हरियाणा में कम होने की बजाय बढ़ती जा रही है कांग्रेस की आंतरिक कलह!

Edited By Deepak Kumar, Updated: 20 Apr, 2025 07:35 PM

congress internal strife is increasing in haryana

हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणाम के करीब 6 माह बाद भी कांग्रेस न केवल विधायक दल के नेता का चयन कर सकी है, बल्कि संगठन में भी पिछले सवा दस वर्षों से नियुक्तियां लंबित हैं। इन सबके बीच प्रदेश में लगातार तीसरी बार चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस की आपसी...

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणाम के करीब 6 माह बाद भी कांग्रेस न केवल विधायक दल के नेता का चयन कर सकी है, बल्कि संगठन में भी पिछले सवा दस वर्षों से नियुक्तियां लंबित हैं। इन सबके बीच प्रदेश में लगातार तीसरी बार चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस की आपसी कलह कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही है। चुनावों में कांग्रेस के करीब एक दर्जन प्रत्याशी पहले ही गुटबाजी का हवाला देकर अपनी हार का ठीकरा पार्टी नेतृत्व के सिर फोड़ चुुके हैं तो अब सिरसा से कांग्रेस के युवा विधायक गोकुल सेतिया ने अपनी ही पार्टी नेतृत्व को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। विधायक सेतिया ने दिल्ली में होने वाली पार्टी हाईकमान की बैठकों में विधायकों को न बुलाए जाने पर अपनी पीड़ा जाहिर की है और कहा है कि वे जल्द ही इस सिलसिले में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे तथा उन्हें सब बातों से अवगत करवाएंगे।

गौरतलब है कि पिछले साल 8 अक्तूबर को आए चुनावी परिणाम में सिरसा विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए गोकुल सेतिया हरियाणा लोकहित पार्टी के उम्मीदवार गोपाल कांडा को पराजित किया था। दिलचस्प बात यह है कि हलोपा को इंडियन नैशनल लोकदल का तो समर्थन प्राप्त था ही और बीच चुनाव में ही भाजपा के प्रत्याशी रोहताश जांगड़ा ने भी अपना नामांकन वापस ले लिया था। इसके बाद इसी साल हुए निकाय चुनाव में भी सिरसा नगरपरिषद में चेयरमैन पद के लिए भाजपा व कांगे्रेस में सीधा मुकाबला था। कांग्रेस के लिए विधायक गोकुल सेतिया ने मोर्चा संभाला जबकि इस चुनाव में स्थानीय स्तर पर तो गुटबाजी हावी रही तो कोई बड़ा नेता भी प्रचार में नहीं आया। ऐसे में अब गोकुल सेतिया ने जहां निकाय चुनाव को लेकर किसी भी नेता का नाम लिए बिना ही आरोपों की झड़ी लगा दी है तो सिरसा के विधायक गोकुल सेतिया ने फेसबुक पर अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए लिखा कि ‘दिल्ली की हमारी पार्टी की हाई कमांड की मीटिंग। हमें आज तक किसी विधायक को कभी नहीं बुलाया, क्या बात। सिर्फ जिनका नाम बड़ा है वो ही हकदार हैं। हमारी कोई अहमियत नहीं, जो धरातल पर रहकर अपनी सीट जीत कर आए हैं? मेरी सिरसा की सीट की बात करुं तो सब पार्टियां मेरे खिलाफ थी। एकमात्र सीट थी जिस पर भाजपा ने भी अपना कैंडिडेट वापिस ले लिया था और सारी पाॢटयां भी मेरे खिलाफ इकट्ठा हो गई थी, मगर आज तक हाईकमांड ने शाबाशी देने तक के लिए मुझे नहीं बुलाया। फिर नगर परिषद चुनाव में सबसे कम वोट से हमारी सिरसा की सीट हारी। ना ही कोई बड़ा नेता प्रचार में आया। फिर भी किसी ने नहीं बुलाया। क्या ये अहमियत है हमारी। दूसरी तरफ भाजपा के जीते हुए मेयर तक को प्रधानमंत्री से मिलाया जाता है।’ 

