के लिए उन्होंने फाईनल चढा़ई 22 मई की रात 10 बजे शुरू की थी और 23 मई की सबुह 8 बजकर 20 मिनट पर उन्होंने एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा लहरा दिया। पर्वतारोही अश्मिता माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली भारत की पहली महिला पर्वतारोही बछेन्द्रीपाल की शिष्या है। उनके पिता अंग दौरजी पर्वतारोही बछेन्द्रीपाल के शेरपा रहे हैं। उनकी मौत के बाद अश्मिता ने माउंट एवरेस्ट पर फतेह करने का सपना देखा था जिसे उन्होंने पूरा कर दिया। अश्मिता टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन में सीनियर इंस्ट्रक्टर के पद पर कार्यरत है।

अश्मिता ने पर्वतारोहण का बेसिक कोर्स 2021 में किया था शुरु
अश्मिता ने साल 2001 में पर्वतारोहण का बेसिक कोर्स किया था। इसके बाद उन्होंने 7075 मीटर उंची माउंट सतोपंथ, 6420 मीटर उंची माउंट धारामशुराख् 6120 मीटर उंची माउंट गंगोत्री, 6070 मीटर उंची माउंट स्टॉक कांगडी, 6270 मीटर उंची माउंट कांग येतसू,6240 मीटर उचीं माउंट दजो जोंगो को भी फतह किया है। अश्मिता ने अपना स्टेमिना और स्ट्रैन्थ बढ़ाने के लिए 6 से 7 हजार मीटर उंची कई चोटियों को फतह किया और हर रोज कई किलोमीटर तक साईकलिंग और दौड़ भी लगाई है।
आपको बता दें कि अश्मिता ने 30 सितम्बर 2022 को 8163 मीटर उंची माउंट मनासलू पर बिना ऑक्सिजन सिलेन्डर की सहायता से फतह किया था। वो भारत की दूसरी महिला पर्वतारोही है जिन्होंने बिना ऑक्सिजन के 8163 मीटर उंची चोटी को फतह किया है। इस बार भी माउन्ट एवरेस्ट को बिना ऑक्सिजन की सहायता से ही फतह करने की शुरूआत अश्मिता ने की थी, लेकिन स्वास्थ्य कारणों के चलते 8000 मीटर उंचाई के बाद अश्मिता को ऑक्सिजन की सहायता लेनी पड़ी थी। अश्मिता की उपलब्धि पर झज्जर और बहादुरगढ़ में खुशी की लहर है।
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