टिकैत पर पलटवार और भाजपा का बहिष्कार, सोनीपत में कार्यालय का उद्घाटन कर गरजे चढ़ूनी

Edited By Saurabh Pal, Updated: 10 Dec, 2023 03:58 PM

gurnam chaduni announced boycott of bjp in sonipat

जिले में किसानों द्वारा बनाए गए किसान कार्यालय का आज गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने उद्घाटन किया। इस दौरान किसानों की मांगों को लेकर सरकार को किस तरह से घेर जाए, इसको लेकर किसान नेता ने एक बैठक की...

सोनीपत(सन्नी मलिक): जिले में किसानों द्वारा बनाए गए किसान कार्यालय का आज गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने उद्घाटन किया। इस दौरान किसानों की मांगों को लेकर सरकार को किस तरह से घेर जाए, इसको लेकर किसान नेता ने एक बैठक की। वहीं पिछले दिनों जयंत चौधरी व धर्मेंद्र यादव के साथ जनआक्रोश रैली में गुरनाम ने मंच साझा किया था। जिसके बाद इनके चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। अब इस पर चढ़ूनी ने स्पष्ट किया है कि वह आगामी चुनाव को लेकर कोई रणनीति नहीं बना रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लेकिन इतना स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी का चुनाव में बहिष्कार किया जाएगा। वहीं राकेश टिकैत द्वारा किसानों को राजनीति से दूर रहने के बयान पर चढ़ूनी ने उनपर जमकर निशाना साधा।

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तीन कृषि कानून के खिलाफ चलाए गए आंदोलन के दौरान किसान नेता राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढ़ूनी के बीच शुरू हुई बयानबाजी का सिलसिला अभी जारी है। दोनों नेता एक दूसरे पर कटाक्ष करते हुए नजर आ रहे हैं। राकेश टिकैत द्वारा किसानों को राजनीति में ना आने की सलाह पर गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि राकेश टिकैत पहले भी पार्टी बनाकर चुनाव लड़ चुके हैं, पहले तो उन्होंने विधायकी का चुनाव लड़ा और बाद में लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा और उसके बाद यह बात आई कि अंगूर खट्टे हैं। अगर किसी भी किसान नेता ने किसानों का भला किया है तो वह जग जाहिर है ताऊ देवीलाल और चौधरी चरण सिंह ने किसान होते हुए राजनीति की। इसके साथ ही किसानों का भला किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि आगामी चुनाव में वह सीधे तौर पर हिस्सेदारी नहीं करेंगे, लेकिन भारतीय जनता पार्टी का बहिष्कार जरूर किया जाएगा।

वहीं किसानों की अधूरी रह गई मांगों को पूरी करवाने को अगामी रणनीति को लेकर पूछे गे सवाल पर उन्होंने कहा कि हमें आशंका है कि सरकार एक बार फिर किसानों के खिलाफ तीन कृषि कानून लेकर आ रही है। जिसको लेकर हम तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक उत्तर प्रदेश और दिल्ली के किसानों के खिलाफ मुकदमे वापस नहीं हुए हैं। जिसको लेकर हम एक बड़ा आंदोलन का प्रयास कर रहे हैं। वहीं एमएसपी पर हरियाणा सरकार कई फसलें खरीद रही है, लेकिन कई फसले अभी भी भावांतर पर ही खरीदी जा रही हैं। जिसका हम लगातार विरोध कर रहे हैं, उन फसलों को भी हम एमएसपी के दायरे में लाने की सरकार से मांग कर रहे हैं। अब हम संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा नहीं हैं। जिसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा से हमारी मांग है कि वह इन मांगों पर ध्यान दे, जो कि किसान आंदोलन के दौरान अधूरी रह गई थी।

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