मुरथल में सामूहिक दुष्कर्म व हिंसा मामले पर SIT ने सौंपी जांच रिपोर्ट, HC ने कहा- 2 हजार केस कैसे करेगी जांच, 407 केस होंगे वापिस

Edited By Isha, Updated: 10 Feb, 2024 03:27 PM

government is taking back 407 cases from jat reservation movement

हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के चलते मुरथल में सामूहिक दुष्कर्म व राज्य में हिंसा मामले की की जांच की रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश की गई।  पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने मामले की जांच के लिए गठित  आइजी अमिताभ ढिल्लों की एसआईटी से मामले

चंडीगढ़(चन्द्र शेखर धरणी):  हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के चलते मुरथल में सामूहिक दुष्कर्म व राज्य में हिंसा मामले की की जांच की रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश की गई।  पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने मामले की जांच के लिए गठित  आइजी अमिताभ ढिल्लों की एसआईटी से मामले की स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अनुपम गुप्ता ने हाई कोर्ट को बताया कि इस मामले को लेकर कुल 2105 मामले दर्ज है जिसमें से सरकार लगभग पांचवा हिंसा 407 केस वापस लेना चाहती है। सभी पक्षों को सुनने के बाद कार्यवाहक चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया व जस्टिस लुपिता बनर्जी पर आधारित डिवीजन बेंच ने सवाल उठाया कि एक एसआइटी 2000 के करीब मामले कैसे जांच कर सकती है। कोर्ट ने सभी पक्षों को बहस के लिए चार सप्ताह का समय देते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। 

पिछले दिनों हरियाणा सरकार जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान जाट नेताओं पर दर्ज मामले वापिस लेने पर विचार कर रही थी और संभावना था कि इस मामले की सुनवाई के दौरान सरकार अर्जी दायर कर कोर्ट से इस बाबत इजाजत लेगी। हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के घर पर तोड़-फोड़ व वाहनों को जलाने के आरोपित दिलावर सिंह ने हाई कोर्ट में जमानत की याचिका दायर की थी, इस जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया था कि सुप्रीम कोर्ट इन मामलों का ट्रायल दिसंबर 2018 तक पूरा किये जाने का आदेश दे चुका है। फरवरी 2019 में हुई सुनवाई पर हाई कोर्ट ने जांच पर सवाल उठाते हएु कहा था कि 

जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी मामले में दिसंबर 2018 तक इन केस का ट्रायल पूरा करने के आदेश दिए थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों के बावजूद भी इन केसों का ट्रायल पूरा नहीं हो पाया है। इस पर हाई कोर्ट ने सीबीआई को ट्रायल कोर्ट में चल रहे मामलों के स्टेटस की जानकारी मामले की  हाई कोर्ट को दिए जाने के आदेश दिए थे, साथ ही पूछा  था कि वह बताएं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ट्रायल पूरा किये जाने में देरी क्यों हो रही है। क्या इस देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट में कोई अर्जी दायर कर और समय की मांग की है या नहीं। लेकिन फरवरी 2019 के बाद इस मामले में हाई कोर्ट में कोई ठोस सुनवाई नहीं हो पाई।  जाट आरक्षण आंदोलन के चलते मुरथल में सामूहिक दुष्कर्म व राज्य में हिंसा मामले में हाई कोर्ट 24 फरवरी 2016 को संज्ञान लेकर इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर जांच के आदेश दिए थे।

 

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