नशे की लत बर्बाद कर रही युवाओं का भविष्य, किताबो की जगह टीके लेकर भटक रहे युवा

Edited By Isha, Updated: 08 Oct, 2019 03:21 PM

future youth wasting addiction wandering with the drug instead of books

पंजाब हरियाणा के बार्डर पर स्थित मंडी कालांवाली करीब 10 सालों से अपने बच्चों को बर्बादी की तरफ जाते हुए देख रही है। दर्जनों माताओं के बच्चे छोटी उम्र में नशे की अंधेरी गलियों में खोकर अपना भविष्य............

कालांवाली (प्रजापति) : पंजाब हरियाणा के बार्डर पर स्थित मंडी कालांवाली करीब 10 सालों से अपने बच्चों को बर्बादी की तरफ जाते हुए देख रही है। दर्जनों माताओं के बच्चे छोटी उम्र में नशे की अंधेरी गलियों में खोकर अपना भविष्य बर्बाद कर चुके हैं। पडऩे की उम्र में अपने हाथों में किताबों की जगह नशे के टीके लेकर युवा नशों की अंधेरी गलियों में भटक रहे हैं। किताबों की जगह नशे की टीकों ने ले ली है। 

नशे की शुष्क बंदरगाह के तौर पर बदनाम हो चुकी कालांवाली मंडी के युवाओं का भविष्य खतरे में है। इस समय 14 से लेकर 20 साल के युवा हैरोइन यानी चिट्टे जहर की चपेट में हैं। हर वर्ग के छात्र इन दिनों चिट्टा जहर लेने लगे हैं। माता-पिता अपने होनहारों के भविष्य को बर्बाद होते देखकर परेशान हैं।

ज्यादा अभिभावक लोक-लाज के डर से इस बात की चर्चा करने से भी डरते हैं। एक तरह युवा पीड़ित का भविष्य खतरे में है दूसरी तरफ पुलिस प्रशासन को इसे खत्म करने का कोई दमदार रास्ता नहीं नजर आ रहा। हालांकि, बढ़ते नशे के कारोबार को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने अपने स्तर पर काफी प्रयास किए हैं और उसमें सफलता भी मिली है। कालांवाली के मौजिज लोगों ने इस जहर कारोबारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। 

लम्बे अर्से से नशे के रूप में बदनाम है कालांवाली
 पहले इस क्षेत्र के लोग अफीम व चूरापोस्त का नशा करते थे। उसके बाद यह क्षेत्र मैडीकल नशे के लिए बदनाम हो गया। युवा नशा करने के बाद जहां-तहां गिरे आम देखे जा सकते थे। मैडीकल नशे के कारोबार को बढ़ाने में कहीं न कही ड्रग विभाग व पुलिस की सुस्ती का भी हाथ रहा। लेकिन जब हालात हद से गुजरने लगे तो जिला पुलिस के तत्कालीन कप्तान सतेंद्र गुप्ता ने नशे के खिलाफ अभियान शुरू किया।

जिसके साथर्क परिणाम भी सामने आए। आज हालात यह हैं कि ज्यादातर मैडीकल स्टोर पर आपको किसी प्रकार की नशे की दवाई नहीं मिलेगी। हालांकि, अभी भी इक्का-दुक्का मैडीकल संचालक चोरी-छिपे इस घिनौने कार्य को अंजाम देने में लगे हैं लेकिन हालत काफी हद तक संतोषजनक हैं। हालात थोड़े सामान्य जरूर हुए हैं लेकिन अभी भी कालांवाली को नशे से मुक्त करने के लिए काफी कुछ करने की जरूरत है। सफे द जहर का कारोबार अभी भी धड़ल्ले से चल रहा है। जिसका एक कारण यह भी है कि पुलिस इस कारोबार से जुड़े बढ़े हाथों तक नहीं पहुंच पाई है।

निजी अस्पतालों में चल रहा है उपचार
नशे के गिरफ्त में आ चुके इन युवाओं का इलाज निजी अस्पतालों में चल रहा है। अपने बच्चों के बर्बाद हो रहे भविष्य को बचाने के लिए पेरैंटस निजी अस्पतालों में अपने जानकार चिकित्सकों के परामर्श से गुप-चुप ढंग से इलाज ले रहे हैं, इसके अलावा कालांवाली के नशा मुक्ति केंद्र में भी दर्जनों लोग उपचार लेकर नशा छोडऩे का प्रयास कर रहे हैं। 
 

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