कांग्रेस उम्मीदवारों की खिलाफत करने वाले नेताओं पर हो कार्रवाई: गोकुल सेतिया

वहीं गोकुल सेतिया का कहना है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों की खिलाफत करने वाले लोगों के खिलाफ पार्टी हाईकमान को कार्रवाई करनी चाहिए ताकि पार्टी का लेवल सही तरीके से देश और प्रदेश में उठ सके और देश और प्रदेश में कांग्रेस कामयाबी हासिल कर सके। उन्होंने कहा कि हरियाणा के सिरसा में भी कांग्रेस के ऐसे कई नेता हैं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार की खिलाफत की थी। उन्होंने अपने विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि सिरसा में कांग्रेस के ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने खुलकर उनकी खिलाफत की, लेकिन आज वह कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ घूमते हुए दिखाई दे रहे हैं। विधायक गोकुल सेतिया ने कांग्रेस हाईकमान को सुझाव दिया है कि कांग्रेस की किसी भी मीटिंग में उन जैसे विधायकों को शामिल नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि गुजरात में हुए पिछले अधिवेशन में उनको किसी भी पार्टी के स्तर पर निमंत्रण नहीं दिया गया। गोकुल का कहना है कि अगर उन जैसे नए विधायकों को पार्टी की मीटिंग में बुलाया जाता तो उनको काफी कुछ सीखने को मिलता। गोकुल सेतिया ने पार्टी हाईकमान से इस बारे में विचार- विमर्श करने का आग्रह भी किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं द्वारा अगर विधानसभा चुनाव में एकजुटता दिखाई जाती तो हरियाणा में कांग्रेस की सरकार जरूर बनती। हरियाणा में कुछ कांग्रेस के लोगों द्वारा ही कांग्रेस उम्मीदवारों को हराया गया है। गौरतलब है कि हरियाणा में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही गोकुल सेतिया अनेक बार सार्वजनिक मंचों के माध्यम से भाजपा की तारीफ कर चुके हैं। पिछले साल के अंत में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सिरसा में मैडीकल कालेज के भूमि पूजन में आए थे और उस दौरान गोकुल ने उनकी तारीफ की थी। अभी कुछ दिन पहले गोकुल सेतिया चंडीगढ़ में किसानों के एक प्रतिनिधि मंडल के साथ मुख्यमंत्री सैनी से मिलने गए थे। इस दौरान सैनी की ओर से की गई मेहमाननवाजी की भी गोकुल ने खूब प्रशंसा की थी। 

ऐसे ऊपर-नीचे आता रहा है कांग्रेस का ग्राफ

गौरतलब है कि साल 2005 में कांग्रेस ने अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और उसके 67 विधायक चुनकर आए। कांग्रेस हाईकमान ने उस समय चौ. भजनलाल की बजाय चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया। इसके कुछ समय बाद दिसंबर 2007 में चौ. भजनलाल और उनके छोटे बेटे कुलदीप बिश्रेाई ने कांग्रेस छोड़ते हुए हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन कर लिया। उसके बाद से ही कांग्रेस से कई बड़े नेता एक-एक करके किनारा कर गए। 2009 में कांग्रेस के 40 विधायक निर्वाचित हुए और 2014 तक कांग्रेस की सरकार रही। 2014 में कांग्रेस 15 सीटों पर सिमट गई जबकि 2019 में उसके 31 विधायक निर्वाचित हुए। 2024 में कांग्रेस को लगातार तीसरी बार हार का सामना करना पड़ा और 2014 से लेकर अब तक राव इंद्रजीत सिंह, धर्मवीर सिंह, कुलदीप बिश्रोई, किरण चौधरी, श्रुति चौधरी, नवीन जिंदल जैसे बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी और अब ये सभी नेता भाजपा में हैं।

6 माह बाद भी कांग्रेस नहीं चुन सकी है विधायक दल का नेता

उल्लेखनीय है कि पिछले साल अक्तूबर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 39.09 फीसदी वोट मिले और उसके 37 विधायक निर्वाचित हुए और ऐसे में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल बन गई। पिछले साल 8 अक्तूबर को परिणाम आए थे और 17 अक्तूबर को नायब सिंह सैनी ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। अब परिणाम को आए हुए 6 माह का समय हो गया है और इतनी लंबी अवधि के बाद भी कांग्रेस अभी तक विधायक दल के नेता का चयन नहीं कर सकी है। इससे पहले साल 2014 से लेकर 2019 तक किरण चौधरी तो 2019 से 2024 तक चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा विधायक दल के नेता रहे। कांग्रेस में गुटबाजी के चलते ही पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अभी तक विधायक दल के नेता का चयन नहीं कर सका है। जो 37 विधायक चुने गए हैं, उनमें से अधिकांश हुड्डा के समर्थक माने जाते हैं। सियासी विश्लेषक मानते हैं कि लगातार तीसरी बार हार के बाद भी कांग्रेस भीतरी कलह से नहीं उभर रही है। यही वजह है कि कांग्रेस पिछले कुछ वर्षों में चार से अधिक प्रभारी बदल चुकी है। पहले गुलाम नबी आजाद को प्रभारी बनाया गया। 

2019 के चुनाव के बाद विवेक बंसल को जिम्मेदारी दी गई तो इसके बाद शक्ति सिंह गोहिल को प्रभारी लगाया गया। कुछ समय बाद गोहिल की जगह दीपक बाबरिया को प्रभारी नियुक्त किया गया। अभी कुछ समय पहले ही पार्टी की ओर से बी.के. हरिप्रसाद को प्रभारी नियुक्त किया गया है। सियासी विश£ेषक मानते हैं कि न केवल शीर्ष नेतृत्व विधायक दल का नेता चुन सका है, बल्कि संगठन में भी नियुक्तियां नहीं हो सकी हैं। ऐसे में कांग्रेस का जमीनी स्तर का कार्यकत्र्ता भी कहीं न कहीं इन सब परिस्थितियों के चलते मायूस है और इस बीच कांग्रेस विधायक गोकुल सेतिया की नाराजगी कांग्रेस पर और अधिक भारी पड़ सकती है।

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