जगदीश कश्यप का भाजपा से इस्तीफा: 45 साल की सेवा के बाद पार्टी नेतृत्व पर लगाए गंभीर आरोप

Edited By Isha, Updated: 28 Sep, 2024 05:49 PM

jagdish kashyap resigns from bjp after 45 years of service

बरवाला गांव के वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता जगदीश कश्यप ने अपने 45 साल के लंबे राजनीतिक सफर के बाद भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा देने का ऐलान किया है। जगदीश कश्यप ने अपने परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए क

पंचकूला(चंद्र शेखर धरणी) : बरवाला गांव के वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता जगदीश कश्यप ने अपने 45 साल के लंबे राजनीतिक सफर के बाद भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा देने का ऐलान किया है। जगदीश कश्यप ने अपने परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए कहा कि उनके पिता प्रेमचंद आर्य और दादा दयाल प्रसाद आर्य जनसंघ के कट्टर समर्थक थे, जिन्होंने कभी किसी अन्य पार्टी को वोट नहीं दिया। उन्हीं के पदचिह्नों पर चलते हुए, जगदीश कश्यप ने भी संघ का दामन थामा और 1982 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।

जगदीश कश्यप ने बताया कि जब वह 14 साल के थे, तब आपातकाल की चर्चा होती थी और उसी समय उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में रुचि लेना शुरू किया। 1977 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने जनता पार्टी के समर्थन में नारे लगाए। 1987 में विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने भाजपा का समर्थन किया और पार्टी के राष्ट्रीय व प्रदेश नेतृत्व के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए निष्ठापूर्वक कार्य किया।

राम मंदिर आंदोलन और लाल चौक तिरंगा फहराने की भूमिका
राम मंदिर आंदोलन के दौरान जगदीश कश्यप ने पार्टी के आदेशों का पालन करते हुए शिला पूजन और अन्य गतिविधियों में भाग लिया। उन्होंने बताया कि जब श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने का फैसला हुआ, तब उन्होंने लखनपुर बॉर्डर पर गिरफ्तारी दी और पार्टी नेतृत्व को तिरंगा फहराने का अवसर मिला। इस दौरान उग्रवादियों द्वारा काफिले पर गोलीबारी भी हुई, लेकिन कश्यप और उनके साथियों ने जान की बाजी लगाते हुए पार्टी का साथ दिया।

राजनीतिक संघर्ष और पार्टी में उपेक्षा
जगदीश कश्यप ने 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की जीत पर खुशी जताई, लेकिन इसके बाद से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "मनोहर लाल खट्टर ने खुद कहा कि मेरे पास दलाल लेकर मत आना, इससे यह साफ होता है कि पार्टी के वफादार सिपाहियों पर भरोसा नहीं किया जा रहा।"

कश्यप ने आरोप लगाया कि पार्टी ने ओबीसी समाज के हितों की अनदेखी की है। उन्होंने क्रीमी लेयर की सीमा घटाने पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि पुराने कार्यकर्ताओं को मंच पर जगह नहीं दी जाती और नए चेहरों को प्राथमिकता मिलती है।

पार्टी के अंदर चापलूसी और संगठन की समस्याएं
जगदीश कश्यप ने भाजपा के संगठन पर भी सवाल उठाए और कहा कि पार्टी के भीतर केवल चापलूसों को महत्व दिया जा रहा है, जबकि समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने बताया कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने बहुमत से सरकार बनाई, लेकिन हरियाणा विधानसभा चुनावों में सीटों की संख्या घटकर 40 रह गई, जिसके बाद भाजपा को अन्य पार्टियों की बैसाखियों पर चलना पड़ा।

कश्यप का कहना है कि उन्होंने कई बार पार्टी नेतृत्व को संगठन की समस्याओं के बारे में बताया, लेकिन उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया गया। इसके चलते उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है।

अंतिम निर्णय: 45 साल की निष्ठा पर पानी फिरा
जगदीश कश्यप ने अपने इस्तीफे की वजह स्पष्ट करते हुए कहा, "मेरे और मेरे ओबीसी समाज के साथ जो जाति इस पार्टी में हुई है, उससे मेरे 45 साल के कार्यकाल और उसमें किए गए काम पर पानी फिरने का काम पंचकूला के संगठन के लोगों ने किया है। इसलिए मैं अपने सभी पदों से मुक्त होना चाहता हूं।"

जगदीश कश्यप का यह फैसला पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, खासकर आगामी चुनावों को देखते हुए। उनका कहना है कि अब वह घर पर बैठकर आराम से चुनाव का आनंद लेंगे, क्योंकि पार्टी में चापलूसों और बाहर से आए नेताओं को ही महत्व दिया जा रहा है।

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