दिमाग की नस फटने से हुई किसान की मौत, 10-15 दिनों से था आंदोलन में शामिल
Edited By Manisha rana, Updated: 31 Dec, 2020 01:25 PM
कृषि कानूनों के विरोध में कड़कड़ाती ठंड में दिल्ली बॉर्डर पर लगातार किसान शहादत दे रहे हैं। अब तक हरियाणा के 42 किसान शहादत दे चुके हैं। जहां कैथल जिले के गांव भाणा के किसान रामकुमार की दिमाग की नस फटने...
कैथल (जोगिंद्र) : कृषि कानूनों के विरोध में कड़कड़ाती ठंड में दिल्ली बॉर्डर पर लगातार किसान शहादत दे रहे हैं। अब तक हरियाणा के 42 किसान शहादत दे चुके हैं। जहां कैथल जिले के गांव भाणा के किसान रामकुमार की दिमाग की नस फटने से इस कड़कडाती ठंड में मौत हो गई। बता दें कि रामकुमार की उम्र 56 वर्ष थी उसके परिवार में इकलौता बेटा व पत्नी है और मृतक के पास केवल 3 एकड़ जमीन है। पिछले 10-15 दिनों से वह टिकरी बॉर्डर पर धरने में शामिल होने के लिए गया हुआ था।
बताया जा रहा है कि देर रात उनकी तबीयत बिगड़ गई और दिमाग की नस फट गई जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। किसान रामकुमार का शव आज कैथल के नागरिक अस्पताल में लाया गया जहां पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया। आज किसान रामकुमार का संस्कार उनके पैतृक गांव भाणा में किया जाएगा। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि मृतक को शहीद का दर्जा दिया जाए। वह परिवार को 50 लाख रूपये की सहायता व सरकारी नौकरी दी जाए।