चंडीगढ़ से की थी डॉ. मनमोहन सिंह ने राजनीति की शुरूआत, आज भी उनके नाम पर है ये घर

Edited By Yakeen Kumar, Updated: 27 Dec, 2024 03:58 PM

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पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का चंडीगढ़ से खास नाता रहा है। सिंह चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र रहे और यहां प्रोफेसर भी रहे। मनमोहन सिंह का चंडीगढ़ के सेक्टर-11 बी में एक घर भी है।

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी) : पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का चंडीगढ़ से खास नाता रहा है। सिंह चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र रहे और यहां प्रोफेसर भी रहे। मनमोहन सिंह का चंडीगढ़ के सेक्टर-11 बी में एक घर भी है, जिसे उन्होंने 31 जनवरी 1987 में 8.62 लाख रुपए में खरीदा था।

वह मकान आज भी उसी स्वरूप में मौजूद है। 1997 के बाद से इस मकान में कोई बदलाव नहीं किया गया। यह मकान आज भी उनके ही नाम पर है।

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साढ़े आठ लाख में खरीदा था घर 

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिल्ली शिफ्ट होने और प्रधानमंत्री बनने के बाद भी चंडीगढ़ से नाता नहीं तोड़ा। दिल्ली शिफ्ट होने से पहले मनमोहन सिंह ने 31 जनवरी 1987 में 8.62 लाख रुपए की कीमत से चंडीगढ़ के सेक्टर-11बी में मकान नंबर 727 को खरीदा था। 4498.5 स्क्वायर फीट एरिया के मकान में सिंह ने वर्ष 1997-98 में करीब साढ़े 8 लाख रुपए खर्च कर मकान की पहली मंजिल बनवाई थी। 

मौजूदा समय में इस मकान की कीमत 8 से 10 करोड़ रुपए के बीच है। एस्टेट ऑफिस के रिकॉर्ड के मुताबिक आज भी यह मकान पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नाम ही है और 100 फीसदी शेयर उनके पास है। यह मकान फ्री होल्ड है। वर्ष 2013 में इस मकान की कीमत करीब 4 करोड़ 92 लाख रुपए लगी थी। उस समय शोर था कि पूर्व प्रधानमंत्री इस घर को बेचने जा रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ था। 

ऐसे हुआ था मकान का खुलासा

मार्च 2013 में जब मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री के रूप में अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया, उस समय उनके चंडीगढ़ सेक्टर-11बी के मकान का खुलासा हुआ था। 2013 में उनका यह मकान 4.92 करोड़ रुपए का था, जिसकी आज की कीमत 8 से 10 करोड़ रुपए की बीच है। 

PU से पढ़ाई कर वहीं बने प्रोफेसर

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का चंडीगढ़ से ही नहीं बल्कि चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी से भी पुराना नाता रहा है। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से ही पढ़ाई की थी और यहीं प्रोफेसर भी रहे। इतिहास के पन्नों को उलटे तो पता चलता है कि मनमोहन सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी से 1954 में अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की थी। मास्टर्स की डिग्री लेने के बाद एक ऐसा वक्त भी आया कि जहां वह कभी खुद पढ़ाई करते थे, वहीं उन्हें अर्थशास्त्र के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए पीयू में ही नौकरी मिल गई। 

उन्होंने 1957 से 1966 तक पंजाब यूनिवर्सिटी में ही अर्थशास्त्र विभाग में सीनियर फैकल्टी के रूप में नौकरी की थी। डॉ. सिंह ने पीयू में आखिरी लेक्चर 1966 में दिया था और इसके बाद यूनिवर्सिटी छोड़ दी थी। इसके अलावा उन्होंने वर्ष 2018 में पीयू में ही प्रो. एसबी रंगनेकर मेमोरियल ओरेशन का उद्घाटन किया था। साथ ही उन्होंने पीयू में गुरु तेग बहादुर भवन लाइब्रेरी को अपने निजी संग्रह से करीब 3500 पुस्तकें दान की ताकि वह युवा पीढ़ी के काम आ सकें। 

चंडीगढ़ से ही की राजनीति की शुरुआत

डॉक्टर मनमोहन सिंह ने अपनी राजनीतिक शुरुआत 1957 में पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रवक्ता के रूप में शुरू की थी। 1963 में मनमोहन सिंह प्रोफेसर बने थे। इसके बाद वो भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के तौर पर नियुक्त हुए। इसके साथ ही उन्हें यूनिवर्सिटी में जवाहरलाल नेहरू चेयर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 

झुग्गी झोपड़ियां पुनर्वास योजना चलाई

डॉक्टर मनमोहन सिंह ने चंडीगढ़ को स्लम फ्री सिटी बनाने के लिए काफी काम किए. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन के तहत झुग्गी झोपड़ियां पुनर्वास योजना के तहत 8448 फ्लैट की चाबी लाभार्थियों को सौंप थी। मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए शुरू की गई ये योजना नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान भी जारी रही। अब तक चंडीगढ़ में करीब 18000 मकान लाभार्थियों को सौपें जा चुके हैं। हालांकि अभी भी चंडीगढ़ स्लम फ्री सिटी नहीं बन पाया है, लेकिन स्लम एरिया को कॉलोनी एरिया में जरूर बदला गया है।

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