Edited By Isha, Updated: 20 Mar, 2025 05:48 PM

फरीदाबाद के डीग गांव में किसान अब एक खास तरह के आलू की खेती कर रहे हैं, जिसे नीलकंठ आलू कहा जाता हैष यह नॉर्मल सफेद आलू से अलग होता है और इसका स्वाद भी बेहतरीन होता है। नीलकंठ आलू
फरीदाबाद: फरीदाबाद के डीग गांव में किसान अब एक खास तरह के आलू की खेती कर रहे हैं, जिसे नीलकंठ आलू कहा जाता हैष यह नॉर्मल सफेद आलू से अलग होता है और इसका स्वाद भी बेहतरीन होता है। नीलकंठ आलू की खेती में 1 किले (5 बीघा) में 80 हजार रुपये तक की लागत आती है। इसकी बुवाई के लिए प्रति किले में 30 कट्टा बीज की जरूरत होती है।
नीलकंठ आलू की खेती करने वाली एक ही किसान
डीग गांव में नीलकंठ आलू की खेती करने वाली सुनीता और उनके परिवार का कहना है कि फरीदाबाद में इसे उगाने वाले पहले किसान वही हैं।यह खास आलू अब धीरे-धीरे और किसानों को भी आकर्षित कर रहा है क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा होने के साथ-साथ बाजार में भी अच्छी कीमत पर बिकता है।
यह शुगर फ्री आलू है
गांव की किसान सुनीता ने बताया कि उन्होंने 10 एकड़ जमीन पर नीलकंठ आलू की खेती कर रखी है।खास बात यह है कि यह शुगर फ्री आलू है, जिससे यह सेहत के लिहाज से भी फायदेमंद माना जाता है. इसकी सब्जी न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि लंबे समय तक ताजा भी रहती है। इस आलू की बुआई सामान्य सफेद आलू की तरह ही होती है, लेकिन इसका बीज थोड़ा अलग होता है।सुनीता ने यह बीज करनाल से लाकर खेती शुरू की और अब उन्हें इसे उगाते तीन साल हो गए हैं।
सुनीता के मुताबिक खेती का मुनाफा आलू के बाजार भाव पर निर्भर करता है लेकिन फिर भी 30,000 से 50,000 रुपये प्रति किले का मुनाफा हो जाता है।