Haryana Assembly Election: 1966 से 58 वर्षों में अब तक हरियाणा में 87 महिलाएं ही पहुंच पाई विधानसभा

Edited By Isha, Updated: 01 Oct, 2024 04:57 PM

in the 58 years since 1966 only 87 women have reached the assembly in haryana

हरियाणा ही नहीं, बल्कि देश के हर राज्य और हर राजनीतिक दल की ओर से हमेशा राजनीति के साथ हर क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को लेकर उन्हें आरक्षण देने की बात कही जाती है। साथ ही विभिन्न पार्टियों की ओर से राजनीति में भी महिलाओं की भूमिका बढ़ाने की वकालत...

चंडीगढ(:चंद्र:शेखर धरणी) : हरियाणा ही नहीं, बल्कि देश के हर राज्य और हर राजनीतिक दल की ओर से हमेशा राजनीति के साथ हर क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को लेकर उन्हें आरक्षण देने की बात कही जाती है। साथ ही विभिन्न पार्टियों की ओर से राजनीति में भी महिलाओं की भूमिका ढ़ाने की वकालत की जाती है, लेकिन क्या आपकों बता है कि हरियाणा के गठन के बाद से लेकर अब तक हरियाणा में कितनी महिलाएं विधानसभा में पहुंच पाई है। इस बार के विधानसभा चुनाव में किस दल ने कितनी महिलाओं को टिकट दिया है ? चलिए जानते हैं।  हरियाणा में वर्ष 1966 से लेकर अब तक महज 87 महिला विधायक अलग अलग विधानसभा चुनावों में चुनी गई हैं।

राज्य विधानसभा में महिला विधायकों का प्रतिनिधित्व हमेशा से ही कम रहा है। यहां तक कि कुछ महिला विधायकों में से भी कई प्रभावशाली या धनी परिवारों से आती हैं बावजूद इसके पुरुष वर्चस्व ज्यादा रहा है। हरियाणा में आगामी 5 अक्टूबर को 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव हैं। आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 1966 में पंजाब से अलग होने के बाद से राज्य ने केवल 87 महिला विधायकों को चुना। उन 87 महिलाओं में से 47 तो वर्ष 2000 के विधानसभा चुनावों के बाद से चुनी गई हैं। न केवल यहां बात महिला विधायकों को चुनने की हो रही है बल्कि विषम लिंगानुपात के लिए पहचान रखने वाले राज्य में कभी भी महिला मुख्यमंत्री नहीं रही। वर्ष 2019 में राज्य में कुल 104 महिलाओं ने चुनाव लड़ा, लेकिन केवल 9 ही जीत हासिल करने में सफल रहीं। 2014 में 116 महिला उम्मीदवारों में से रिकॉर्ड 13 विधायक चुनी गईं।


कांग्रेस ने दिया सबसे अधिक महिलाओं को मौका
2024 के इस विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने दस महिलाओं को टिकट दिया है, जबकि मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने 12 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जो सभी राजनीतिक दलों में सबसे अधिक है। बहुजन समाज पार्टी और इंडियन नेशनल लोकदल गठबंधन ने मिलकर 11 महिलाओं को मैदान में उतारा है, जबकि आम आदमी पार्टी ने अपनी 90 उम्मीदवारों की सूची में 10 महिलाओं को मौका दिया है। आजाद समाज पार्टी और जननायक जनता पार्टी के बीच नए गठबंधन ने इस चुनाव में 85 सीटों पर आठ महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है। 

2029 से होगा लागू महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक 
संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक पारित किया गया, लेकिन इसे 2029 में लागू किया जाएगा, जो महिलाओं के साथ भी मजाक है।  राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक महिलाओं का प्रतिनिधित्व हमेशा से ही राज्य में चिंता का विषय रहा है। पिछले कुछ वर्षों में विधानसभा चुनावों में महिला उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या और 2000 से 2019 तक राज्य चुनावों में पुरुषों को आसानी से पछाडऩे की उनकी क्षमता हरियाणा की राजनीति में महिलाओं के लिए एक सकारात्मक पहलू है। 
हरियाणा में बाल लिंग अनुपात

2019-2021 में आयोजित राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण से बाल लिंग अनुपात पर नवीनतम डेटा के अनुसार हरियाणा में बाल लिंग अनुपात प्रति 1000 पुरुषों पर 885 महिलाएं हैं। यह 2011 की जनगणना में दर्ज प्रति 1000 पुरुषों पर 834 महिलाओं पर एक महत्वपूर्ण सुधार है। हालांकि प्रगति तो हुई है लेकिन अभी भी हरियाणा में बाल लिंग अनुपात प्रति 1000 पुरुषों पर 933 महिलाओं के राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है। यह दर्शाता है कि लिंग आधारित भेदभाव को दूर करने और राज्य में लड़कियों के समान अस्तित्व और विकास को सुनिश्चित करने के लिए अभी भी काम किया जाना बाकी है।

महिला उम्मीदवारों की राजनीतिक विरासत
इस बार के विधानसभा चुनाव में अटेली से भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड रही आरती राव केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी है। वह इस बार अपना पहला चुनाव लड़ रही है। उनके दादा राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।
तोशाम विधानसभा से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रही श्रुति चौधरीपूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती होने के साथ ही पूर्व मंत्री और राज्यसभा सदस्य किरण चौधरी की बेटी है। श्रुति के पिता स्वर्गीय सुरेंद्र भी हरियाणा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। 
पहलवान विनेश फोगट जींद जिले के जुलाना निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर अपना पहला चुनाव लड़ रही हैं। वह फोगट भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख और भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों के विरोध का चेहरा थी, जिन पर पहलवानों ने यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया था। वे आप की कविता दलाल के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं, जो डब्ल्यूडब्ल्यूई में प्रतिस्पर्धा करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान हैं।

एशिया की सबसे अमीर महिला हैं और ओपी जिंदल समूह की अध्यक्ष सावित्री जिंदल बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर हिसार से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रही हैं। वह हरियाणा के मंत्री और मौजूदा हिसार विधायक कमल गुप्ता के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लडऩे रही हैं। उनके पति स्वर्गीय ओपी जिंदल हरियाणा सरकार में मंत्री रह चुके हैं, जबकि बेटे नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र लोकसभा से बीजेपी के सांसद हैं।
अंबाला छावनी सीट से पूर्व गृह मंत्री अनिल विज के खिलाफ चित्रा सरवारा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में है। सरवारा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सहयोगी निर्मल सिंह की बेटी हैं। कांग्रेस द्वारा टिकट देने से इनकार करने के बाद उन्होंने 2019 का चुनाव

निर्दलीय के रूप में लड़ा था। वह 44,000 से अधिक वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी।nइसी प्रकार से नूंह विधानसभा से आम आदमी पार्टी की ओर से राबिया किदबई को चुनावी मैदान में उतारा गया है। वह हरियाणा के 13वें राज्यपाल अखलाक-उर-रहमान किदवई की पोती हैं।
बादशाहपुर विधानसभा से कुमुदनी राकेश दौलताबाद निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं। उनके पति और सीट के पूर्व विधायक राकेश दौलताबाद का इस साल की शुरुआत में निधन हो गया था। उन्होंने 2019 का चुनाव निर्दलीय के तौर पर जीता था।

 

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