आयोग लागू होने के एक वर्ष बाद भी गठित नहीं हुआ हरियाणा अनुसूचित जाति

Edited By Isha, Updated: 16 Feb, 2020 01:10 PM

haryana scheduled castes not formed even after one year of implementation

लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व सितम्बर, 2018 में प्रदेश की मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा राज्य विधानसभा से हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग विधेयक, 2018 पारित करवाया गया

चंढीगढ़(धरणी)- लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व सितम्बर, 2018 में प्रदेश की मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा राज्य विधानसभा से हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग विधेयक, 2018 पारित करवाया गया जिसे राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य द्वारा 5 नवम्बर 2018 को स्वीकृति प्रदान की गई जबकि 30 नवम्बर 2018 को इसे हरियाणा सरकार के गजट (राजपत्र) में प्रकाशित किया गया। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि उक्त हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग अधिनियम, 2018 की धारा 1(2 ) में उल्लेखित है कि यह कानून हालांकि उस तिथि से लागू होगा जो राज्य सरकार सरकारी गजट में नोटीफिकेशन जारी कर निर्धारित करेगी। 

इस सम्बन्ध में आज से ठीक एक वर्ष पूर्व 15 फरवरी 2019 को हरियाणा सरकार के अनुसूचित जातियां एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव, धनपत सिंह, आई.ए.एस. द्वारा एक नोटीफिकेशन जारी कर उसी तिथि से यह कानून लागू कर दिया गया परन्तु यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज एक वर्ष बाद भी यह आयोग गठित नहीं किया गया है। यही नहीं गत वर्ष 24 जुलाई 2019 को अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की तत्कालीन प्रधान सचिव नीरजा शेखर द्वारा उक्त 2018 अधिनियम की धारा 16 के अंतर्गत हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग नियम, 2019 भी गजट में नोटीफाई किए गए जो उसी दिन से लागू भी हो गए।

आयोग अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष तक होगा
हेमंत ने बताया कि हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग कानून, 2018 की धारा 3 के अनुसार आयोग में एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष होगा जो सामाजिक जीवन में व्यापक अनुभव रखने वाला एवं अनुसूचित जातियों से संबंधित प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा तथा जिसने सरकारी गतिविधियों में काम किया हो, सहयोग दिया हो या अनुसूचित जातियों से संबंधित सरकार का कोई सेवानिवृत्त अधिकारी हो। जहां तक उपाध्यक्ष का विषय है, वह आयोग के सदस्यों में से ही पदांकित किया जाएगा। आयोग में अध्यक्ष के अलावा अधिकतम 4 सदस्य होंगे जो अनुसूचित जाति से संबंधित होंगे जिनमें से एक महिला होगी। इसके अलावा आयोग में एक सदस्य सचिव हो, जो सरकार का अधिकारी हो या रहा हो, जो स्पैशल सैक्रेटरी (विशेष सचिव) से नीचे के रैंक का न हो। आयोग के अध्यक्ष,उपाध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष या उनकी 65 वर्ष तक की आयु तक होगा।

आयोग के पास सिविल कोर्ट जैसी शक्ति भी होगी
जहां तक आयोग के कार्यों एवं शक्तियों का प्रश्न है, तो प्रदेश के अनुसूचित जातियों के कल्याण व संरक्षण हेतु भारत के संविधान एवं अन्य कानूनों में उन्हें दिए गए अधिकारों को सुनिश्चित करना, इन जातियों के हितों की रक्षा करना, इनके द्वारा दायर की गई शिकायतों की उचित जांच करना, इन जातियों के लोगों के सामाजिक-आॢथक विकास की योजना प्रक्रिया एवं प्रगति के सम्बन्ध में कार्यों का निर्वहन करना आदि शामिल हैं। आयोग के पास सिविल कोर्ट जैसी शक्ति भी होगी। ज्ञात रहे कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 338 में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का प्रावधान है जिसके वर्तमान अध्यक्ष भाजपा के नेता राम शंकर कथेरिया हैं जिन्हें मोदी सरकार ने मई, 2017 में नियुक्त किया था। वर्ष 2004 में केंद्र की वाजपेयी सरकार ने संविधान संशोधन कर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के लिए अनुच्छेद 338 ए डाला जबकि वर्ष 2018 में मोदी सरकार ने संविधान संशोधन कर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के लिए अनुच्छेद 338 बी डाल दिया था।

हुड्डा सरकार ने भी की थी अनुसूचित जाति आयोग की स्थापना 
हेमंत ने यह भी बताया कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार द्वारा साढ़े 6 वर्ष पूर्व 10 अक्तूबर, 2013 को एक सरकारी  नोटीफिकेशन द्वारा भी हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग की स्थापना की गई थी परन्तु इसके अध्यक्ष के रूप में हरियाणा कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष फूल चंद मुलाना एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति इसके 10 महीने बाद अगस्त, 2014 में की गई थी जब राज्य विधानसभा के आम चुनाव केवल 2 माह दूर थे जिस कारण इसे राजनीतिक तौर पर देखा गया। बहरहाल, जब अक्तूबर, 2014 विधानसभा चुनावों में  भाजपा सरकार बनी तो दिसम्बर, 2014 में उक्त आयोग को भंग कर दिया गया था जिसे मुलाना ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका डालकर चुनौती भी दी थी जिसको दिसम्बर, 2016 में हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।   

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