Edited By Isha, Updated: 13 Apr, 2025 11:28 AM

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एच.एस.एस.सी) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए एक अनुसूचित जाति वर्ग के अभ्यर्थी की प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टी.जी.टी) पद पर नियुक्ति की
चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एच.एस.एस.सी) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए एक अनुसूचित जाति वर्ग के अभ्यर्थी की प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टी.जी.टी) पद पर नियुक्ति की दावेदारी को खारिज करने को कानून का खुला उल्लंघन करार दिया है। जस्टिस त्रिभुवन दहिया की पीठ ने आयोग की कार्रवाई को मनमाना और अवैध ठहराते हुए आयोग पर एक लाख रुपए की जुर्माना लगाते हुए यह राशि याचिकाकर्ता को अदा करने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट ने यह आदेश पंचकूला निवासी हरभजन कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए जारी किया। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि आयोग ने कानून की पूरी तरह अनदेखी करते हुए याचिकाकर्ता का चयन निरस्त किया, जिससे उसे अनुचित मुकदमेबाजी में घसीटा गया। यह न केवल मानसिक उत्पीड़न बल्कि अपमानजनक भी था। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने गणित विषय में हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर रखी थी, जो कि पात्रता के लिए पर्याप्त है।
पहले से मौजूद न्यायिक निर्णयों के खिलाफ थी कार्रवाई: याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट
का दरवाजा खटखटाते हुए 2 फरवरी 2023 20 को जारी उस आदेश को रद्द करने की मांग की थी, जिसमें उसे विषय विशेष में हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा न होने के आधार पर एससी कोटे में नियुक्ति से वंचित कर दिया गया था। कोर्ट ने पाया कि आयोग की यह कार्रवाई पहले से मौजूद न्यायिक निर्णयों के बिल्कुल खिलाफ थी।
कोर्ट ने एक मामले का हवाला देते हुए कहा कि हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा को संबंधित विषय में उत्तीर्ण करना अनिवार्य नहीं है और ऐसा कोई प्रावधान हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा स्कीम में नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह शर्त आयोग ने अपनी बुद्धि से जोड़ दी थी. जिसे पहले ही असंवैधानिक ठहराया जा चुका है
रिक्त पद पर नियुक्त करने का दिया निर्देश
कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए आयोग को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता का नाम नियुक्ति के लिए अनुशंसा करें और उसे किसी रिक्त पद पर नियुक्ति प्रदान करे, बशर्ते वह अन्य सभी आवश्यक योग्यताओं को पूरा करता हो। इसके साथ ही राज्य सरकार को निर्देशित किया गया कि याचिकाकर्ता को उसी विज्ञापन के तहत नियुक्त अन्य एससी अभ्यर्थियों की तिथि से नियुक्ति प्रदान की जाए।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि 27 जुलाई 2024 को घोषित परिणाम के आधार पर कोई भी नई नियुक्ति नहीं की जाएगी। इसके साथ ही अदालत ने सरकार से विषय विशेषज्ञों की मूल रिपोर्ट पर विस्तृत उत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया है। उत्तर में यह स्पष्ट करना होगा कि विशेषज्ञों की नियुक्ति कैसे की गई, उनकी योग्यता क्या थी।