चुनावी मौसम में ‘जाटों’ का ऐलान बना सिरदर्द

Edited By Updated: 22 Jan, 2017 12:42 PM

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पड़ोसी राज्यों के चुनावी मौसम के दौरान 29 जनवरी से हरियाणा में जाट आंदोलन की सुगबुगाहट पर खट्टर सरकार गंभीर हो गई है।

चंडीगढ़ (अविनाश पांडेय):पड़ोसी राज्यों के चुनावी मौसम के दौरान 29 जनवरी से हरियाणा में जाट आंदोलन की सुगबुगाहट पर खट्टर सरकार गंभीर हो गई है। हालांकि सरकार की ओर से अभी भी जाट आरक्षण संघर्ष समिति के नेताओं को आंदोलन नहीं करने को कहा जा रहा है, लेकिन समिति के आक्रामक होने से सरकार पशोपेश की स्थिति में पड़ गई है। भाजपा सरकार के लिए पश्चिमी यू.पी. में जाट समुदाय का वोट बैंक बचाना भी सिरदर्द बन गया है। 

पश्चिमी यू.पी. से ही ताल्लुक रखने वाले अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक हैं, जिन्होंने 29 जनवरी से हरियाणा के सभी जिलों में अनिश्चितकालीन धरने देने का ऐलान किया है। हालांकि इस आंदोलन में यहां के सभी जाट समुदाय का उन्हें समर्थन नहीं मिल रहा है, लेकिन सरकार के आला-अधिकारी इस चेतावनी के बाद पूरी तरह से सतर्क हो गए हैं। जाटों की चेतावनी के बाद गृह विभाग के आला अधिकारी तथा पुलिस विभाग किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए रणनीति बनाने में जुटा रहा। 

हरियाणा के ए.डी.जी.पी. (कानून-व्यवस्था) मोहम्मद अकील ने प्रदेश के सभी आला पुलिस अधिकारियों से बातचीत की। ए.डी.जी.पी. की ओर से राज्य में पुलिस रेंज के सभी आई.जी. स्तर के अधिकारियों को अपने मताहत जिला पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठकों का आयोजन करने के निर्देश जारी किए हैं। जिला पुलिस अधीक्षक अपने-अपने कार्यक्षत्रों में तैनात थाना प्रभारियों के साथ बैठकों का आयोजन करके 29 जनवरी से पैदा होने वाले संभावित विवाद से निपटने की रणनीति तैयार करेंगे। सूत्रों की मानें तो अगले सप्ताह हरियाणा के गृह सचिव व पुलिस के बड़े अफसर संवेदनशील जिलों का दौरा कर स्थिति का जायजा लेंगे।

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