Edited By Deepak Kumar, Updated: 23 Apr, 2025 08:41 PM

गोहाना के गढ़वाल गांव की प्रिया सिवाच ने UPSC में 219 वां रैंक हासिल कर परिवार का नाम रोशन किया है। जहां उनकी इस उपलब्धि को लेकर परिवार व ग्रामीण काफी खुश हैं और आज दिल्ली से अपने गांव पहुंचने पर प्रिया सिवाच का भव्य स्वागत किया गया।
गोहाना (सुनील जिंदल) : गोहाना के गढ़वाल गांव की प्रिया सिवाच ने UPSC में 219 वां रैंक हासिल कर परिवार का नाम रोशन किया है। जहां उनकी इस उपलब्धि को लेकर परिवार व ग्रामीण काफी खुश हैं और आज दिल्ली से अपने गांव पहुंचने पर प्रिया सिवाच का भव्य स्वागत किया गया।
पिता ने बताया कि छोटी सी उम्र से ही अपनी बेटी को बड़ा अफसर बनने की ठानी थी और इसी जद्दोजेहद के चलते उसने कभी पीछे पलट कर नहीं देखा और दिन रात अपनी बेटी को लक्ष्य तक पहुँचाने के लिए न केवल खेती बाड़ी अपने परिवार का गुजारा किया बल्कि बचे हुए टाइम में टैक्सी चला बेटी को अधिकारी बनाने तक की लड़ाई कई जगह लड़ी है। प्रिया के पिता संजय सिवाच ने कहा कि जिस सपने को संजोया था, आज उनकी बेटी ने पूरा कर दिखाया है। सामाजिक ताने-बानों से ऊपर उठकर बेटी ने भी अपने पिता का सर गौरव से ऊंचा कर दिया है।
वहीं प्रिया सिवाच ने कहा कि अपने पिता से किए हुए वादे के मुताबिक उसने भी कभी पिता को नीचे झुकने के लिए मजबूर नहीं किया। जिस विश्वास के साथ उसके पिता ने उसे गांव की गली से दिल्ली तक पहुंचाया। इस पिता के आशीर्वाद और सहयोग के कारण यूपीएससी को क्लियर किया है। प्रिया ने यूपीएससी क्लियर करके साबित कर दिया कि विश्वास की जीत हमेशा बड़ी होती है और एक पिता ने अपनी बेटी पर ऐसा विश्वास किया था तो आज उसकी बेटी ने परचम लहराया है। बता दें कि प्रिया की शुरुआती शिक्षा गोहाना में ही हुई है। जबकि उच्च शिक्षा उन्होंने दिल्ली से हासिल की है। प्रिया का मकसद आई.ए.एस. अफसर बनकर महिलाओं के उत्थान के साथ ही देश की तरक्की के लिए काम करना है।
प्रिया का कहना है कि यह उसका चौथ प्रयास था और उसने 219 वाँ रैंक हासिल किया है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने अपने परिवार और अपने मामा -मामी को दिया है। उन्होंने कहा है कि एग्जाम देने वाला प्रत्येक कैंडिडेट मेहनत करता है। उन्होंने कहा है कि अगर आप मेहनत करने के लिए तैयार हो और आपकी फैमिली आपके साथ है तो निश्चित तौर पर सफलता मिलेगी। उस ने कहा है कि उनके पिताजी का सबसे ज्यादा सपोर्ट रहा है। प्रिया ने कहा है की टैक्सी से इतनी ज्यादा इनकम भी नहीं होती थी। लेकिन फिर भी उसके पिता ने उसे यूपीएससी तक पहुंचा दिया।प्रिया ने बताया कि उनके पिताजी ने उनके लिए समाज से भी लड़ाई लड़ी है और समाज के लोग अक्सर ताने मारते थे कि बेटी को घर से बाहर इतनी दूर भेजना ठीक नहीं है और ऐसे में उनके पिताजी का एक ही जवाब होता था कि मुझे अपनी बेटी पर विश्वास है और मेरी बेटी एक दिन अफसर बनकर घर लौटेगी।
प्रिया ने कहा है कि मुझे दिल्ली पढ़ने के लिए भेजा यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। प्रिया का कहना है कि एक सपने को पूरा करने के लिए सब की मेहनत लगती है और सभी ने मिलकर इस सपने को पूरा किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि अच्छा रिजल्ट आए और और अच्छा रिजल्ट आया है तो इसके लिए शुक्रगुजार भी हूं। प्रिया की बहन स्वाति का कहना है कि वे सभी बहुत ज्यादा खुश है। उन्हें अपनी बहन पर गर्व हो रहा है। उनकी बहन ने बताया कि वह पूरा दिन पढ़ाई में लगी रहती थी।
जहां प्रिया अपने गांव पहुंचने पर बहुत स्वागत हुआ तो वही उसकी दोस्त सृष्टि डबास भी उसके साथ पहुंची थी और सृष्टि डबास का पिछले साल ऑल इंडिया छठा रैंक था । प्रिया और सृष्टि डबास कॉलेज बैचमेट रहे हैं। पिछली बार प्रिया यूपीएससी क्लियर नहीं कर पाई थी। गांव पहुंचने पर उसकी दोस्ती सृष्टि ने कहा कि आज उनका भी स्वागत हो रहा है, बहुत ज्यादा खुशी हो रही है। उन्होंने कहा है कि सब लोगों का स्ट्रगल अलग-अलग होता है। सृष्टि का कहना है कि प्रिया को यहां तक पहुंचने में समय थोड़ा ज्यादा लग गया।लेकिन जो होता है। वह अच्छे के लिए होता है।
वही ग्रामीणों का कहना है कि उसके पिताजी बहुत छोटे किसान हैं और पूरे गोहाना और गांव का नाम रोशन उनकी बेटी ने किया है। उनके पिताजी भी पहले पहलवान रहे हैं। आर्थिक रूप से ज्यादा मजबूत नहीं थे लेकिन फिर भी उन्होंने काफी मेहनत करके अपनी बेटी को लक्ष्य तक पहुंचा है। उन्होंने यह भी कहा है कि उनकी छोटी बेटी भी काफी इंटेलिजेंट है।
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