Edited By Isha, Updated: 11 Nov, 2024 09:00 PM
हरियाणा प्रदेश में गाड़ियों की प्रतिदिन संख्या बढ़ रही है। सड़कों पर वाहनों की लाइन लगी रहती है। अब हरियाणा सरकार ने राज्य में पंजीकृत वाहन स्क्रैपेज एवं री-साइक्लिंग सुविधा प्रोत्साहन नीति-2024 अधिसूचित की है। इससे हरियाणा प्रदेश में पुरानी गाड़ियों के...
चंडीगढ़: हरियाणा प्रदेश में गाड़ियों की प्रतिदिन संख्या बढ़ रही है। सड़कों पर वाहनों की लाइन लगी रहती है। अब हरियाणा सरकार ने राज्य में पंजीकृत वाहन स्क्रैपेज एवं री-साइक्लिंग सुविधा प्रोत्साहन नीति-2024 अधिसूचित की है। इससे हरियाणा प्रदेश में पुरानी गाड़ियों के स्क्रैपिंग और री-साइक्लिंग सुविधा उपलब्ध होगी और जगह-जगह कबाड़ में तब्दील हो चुके वाहनों के पुर्जों का फिर से उपयोग हो सकेगा। इससे हरियाणा में ईको पर्यावरण में भी सुधार होगा। बता कि इस नीति को सरकार उद्योग का दर्जा देगी।
प्रदेश में स्थापित की जाने वाली नई उद्योग इकाइयों को पूंजी अनुदान या राज्य GST में प्रतिपूर्ति दी जाएगी। इस नीति के तहत उद्योग एवं वाणिज्य विभाग हरियाणा राज्य औद्योगिक विभाग के माध्यम से 10 साल की लीज पर देने का मॉड्यूल तैयार किया जाएगा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एनजीटी द्वारा पुराने डीजल गाड़ियों की 10 साल व पेट्रोल गाड़ियों की 15 साल तक पासिंग सीमा अवधि तय करने बाद कंडम वाहनों की संख्या निरंतर बढ़ रही है और इसको देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है।
जानकारी के अनुसार बता दें कि सरकार स्टार्टअप, महिला उद्यमी और अनुसूचित जाति श्रेणी के उम्मीदवारों को उद्यम पूंजी निधि स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाएगी। अवसंचरण विकसित करने के लिए 20 करोड़ तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध करने की योजना। इसमें भूमि को छोड़कर संर्पूण परियोजना की 10 फीसद लागत और औद्योगिक श्रेणी के डी ब्लॉक में शत फीसद और बी व सी श्रेणी के ब्लॉक में 75 फीसद स्टांप ड्यूटी की प्रतिपूर्ति की जाएगी। उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए परियोजना लागत का 50 फीसद अनुदान दिया जाएगा, जो 5 करोड़ रुपये तक का होगा। इसके अलावा हरियाणा के युवाओं के कौशल एवं रोजगार उपलब्ध कराने वाले 10 ऐसे उद्योगों को 50 लाख रुपये का अनुदान भी दिया जाएगा।
प्रदेश के उद्योग मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा कि हरियाणा की सरकार की इस पहल से गड़ियों के पुर्जों की री-साइक्लिंग होने से दोबारा से इस्तेमाल संभव हो सकेगा। इससे पर्यावरण प्रदूषित होने से बचाव होगा और अर्थ व्यवस्था भी मजबूत होगी। इसके अलावा गाड़ी मालिकों को भी आर्थिक फायदा होगा और जनता को सड़कों, गलियों व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर कंडम वाहनों की पार्किंग से निजात मिलेगी।