मंडी में 5 दिन से अपनी फसल के साथ दुर्गति झेल रहे किसान, बारिश से भीगे पीआर धान को मिलर्स कर रहे रिजेक्ट

Edited By Saurabh Pal, Updated: 19 Oct, 2023 07:23 PM

farmers facing plight with their crops in kaithal mandi for 5 days

केंद्र सरकार द्वारा चावल पर एक्सपोर्ट रेट वेल्यू बढ़ाने पर मिलर्स व एक्सपोर्टर्स मंडियों में बारीक किस्म की धान नहीं खरीद रहे हैं, जिससे किसान परेशान हैं। शहर की दोनों अनाज मंडियों में करीब 38 हजार क्विंटल बारीक किस्म का धान खुले आसमान के नीचे...

कैथल (जयपाल रसूलपुर): केंद्र सरकार द्वारा चावल पर एक्सपोर्ट रेट वेल्यू बढ़ाने पर मिलर्स व एक्सपोर्टर्स मंडियों में बारीक किस्म की धान नहीं खरीद रहे हैं, जिससे किसान परेशान हैं। शहर की दोनों अनाज मंडियों में करीब 38 हजार क्विंटल बारीक किस्म का धान खुले आसमान के नीचे ढेरियों में पड़ा है। इनमें 1401, 1718, 1509 व 1121 किस्म शामिल हैं। सैंकड़ों किसान मंडियों में अरने फसल की रखवाली कर रहे हैं।

वहीं सोमवार को हुई ओलों के साथ बारिश से किसानों पर दोहरी मार पड़ी है। एक तरफ तो फसल नहीं बिक रही थी और दूसरी तरफ खुले में पड़ी धान की भीगने से क्वालिटी खराब हो गई। इसमें डैमेज व डिस्कलर से लेकर अन्य प्रकार के फाल्ट पैदा हो रहे हैं। हड़ताल कितने दिन चलेगी इसका कोई अंदाजा नहीं है। यानी फसल लंबें समय तक ऐसे ही पड़ी रह सकती है। जिस कारण इन फसलों का स्तर का रेट व्यापारी नहीं लगाएंगे। जो फिलहाल होना चाहिए। इससे किसानों को मोटा नुकसान हो सकता है। 

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5 दिन से मंडियों में पड़े किसान नहीं लेने वाला कोई सुध

गांव क्वारतन से मंडी पहुंचे किसान मनदीप ने बताया कि वह मंडी में डीपी 1401 क्वालिटी की फसल लेकर आया था। पिछले 5 दिन से बैठा है। कोई फसल को खरीदने नहीं आया। बारिश से फसल बुरी तरह भीग गई। अब धरती में बिछाकर सुखा रहा हूं। हमारा क्या कसूर है। सरकार भी किसानों का दर्द नहीं समझ रही है। यहां क्या खाएं, कैसे सोएं सब दिक्कत है।  

वहीं मालखेड़ी के किसान दिलबाग ने बताया कि वह दो दिन पहले बारीक धान मंडी में लेकर आया था। बारिश हो गई। धान भीग गई। कोई खरीदने वाला नहीं है। बारिश से क्वालिटी भी बिगड़ गई है। हमारी कोई सुनने वाला नहीं है। त्योहारी सीजन आने वाला है। फसल नहीं बिकी तो कैसे खर्च उठाया जाएगा।  

गांव चंदाना के राकेश ने पंजाब केसरी से अपना दर्द साझा करते हुए कहा कि वह 5 दिन पहले मंडी में बारीक धान बेचने के लिए लाया था। उस दिन से लेकर आज तक एक दाना नहीं बिका। अधिकारी दफ्तरों में बैठे हैं। आढ़ती दुकानों में, सीएम शहर में आकर चले गए। हमारी पीड़ा किसी को दिखाई नहीं देती। हड़ताल की बात कहकर कोई ढेरी को चेक करने तक नहीं आता। फसल बारिश में भीग रही है। घर में स्टॉक कैसे करें, मंडी लाना मजबूरी है। यहां खरीद नहीं हो रही। किसान बहुत परेशान है। 

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पिछले तीन दिनों से पीआर धान की आवक बहुत हुई कम

मंगलवार और बुधवार को मंडियों में पीआर धान की आवक काफी कम रही। इसका बड़ा कारण सोमवार को हुई बारिश रहा। क्योंकि खेतों में पानी हो गया है। जिस कारण फसलों की कटाई प्रभावित हो रही है। मंडियों के एंट्री गेटों पर मंगलवार को फसल से भरे ट्रैक्टर-ट्राली भी बहुत कम संख्या में पहुंचे। दोनों मंडियों की बात करें तो फिलहाल करीब 60 हजार बैग के करीब पीआर धान अनशोल्ड पड़ी है।   

बारिश से भीगे पीआर धान को मिलर्स कर रहे रिजेक्ट

बारिश से भीगी पीआर धान को मिलर्स चेक करते ही रिजेक्ट कर रहे हैं। जबकि किसानों का कहना है कि मंडी में फसल भीगी है। इसमें किसानों का तो कोई फाल्ट नहीं है। फसल गीली होने के कारण मंगलवार को ज्यादा मात्रा में खरीद भी नहीं हुई। मंडियों में जगह देखकर किसान भीगे धान की ढेरियों को सुखाने के लिए बिछा रहे हैं। ताकि फसल को हवा व धूप लग सके। जिससे उसकी नमी सामान्य हो सके, लेकिन ज्यादातर ढेरियां इस तरीके से भीगी हुई है कि उनको सुखाना मुश्किल हो गया।

मंडी प्रशासन के अधिकारी नहीं ले रहे सुध

किसानों का कहना है कि वह पिछले 5 दिनों से मंडी में आए हुए हैं, परंतु मंडी प्रशासन की तरफ से कोई भी अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा है। देश का पेट भरने वाले किसान को चारों तरफ की मार पड़ रही है। इस दुख की घड़ी में सरकार के साथ प्रशासन भी उनसे मुंह मोड़ चुका है। इसलिए वह भूखे प्यासे 5 दिन से अपनी 6 महीने के खून पसीने की कमाई को लेकर मंडी में बैठे हुए हैं।

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