NCRB के आंकड़ों ने खोली सरकार की पोल, क्राइम में तीसरे नंबर पर हरियाणा

Edited By Punjab Kesari, Updated: 02 Dec, 2017 01:44 PM

haryana at number three in violent acts

हरियाणा सरकार एक तरफ बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की सफलता का दावा करते नहीं थकती तो वहीं दूसरी तरफ नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े सरकार के दावों की पोल खोलते प्रतीत होते हैं कि हरियाणा में महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं। पंजाब के मुकाबले हरियाणा...

चंडीगढ़(बंसल): हरियाणा सरकार एक तरफ बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की सफलता का दावा करते नहीं थकती तो वहीं दूसरी तरफ नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े सरकार के दावों की पोल खोलते प्रतीत होते हैं कि हरियाणा में महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं। पंजाब के मुकाबले हरियाणा में बच्चियों से बलात्कार की घटनाएं ज्यादा हैं। लूट, रेप, हत्या, दंगा-फसाद जैसी हिंसक वारदातों में हरियाणा तीसरे नंबर पर आया है। ऐसी वारदातों में यूपी और बिहार जैसे प्रदेश भी हरियाणा से पीछे छूट गए हैं।

वारदातों का ब्यौरा
प्रदेश में साल 2016 में कुल 14,392 हिंसक वारदात हुई जो संख्या के हिसाब से तो अन्य राज्यों के मुकाबले 11वें नंबर पर है, लेकिन बात यदि आबादी के हिसाब से अपराध दर की करें तो यह तीसरे नंबर पर आता है। प्रदेश में 2016 में 1057 हत्याएं हुई जबकि 3922 केस अपहरण के दर्ज हुए। दंगा-फसाद तो यहां आम हो गया है। औसतन हर सप्ताह प्रदेश में कहीं कहीं एक दंगा जरूर हो रहा है। पिछले साल 2744 दंगा-फसाद हुए हैं। 1187 महिलाओं के साथ रेप किया गया और 137 के साथ रेप करने की कोशिश हुई। 1070 जगह आगजनी की घटनाएं हुई। 177 जगह डकैती डाली गई और 734 जगह लूट की वारदातों को अपराधियों ने अंजाम दिया। 260 बेटियों को दहेज के लिए बलि चढ़ा दिया गया। 889 लोगों पर जानलेवा हमला हुआ तो 2052 लोगों को गंभीर चोट मारी गई।

पंजाब के मुकाबले हरियाणा में बढ़ी बलात्कार की घटनाएं
आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के विरुद्ध हुए अपराध में वर्ष 2014 में 9010 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं वर्ष 2015 में वह बढ़कर 9511 और 2016 में 9839 मामले दर्ज हुए हैं, वहीं गत वर्ष इस प्रकार की 1187 घटनाएं घटी। जहां तक बच्चियों के बलात्कार का प्रश्न है तो पंजाब में 133 बच्चियां ही इसका शिकार थी परंतु हरियाणा में 518 पीड़िताएं हैं। हरियाणा महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की अदालतों में सफल सुनवाई करवाने में भी पंजाब से बहुत पीछे है। जहां पंजाब में 24.3 प्रतिशत मामलों में आरोपियों को सजा दिलवाई जाती है वहीं हरियाणा में मात्र 13.4 आरोपी ही सजा पाते हैं। 

दलितों के विरूद्ध बढ़े अपराध
आंकड़ों के अनुसार दलितों के विरुद्ध अपराधों में भी वृद्धि हुई है। वर्ष 2014 में 475 मामले थे जो 2015 में बढ़कर 510 हो गए और 2016 में बढ़कर 639 हो गए। इस मामले में भी पंजाब से तुलना की जाए तो वहां उन्हीं वर्षों में क्रमश: 123, 147 और 132 मामले दर्ज हुए। अंतर्जातीय टकराव के कारण राज्य में 4 मौतें भी हो चुकी हैं।

2016 में 88527 मामले दर्ज
कानून व्यवस्था को लेकर सरकार की सबसे बड़ी असफलता क्राइम ब्यूरो के इस आंकड़े में दिखाई देती है जिसके अनुसार वर्ष 2014 में 79947 अपराध के मामले दर्ज हुए, वर्ष 2015 में 84466 मामले और वर्ष 2016 में 88527 मामले दर्ज हुए।

आपराधिक मामलों में वृद्धि सभ्य समाज के लिए शर्म की बात: अभय
नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला ने नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी किए गए वर्ष 2016 के हरियाणा संबंधी अपराध आंकड़ों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भाजपा के 3 साल के शासन में लगभग 10 हजार अपराध के मामलों में वृद्धि हुई है जो सभ्य समाज के लिए शर्म और चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि सरकार जयंतियों और उत्सवों को मनाने की मानसिकता से बाहर निकले और राज्य की कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए प्रभावी कदम उठाए।

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