लापरवाही पर हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग सख्त, शिकायतकर्ता को 5 हजार रुपए मुआवज़ा देगा DHBVN

Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 22 Apr, 2025 09:25 PM

haryana service commission imposed penalty on dhbvn

हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में बिजली विभाग की खामियों के चलते शिकायतकर्ता को 5 हजार रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है।

गुड़गांव, (ब्यूरो): हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में बिजली विभाग की खामियों के चलते शिकायतकर्ता को 5 हजार रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। गुड़गांव निवासी भरत यादव, ने आयोग में यह शिकायत दर्ज करवाई थी कि उन्होंने 1 जनवरी 2025 को घरेलू उपयोग के लिए 2 किलोवाट का नया बिजली कनेक्शन लेने हेतु आवेदन किया था, किंतु इसके बावजूद उन्हें लंबे समय तक विभागीय कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़े। उन्हें कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया और अंततः कई महीनों के बाद 26 मार्च 2025 को अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी किया गया। इस देरी के दौरान न तो आवेदन को अस्वीकृत किया गया, न ही कोई जानकारी दी गई, जिससे शिकायतकर्ता को अनावश्यक तनाव झेलना पड़ा।

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आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि आयोग की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि शिकायतकर्ता भरत यादव को बिना किसी गलती के अनावश्यक रूप से मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसके लिए निगम जिम्मेदार है। आयोग द्वारा मामले की सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि बिल्डर को 24 दिसंबर 2024 को भेजे गए पत्र में निगम ने स्पष्ट रूप से यह बताया था कि एकल-बिंदु कनेक्शन को बहु-बिंदु में बदलने की मंज़ूरी निगम के पूर्णकालिक निदेशकों द्वारा 30 मई 2024 को ही दे दी गई थी। इसके बावजूद निगम के अधिकारियों द्वारा ‘विद्युतीकरण योजना’ की स्वीकृति के नाम पर प्रक्रिया को अनावश्यक रूप से रोका गया। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसी योजना केवल कॉलोनाइज़र या अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रस्तुत की जाती है, न कि स्वयं डीएचबीवीएन द्वारा, जब कनेक्शन सीधे निगम द्वारा जारी किए जाने हों।

 

आयोग द्वारा जांच मे यह भी पाया गया कि निगम पहले ही लगभग 4000 मीटर खरीद चुका था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि विद्युतीकरण योजना की स्वीकृति से पहले ही कनेक्शन जारी करने की मंशा थी। इसके अतिरिक्त, आयोग ने यह भी टिप्पणी की कि जब इसी प्रकार के लगभग 39 कनेक्शन बिना योजना की स्वीकृति के जारी किए जा सकते हैं, तो शिकायतकर्ता को इस सुविधा से क्यों वंचित किया गया। आयोग ने इस पूरे प्रकरण को उपभोक्ता के अधिकारों के उल्लंघन और उनकी सेवा में स्पष्ट लापरवाही का मामला मानते हुए, हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(एच ) के अंतर्गत कार्यवाही करते हुए 5 हजार रुपए की मुआवजा राशि स्वीकृत की है। यह राशि प्रारंभ में  दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम अपने कोष से अदा करेगा तथा बाद में आंतरिक जांच के पश्चात दोषी अधिकारियों से वसूल की जा सकती है।

 

इसके साथ ही आयोग ने प्रथम स्तर की शिकायत निवारण प्राधिकरण के रूप में कार्यरत कार्यकारी अभियंता विकास यादव के आचरण पर असहमति जताई है, जिन्होंने दो बार सुनवाई में भाग नहीं लिया। आयोग ने उन्हें भविष्य में सतर्क रहने की सलाह दी है और उनका नाम निगरानी हेतु डेटाबेस में दर्ज किया है ताकि भविष्य में उनके कार्य-प्रदर्शन पर नजर रखी जा सके।

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