रोटी कमाने अमरीका गए संदीप का शव कफन में लिपटकर लौटा, गांव की गलियों में गूंजी सिसकियां

Edited By Manisha rana, Updated: 25 Feb, 2025 07:51 AM

haryana youth dies in america

जिस बेटे के विदेश जाने की खुशी में ढोल-नगाड़े बजे थे, उसी बेटे का शव जब सोमवार को कलायत के गांव मटौर में पहुंचा तो हर कोई फफक पड़ा।

कलायत : जिस बेटे के विदेश जाने की खुशी में ढोल-नगाड़े बजे थे, उसी बेटे का शव जब सोमवार को कलायत के गांव मटौर में पहुंचा तो हर कोई फफक पड़ा। गांव की गलियों में सिसकियां गूंज रही थीं। करीब अढ़ाई वर्ष पहले युवा अपने परिवार के सपनों को साकार करने के लिए अमरीका गया था। उसकी अंतिम यात्रा  सफेद कपड़े में लिपटकर पूरी हुई। परंपरा अनुसार गांव की श्मशान भूमि में 24 वर्षीय युवा का संस्कार किया गया। युवा को अपने गांव की मिट्टी प्रदान करने के लिए अमरीका में रह रहे भारतीय युवाओं और परिवार के सदस्यों ने 16 लाख रुपए की बड़ी राशि व्यय की। इसके साथ ही लंबी कागजी प्रक्रिया को पूरा किया। 

पिछले 12 दिन से युवा के शव का इंतजार गांव में हो रहा था। चाचा रामचंद्र मौण, सुरेश मौण और जगबीर मौण ने बताया कि 12 फरवरी को संदीप की हृदय गति रुकने से मौत हो गई। युवा कैलिफोर्निया और अरिजोना में ड्राइवर की नौकरी करता था। सायं को वह ड्यूटी समाप्त कर घर आया तो उसे सीने में दर्द की शिकायत हुई। उसे खून की उलटी हुई। उसके साथ में रह रहे गांव के 2 अन्य युवा उसे तत्काल अस्पताल में ले गए, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। गांव मटौर के करीब 150 बच्चे अमरीका में रह रहे हैं। संदीप की मौत की सूचना मिलते ही भारतीय युवा तुरंत अस्पताल पहुंचे थे। उन्होंने प्रशासन से शव को गांव मटौर में लाने का प्रयास शुरू किया, जो सांझे प्रयासों से सफल भी हुआ। संदीप अभी तक अविवाहित है। परिवार में उसकी विधवा माता बिमला देवी और बड़ा भाई अमित है। परिवार मुख्य रूप से संदीप पर ही निर्भर था। ग्रामीणों ने बताया कि अमरीका में संदीप की मौत से हर कोई गम में डूबा है। दुखद पहलू है कि संदीप के परिवार से 4 लोगों की पहले अलग-अलग समय में हृदयाघात से मौत हो चुकी है। परिवार के सदस्यों को नहीं मालूम था कि अमरीका गए युवा संदीप को भी यही बीमारी लील लेगी।

अपने पीछे कई प्रश्न चिन्ह छोड़ गया संदीप 

संदीप चला गया, लेकिन अपने पीछे कई यक्ष प्रश्न छोड़ गया। क्या विदेश जाकर पैसा कमाने की यह दौड़ युवाओं को अपनों से दूर ले जा रही है? क्या यह सपना जो इन दिनों हर गांव के घर में पलता है हकीकत में एक दर्दनाक जुदाई बनकर रह जाता है? आज मटौर गांव की हवा में संदीप की विधवा मां की वेदना तैर रही थी। वह बार-बार कह रही थी कि वहां हमें बसाने गया था, लेकिन तू ही हमेशा के लिए चला गया।

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