Edited By Isha, Updated: 12 Jan, 2024 03:34 PM
अरावली पर्वत शृंखला में 50 हजार साल पुराने मानव सभ्यता के सबूत मिलने के बाद अब 1500 साल पुराने रजवाड़ों के अवशेष भी मिले हैं। कोट गांव में रहने वाले पुरातत्व के जानकार तेजवीर मावी ने जंगलों के अंदर एक ऐसी जगह खोजी है, जहां पर रजवाड़ों के लिए...
फरीदाबाद : अरावली पर्वत शृंखला में 50 हजार साल पुराने मानव सभ्यता के सबूत मिलने के बाद अब 1500 साल पुराने रजवाड़ों के अवशेष भी मिले हैं। कोट गांव में रहने वाले पुरातत्व के जानकार तेजवीर मावी ने जंगलों के अंदर एक ऐसी जगह खोजी है, जहां पर रजवाड़ों के लिए मूर्तियां बनाने का काम किया जाता था। मावी ने बताया कि कोट गांव 977 साल पुराना है।
इससे पहले जब रजवाड़े हुआ करते थे तो उस समय गढ़ के नाम से एक जगह थी। इसमें शिल्पकारों को बुलाकर मूर्तियां तैयार करवाई जाती थी। कोट गांव के जंगल में भगवान विष्णु की मूर्ति के अलावा कुबेर की मूर्ति मिली है। दोनों ही जिस पत्थर से बनाए गए हैं, वह अरावली के नहीं लगते हैं। उन्होंने बताया कि एक रिसर्चर ने साल 1994 में कोट गांव में आकर रिसर्च की थी तब पता चला था कि यहां पर रजवाड़ों के लिए मूर्तियां बनाने का काम किया जाता था। उन्होंने इसकी सूचना पुरातत्व विभाग को दे दी है। मूर्तियों को देख कर लगता है कि ये 1500 साल पुरानी होंगी। साल 2021 में कोट गाव के अंदर ही मानव सभ्यता के सबूत भी मिले थे। इसमें उन्हें जंगलों में कुछ अजीब तरह की चीजें मिलीं। उस समय वहां पत्थर की कुल्हाड़ी मिली जो लगभग 50 हजार साल पुरानी थी।