महामारी पर भारी मुनाफाखोरी, दवाओं से लेकर मास्क-ऑक्सीमीटर की कालाबाजारी, 1 माह में दोगुने हुए दाम

Edited By Manisha rana, Updated: 09 May, 2021 09:23 AM

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फरीदाबाद में दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों में मुनाफाखोरी की शिकायतें मिल रही हैं, लेेकिन उम्मीद के मुताबिक कार्रवाई नहीं हो रही है। कोरोना संक्रमितों के उपचार में काम आने वाली दवाइयां...

फरीदाबाद : फरीदाबाद में दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों में मुनाफाखोरी की शिकायतें मिल रही हैं, लेेकिन उम्मीद के मुताबिक कार्रवाई नहीं हो रही है। कोरोना संक्रमितों के उपचार में काम आने वाली दवाइयां व उपकरण मेडिकल स्टोर से गायब हो गए हैं। मरीजों के परिजन चिकित्सकों की पर्चियां लेकर शहर के मेडिकल स्टोर्स पर इधर से उधर चक्कर काट रहे हैं। जो दवा व उपकरण उपलब्ध है वह या तो अप्रोच वालों को मिल रहे हैं या फिर इधर उधर से जुगाड़ करने के नाम पर ऊंचे दामों पर मरीजों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

शनिवार को दिल्ली पुलिस ने  ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज के एक कर्मचारी को रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोप में फरीदाबाद से गिरफ्तार किया है। इसकी पुष्टी ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज के डीन ने की है। पंजाब केसरी ने शनिवार को शहर के मेडिकल स्टोर्स पर जाकर पड़ताल की तो पता चला की मरीज के परिजन चिकित्सक की पर्ची लेकर दवा व उपकरण के लिए आ रहे हैं। लेकिन मेडिकल स्टोर संचालक उपलब्धता नहीं होने की कहकर उन्हें लौटा रहे हैं।

मेडिकल स्टोर संचालकों का कहना है कि आगे से ही दवाईयां नहीं आ रही तो मरीजों को कहां से दें। खून पतला करने की दवाई, संक्रमित फेफड़ों को रिकवर करने के काम आने वाली दवाइयां, एंटीबाइटिक इंजेक्शन, इम्युनिटी बढ़ान के काम आने वाला इंजेक्शन, फेफड़ों में जमा कफ को बाहर निकालने के काम आने वाली दवाई, मल्टीविटामिन इंजेक्शन जैसी दवाईयों की बाजार में मांग बढ़ गई, लेकिन आपूर्ति नहीं हो रही है। एनआईटी-5 के एक मेडिकल स्टोर संचालक ने बताया कि अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक ब्रांडेड कंपनी के 50 ऑक्सीमीटर आए थे। उस समय दाम 650 से 700 रुपए तक थे। लेकिन अब कोरोना में डिमांड बढऩे पर 1400 से 1800 रुपए तक हो गए हैं। नेबुलाइजर व स्ट्रीमर के दामों में भी बढ़ोतरी हुई है। पहले स्ट्रीमर 300 रुपए का आता था। अब 600 रुपए तक का हो गया है। सर्जिकल मास्क पहले 100 मास्क का पैकेट 150 रुपए का था। जो अब 300 रुपए तक का आ रहा है। 

रेमडेसिविर व फेबी फ्लू की कमी 
कोरोना में गंभीर मरीजों के काम आने वाले रेमडेसिविर व इटोलीजूमेब इंजेक्शन, फेबी फ्लू टेबलेट की भारी कमी है, बाजारों में तो ये मिल नहीं रहे हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी रोकने के लिए जिला प्रशासन ने कमान अपने हाथों में ले रखी है। वे ही सीधे अस्पतालों में मरीजों को पहुंचा रहे है। हालांकि फिर भी कमी बनी हुई है। इस कारण कई मरीजों को इंजेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं। इसके अलावा विटामिन सी व मल्टी जिंक विटामिन की टेबलेट की भई खासी डिमांड बढ़ गई है। 

दंड का प्रावधान 
ड्रग कन्ट्रोलर करण सिंह गोदारा बताते हैं कि विधिक माप विज्ञान (डिब्बा बंद वस्तुएं) नियम, 2011 के नियम 6 के तहत पैकेट पर नियमानुसार सूचना प्रदर्शन करना होता है, नियम 18 (2) के तहत वस्तु को पैकेट पर अंकित एमआरपी पर ही बेचना होता है और किसी भी व्यापारी के द्वारा किसी भई वस्तु को पैक करके बेचने से पहले विधिक माप विज्ञान विभाग से रजिस्ट्रेशन संख्या प्राप्त करना आवश्यक होता है। इन प्रावधानों का उल्लंघन किए जाने पर जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान है दुबारा उल्लंघन पाए जाने पर आपराधिक दांडिक कार्रवाई भी की जा सकती है। फरीदाबाद रिटेल कैमिस्ट क्लब के पदाधिकारियों की माने तो अब सभई रिटेल कैमिस्टों को फेबी फ्लू दवा सिर्फ डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही देनी है। साथ ही प्रिस्क्रिप्शन पर दुकान की सील लगाकर उस दिन की तारीख व दी गई दवा की मात्रा अंकित करनी होगी। जिससे उस पर्चे का दुरूपयोग नहीं हो सकेगा। सभी मरीजों को दवा उपलब्ध हो सकेगी।  

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