Edited By Manisha rana, Updated: 09 Mar, 2025 11:08 AM

सी.एम.आर. चावल की गाड़ी लगाने के लिए स्थान न मिलने के कारण राइस मिल मालिक परेशान हैं।
गुहला-चीका (ब्यूरो) : सी.एम.आर. चावल की गाड़ी लगाने के लिए स्थान न मिलने के कारण राइस मिल मालिक परेशान हैं। भारतीय खाद्य निगम व संबंधित एजैंसी मिल मालिकों की इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान न देकर राइस मिल मालिकों को किसी न किसी तरीके से उजाड़ने के कगार पर है। इस संबंध में राइस मिल मालिकों ने अग्रवाल धर्मशाला में एक विशाल बैठक का आयोजन किया, जिसकी अध्यक्षता स्थानीय प्रधान रामसरूप जिंदल ने की।
जिंदल ने कहा कि सी.एम.आर. चावल लगाने के लिए निगम के अधिकारी व कर्मचारी राज्य सरकार के अधिकारी तथा कर्मचारियों पर हावी हैं, जिस कारण इन दोनों का खामियाजा मिल मालिकों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मिल मालिकों को सी.एम.आर. चावल लगाने के लिए स्थान उपलब्ध करवाना संबंधित एजैंसी की जिम्मेवारी है और यदि संबंधित एजैंसी मिल मालिक को समय रहते स्थान उपलब्ध नहीं करवाती तो उससे किसी भी प्रकार का होल्डिंग चार्जस लेना गलत है। उन्होंने कहा मिल मालिक की गर्दन संबंधित एजैंसी के अधिकारी तथा कर्मचारियों के हाथ में होती है और बाद में सी.एम.आर. चावल का तमाम कार्य निपटने के बाद जब मिल मालिक एजैंसी के पास हिसाब करने के लिए जाता है तो उसके खाते से जो सिक्योरिटी जमा होती है, उसमें से लाखों रुपए काट लिए जाते हैं। उ
न्होंने कहा कि प्रत्येक राइस मिल मालिक के पास 10 से 12 चावल गाड़ी तैयार हैं और स्थान न मिलने के कारण अपनी राइस मिलें बंद कर बैठे हैं। सी.एम.आर. चावल के लिए जगह उपलब्ध करवाने के लिए मिल मालिक ने केंद्र सरकार व राज्य सरकार के पास जाकर तमाम गुहार लगाई जा चुकी हैं, लेकिन सरकार इतनी बहरी और गूंगी हैं कि मिल मालिकों की एक भी बात न सुनकर चुप्पी साधे हुए हैं, जिस कारण निगम मिल मालिकों पर हावी होता जा रहा है। जिंदल ने कहा कि जब मिल मालिक के पास चावल तैयार है फिर उसके ऊपर होल्डिंग चार्ज लगाना पूरी तरह गलत होगा। यदि इस बार भी सरकार ने मिल मालिकों से होल्डिंग चार्ज काटा तो उन्हें मजबूरन अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।
10% ब्रोकन की गाड़ी लगाने पर निगम के साथ मिल मालिकों का फंसा पेंच
चालू सीजन के दौरान भारतीय खाद्य निगम ने चावल गाड़ी में 25 प्रतिशत ब्रोकन की बजाय कुछ चावल गाड़ी 10 प्रतिशत ब्रोकन की लगाने के आदेश जारी किए हैं, जबकि इस प्रकार का कोई भी नियम चावल गाड़ी लगाने से पहले नहीं लागू किया गया था। मिल मालिकों का कहना है कि शुरू से अब तक 25 प्रतिशत ब्रोकन वाली चावल गाड़ी ली जा रही हैं। उन्होंने कहा अब प्रत्येक शहर में 40 से 50 चावल गाड़ी 10 प्रतिशत ब्रोकन की लगानी अनिवार्य कर दी हैं और जब तक मिल मालिक 10 प्रतिशत ब्रोकन की गाड़ी नहीं लगाते तब तक मिल मालिकों को आगे मिलने वाले स्टैग देने बंद कर दिए हैं क्योंकि चावल स्टैग देना या न देना सब निगम के हाथ में है। मिल मालिकों ने अब 36 गाड़ी 10 प्रतिशत ब्रोकन लगाने की ठान ली है, जिसके बाद मिल मालिकों को अगले स्टैग निगम द्वारा दिए जाएंगे। उन्होंने इसे निगम की तानाशाही करार दिया है।
पैडी पॉलिसी के साथ छेड़छाड़ करना गलत
सरकार द्वारा जारी की गई पैडी पॉलिसी के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती, लेकिन सरकारी अधिकारी व कर्मचारी उक्त पॉलिसी को धत्ता बताकर उसे पूरी तरह उधेड़ा जा रहा है, जिस प्रकार पहले 50 हजार क्विंटल धान खरीदने वाले को एक स्टैग और इससे अधिक धान खरीदने वाले को 2 स्टैग मिलने की पॉलिसी बना दी गई, जबकि जारी पॉलिसी में ऐसा कुछ नहीं। सभी राइस मिल मालिकों को एक बराबर स्टैग दिए जाएंगे। मिल मालिकों ने उक्त पॉलिसी को भी अदालत में चैलेंज करने की ठान ली है।
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